आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोग निराश, अब कर दी ये मांग
साहिबाबाद में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के संशोधित फैसले से लोग निराश हैं। उनका कहना है कि फीडिंग पॉइंट होने के बावजूद सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाया जाता है जिससे हमले होते हैं। लोग आक्रामक कुत्तों की पहचान और नसबंदी की व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं और कुत्तों को आश्रय गृहों में रखने को बेहतर समाधान बता रहे हैं।
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के संशोधित फैसले से लोगों में निराशा बढ़ती जा रही है। लोगों का कहना है कि विभिन्न सोसायटियों और कॉलोनियों में पहले से ही फीडिंग पॉइंट बने हुए हैं, लेकिन डॉग लवर्स अब भी जगह-जगह कुत्तों को खाना खिलाते हैं।
अगर सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने का विरोध होता है, तो वे हिंसा पर उतर आते हैं। ऐसी घटनाएं पहले भी कई बार हो चुकी हैं।
ट्रांस हिंडन के इंदिरापुरम, वैशाली, वसुंधरा, कौशांबी, मोहननगर, भोपुरा, राजेंद्र नगर, लाजपत नगर आदि इलाकों में कई सोसायटियां हैं, जिनमें सालों से फीडिंग पॉइंट बने हुए हैं।
इनमें से ज्यादातर सोसायटियों के एओए पदाधिकारियों और लोगों का कहना है कि कुछ ही डॉग लवर्स उस पॉइंट का इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर डॉग लवर्स बेसमेंट, लिफ्ट के पास, पार्क, पार्किंग आदि में कुत्तों को खाना खिलाते हैं। फिर वही कुत्ते मौका मिलते ही लोगों पर हमला कर देते हैं।
ज्यादातर कुत्ते बच्चों और बुजुर्गों पर हमला करते हैं। डॉग लवर्स द्वारा विरोध करने पर मारपीट हो जाती है। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंच जाता है। इससे लोग विरोध भी नहीं कर पाते।
सुप्रीम कोर्ट ने किए थे ये बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के अपने फैसले में कहा था कि सभी कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाएगा। इसके बाद 22 अगस्त को संशोधित फैसले में आवारा कुत्तों को नसबंदी के बाद उसी जगह पर छोड़ दिया जाएगा। शेल्टर होम में केवल आक्रामक और हिंसक कुत्तों को ही रखा जाएगा।
साथ ही, नगर निगम को प्राथमिकता के आधार पर नसबंदी और टीकाकरण कराने को कहा गया है। इसकी रिपोर्ट आठ हफ्ते में मांगी गई है।
लोग ये सवाल उठा रहे
- आक्रामक और हिंसक कुत्तों की पहचान कैसे होगी?
- काटने के बाद ही पता चलेगा कि कुत्ता आक्रामक है या नहीं।
- काटने वाले की मौत हो सकती है।
- नगर निगम के पास नसबंदी की व्यवस्था नहीं है।
- पशु प्रेमी फीडिंग पॉइंट की बजाय सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाते हैं।
- विरोध करने पर आपसी झगड़े की आशंका रहती है।
सोसाइटी में तीन जगहों पर फीडिंग पॉइंट हैं। इसके बाद भी लोग सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाते हैं। इसका एकमात्र समाधान कुत्तों को आश्रय गृहों में रखना है।
- राकेश राय, शिप्रा सन सिटी सोसाइटी, इंदिरापुरम
आवारा कुत्ते आए दिन लोगों पर हमला कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उम्मीद थी कि कुत्तों से कोई समाधान निकलेगा, लेकिन उस फैसले को बदल दिया गया। इससे ज़्यादा राहत नहीं मिलेगी।
- सुशील कुमार चौबे, शिप्रा सन सिटी सोसाइटी, इंदिरापुरम
ज़्यादातर इलाकों के लोग कुत्तों की समस्या से जूझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नगर निगम स्तर पर जो भी व्यवस्था होगी, वह की जाएगी। हालाँकि, लोग कुत्तों से राहत के लिए आश्रय गृहों को ही सबसे बेहतर उपाय मान रहे हैं।
- संजय सिंह, पार्षद, वार्ड-100
पिछले कुछ सालों में आवारा कुत्ते शहर के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरे हैं। कई बड़े हादसों ने कुत्तों के प्रति लोगों का नज़रिया बदल दिया है। सबसे ज़रूरी है कि संबंधित संस्था अपना काम ज़िम्मेदारी से करे। सिर्फ़ औपचारिकता निभाने से काम नहीं चलेगा।
-डॉ. दीपक डे, हीलिंग एवं जल चिकित्सक।
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