Ghaziabad News: नीलगाय के आने से बिदका खच्चर, मिट्टी से भरी बुग्गी पलटने से दबकर पिता-पुत्र की मौत
Ghaziabad Father Son Death पिता और बेटे मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते थे। दोनों जंगल से मिटी लेने गए थे और बुग्गी से लौट रहे थे। खच्चर के सामने नीलगाय आने से वह बिदक गया और बुग्गी पलट गई। बेटे की गर्दन पर पहिया चढ़ गया और पिता बुग्गी के नीचे दब गया। मदद नहीं मिलने से दोनों की मौत हो गई।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। टीला मोड़ थाना क्षेत्र के निस्तौली गांव में बुधवार तड़के जंगल से बर्तन बनाने के लिए मिट्टी लेकर लौट रहे पिता और पुत्र की बुग्गी में जुड़ा खच्चर नीलगाय का झुंड देखकर बिदक गया। इससे मिट्टी से भरी बुग्गी पलट गई। हादसे में बुग्गी के नीचे दबकर पिता पुत्र की मौत हो गई।
सुबह राहगीर ने देखा तो घटना की जानकारी हुई। सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो स्वजन से कानूनी कार्रवाई से इनकार कर दिया। गमगीन माहौल में गांव में ही दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
बर्तन बनाने के लिए गए थे मिट्टे लेने
पुलिस के अनुसार, निस्तौली गांव में 42 वर्षीय दिनेश पत्नी और दो बेटे प्रियांशु और दीपांशु के साथ रहते थे। वह मिट्टी के बर्तन बनाते थे। बुधवार तड़के चार बजे वह खच्चर जोड़कर बुग्गी से बेटे प्रियांशु (18) के साथ जंगल में डंपर से डलवाई गई मिट्टी लाने गए थे। लौटते समेत रास्ते में खच्चर के आगे नीलगाय का झुंड आ गया।बुग्गी पलटने से दब गए दोनों
नीलगाय देखकर खच्चर बिदक गया। सड़क से नीचे मिट्टी में उतर गया। इस दौरान बुग्गी पलट गई। सुबह करीब आठ बजे राहगीर वहां से गुजर रहे थे तो बुग्गी पलटी देखी। आसपास के लोगों को जानकारी दी। लोगों मौके पर पहुंचे और बुग्गी को सीधा किया तो दिनेश बुग्गी के नीचे मिट्टी में दबे हुए थे और प्रियांशु की गर्दन पर पहिया चढ़ गया था।
लोगों ने स्वजन को सूचना दी। जानकारी मिलने पर टीला मोड़ थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जानी लगी। स्वजन और ग्रामीणों ने हादसा बताकर कानूनी कार्रवाई से इनकार कर दिया।
मदद मिलती तो बच सकती थी दिनेश की जान
मृतक दिनेश के चाचा डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि सुबह तड़के चार बजे हादसा हुआ। इस दौरान मौके पर कोई नहीं था। प्रियांशु के गर्दन पर मिट्टी से भरी बुग्गी का पहिया चढ़ गया था। जबकि दिनेश बुग्गी पलटने से उसके नीचे दब गए थे। यदि समय से मदद मिल जाती तो दिनेश की जान बच सकती थी। वह घर में इकलौता कमाने वाला था। बर्तन बनाकर परिवार का भरण पोषण कर रहा था।
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चाचा सुरेंद्र सिंह बताया कि दिनेश छह भाई थे। वह तीसरे नंबर पर थे। जबकि उनका बड़ा बेटा प्रियांशु 12वीं कक्षा का छात्र था। दिल्ली स्कूल में पढ़ रहा था।पढ़ लिखकर वह घर की आर्थिक स्थित ठीक करने में मदद करता, लेकिन हादसे में पिता पुत्र दोनों की जान ले ली। घटना से पूरा परिवार सदमे में है। गांव के ही श्मशान घाट में दोनों का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया।नीलगाय खच्चर के सामने से हादसा हुआ।जिसमें पिता और पुत्र की मौत हो गई। स्वजन ने पोस्टमॉर्टम के लिए मना कर दिया। शव स्वजन को सौंप दिया गया। -सलोनी अग्रवाल, सहायक पुलिस आयुक्त, शालीमार गार्डन।