गाजियाबाद में पाबंदी के बाद भी पाले जा रहे हैं खतरनाक नस्ल के कुत्ते, इन नियमों का नहीं हो रहा पालन
गाजियाबाद में पाबंदी के बाद भी खतरनाक नस्ल के कुत्ते पाले जा रहे हैं। कुत्ते पालने के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कुत्ते बच्चों से लेकर बड़ों तक को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर से लोगों ने नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। कुछ दिन पहले शालीमार गार्डन में पिटबुल कुत्ते ने एक बच्चों को बुरी तरह घायल कर दिया था।
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। शहर में पिटबुल, राटवेलर और डोगो अर्जेंटीनो सहित अन्य खतरनाक प्रजाति के कुत्ते पालने पर रोक लगाने पर नगर निगम नाकाम साबित हो रहा है। कुत्ते पालने के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कुत्ते बच्चों से लेकर बड़ों तक को निशाना बना रहे हैं।
वैशाली में अमेरिकन बुली कुत्ते द्वारा युवक को काटने पर एक फिर से लोगों में नगर निगम के खिलाफ आक्रोश है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग को एंटी रैबीज वैक्सीन पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है। नगर निगम तमाशबीन बना हुआ है।
धड़ल्ले से विदेशी प्रजाति के कुत्ते खरीदकर ला रहे लोग
कुत्ते काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए नगर निगम ने खतरनाक कुत्ता पालने पर रोक लगा दी थी। अब निगम पर आरोप लगता है कि नगर निगम ने नियम तो बना दिए लेकिन नियमों का पालन कराने में अधिकारी सक्षम नहीं है।नियम केवल कागजों में दबकर रह गए हैं। लोग धड़ल्ले से विदेशी प्रजाति के कुत्ते खरीदकर ला रहे हैं और पाल रहे हैं। यदि नगर निगम द्वारा कुत्ता पालन पर निगरानी की जाए तो लोग नियमों का पालन करना शुरू कर देंगे।
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निगम की इस लापरवाही का खामियाजा आम लोगों काे भुगतना पड़ रहा है। आए दिन बच्चों की जान पर बन आती है। जिसके बाद नगर निगम को होश आता है। घटना के बाद अधिकारी खानापूरी कर हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं।वैशाली में मंगलवार को अमेरिकन बुली कुत्ते ने युवक को बुरी तरह घायल कर दिया था। ऐसे में एक बार फिर से लोगों ने नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। कुछ दिन पहले शालीमार गार्डन में पिटबुल कुत्ते ने एक बच्चों को बुरी तरह घायल कर दिया था। मुश्किल से उसकी जान बची थी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।निगम की इस लापरवाही का खामियाजा आम लोगों काे भुगतना पड़ रहा है। आए दिन बच्चों की जान पर बन आती है। जिसके बाद नगर निगम को होश आता है। घटना के बाद अधिकारी खानापूरी कर हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं।वैशाली में मंगलवार को अमेरिकन बुली कुत्ते ने युवक को बुरी तरह घायल कर दिया था। ऐसे में एक बार फिर से लोगों ने नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। कुछ दिन पहले शालीमार गार्डन में पिटबुल कुत्ते ने एक बच्चों को बुरी तरह घायल कर दिया था। मुश्किल से उसकी जान बची थी।
ये हैं नियम
- सभी पालतू कुत्तों का पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।
- एक फ्लैट मे अधिकतम दो कुत्ते पंजीकरण कराया जा सकते हैं।
- पीटबुल, राट वेलर, डोगों अर्जेंटीनो सहित अन्य आक्रमक कुत्तों को पालने पर रोक
- इन कुत्तों के पंजीकरण और ब्रीडिंग पर भी रोक लगी है।
- कुत्ते को बाहर ले जाते समय उसे मजल लगानी होगी।
- पार्क व लिफ्ट में कुत्ते को मजल लगी होनी चाहिए।
- एओए को कुत्ता फीडिंग का स्थान तय करना होगा।
- छह माह से कम उम्र के आक्रामक कुत्ते का निगम में शपथ पत्र देना होगा।
वित्त वर्ष | एआरवी लगवाने वालों की संख्या |
2018-19 | 31,593 |
2019-20 | 30,026 |
2020-21 | 26,763 |
2021-22 | 47,852 |
2022-23 | 19,341 दिसंबर तक 2023 तक |
कुत्तों के पंजीकरण का अभी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। सोमवार तक आंकड़ा उपलब्ध होगा। कुत्तों को पालने के लिए नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
- डॉ. आशीष कुमार त्रिपाठी, पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी, नगर निगम।