महाठग अनूप चौधरी ने DM-SSP को ईमेल कर 3 साल तक लिया 'VIP ट्रीटमेंट', मामला खुलने पर गाजियाबाद से लखनऊ तक मचा हड़कंप
पुलिस की जांच में सामने आया है कि अनूप चौधरी ने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि उत्तराखंड मध्यप्रदेश राजस्थान सहित अन्य प्रदेश में भी फर्जी लेटरहेड के सहारे सुरक्षा की मांग की है। उसके खिलाफ उत्तराखंड उत्तर प्रदेश और राजस्थान में केस दर्ज हैं। उसके द्वारा वैशाली का जो पता पुलिस को बताया गया है वह भी गलत निकला है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। करोड़ों रुपये की ठगी के आरोप में एसटीएफ द्वारा अयोध्या में जालसाज अनूप चौधरी की गिरफ्तारी से खुद को हाईटेक बताने वाली गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है।
गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस ने जालसाज को फर्जी लेटरहेड पर तीन साल में कई बार गनर उपलब्ध कराया है। जिसकी बदौलत वह न केवल प्रदेश बल्कि देश की विभिन्न राज्यों में रौब दिखाता रहा।
सुरक्षा में तैनात गनर निलंबित
एसटीएफ द्वारा अनूप चौधरी की गिरफ्तारी के बाद कमिश्नरेट पुलिस की नींद टूटी और गलती का एहसास होने पर आरोपित के खिलाफ वीआइपी सेल प्रभारी की ओर से कविनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इसके साथ ही आरोपित की सुरक्षा में तैनात गनर पवन के निलंबित कर दिया गया है।
फर्जी लेटर हेड भेज जालसाज खुद को बताता था पदाधिकारी
वीआइपी सेल प्रभारी मयंक अरोरा ने कविनगर थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया है कि मूलत: अयोध्या के रौनाही थानाक्षेत्र के पिलखावा गांव का और वर्तमान में वैशाली का रहने वाला अनूप चौधरी खुद को केंद्र और प्रदेश सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और आयोगों का पदाधिकारी बताकर फर्जी लेटरहेड पर लिखा पत्र ईमेल कर सुरक्षा प्राप्त करता था।
लापरवाह कमिश्नरेट पुलिस जालसाज को मुहैया कराती रही गनर
उसने 18 अक्टूबर 2020 को अपनी ईमेल आईडी से गाजियाबाद के डीएम और एसएसपी को ईमेल भेजकर गनर प्राप्त किया। लेटरपैड में उसने खुद को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का महाराष्ट्र का प्रभारी, फिल्म सेंसर बोर्ड सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार का पूर्व केंद्रीय सलाहकार सदस्य और फिल्म विकास परिषद उत्तर प्रदेश का पूर्व सदस्य दर्शाया था।
इसके बाद उसने छह दिसंबर 2020, 18 दिसंबर 2020, 24 अगस्त 2022 और 30 अगस्त 2022 को सुरक्षा के लिए आवेदन किया और उसे गनर उपलब्ध कराया गया। गाजियाबाद के कमिश्नरेट बनने के बाद अनूप चौधरी ने 27 फरवरी 2023, 10 जुलाई 2023 और 14 सितंबर 2023 को भी गनर प्राप्त किया।
विभिन्न अवसरों पर सुरक्षा की मांग के लिए भेजे गए पत्र में उसने खुद को उत्तर रेलवे का अतिरिक्त प्रदेश सदस्य, फिल्म विकास परिषद उत्तर प्रदेश का पूर्व सदस्य, भारतीय खाद्य निगम की सलाहकार समिति का सदस्य बताया है।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि अनूप चौधरी ने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित अन्य प्रदेश में भी फर्जी लेटरहेड के सहारे सुरक्षा की मांग की है। उसके खिलाफ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में केस दर्ज हैं। उसके द्वारा वैशाली का जो पता पुलिस को बताया गया है, वह भी गलत निकला है।
सिपाही को किया गया निलंबित
यूपी एसटीएफ ने अयोध्या में सर्किट हाउस से पकड़े गए अनूप चौधरी की गिरफ्तारी के वक्त उसके साथ मौजूद गाजियाबाद कमिश्नरेट के सिपाही पवन की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी। इसके बाद सिपाही काे निलंबित किया गया है।
आरोप है कि वह बिना अनुमति के गाजियाबाद से बाहर उसके साथ गया था। हालांकि, इस मामले में आरोपित को गनर मुहैया कराने वाले अधिकारियों पर अभी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले वीआइपी सेल प्रभारी भी सवालों के घेरे में हैं।
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इस मामले में यह भी पता चला है कि सिपाही पवन को अनूप चौधरी ने फोन कर गाजियाबाद से अयोध्या बुलाया था, वह खुद अयोध्या में मौजूद था। गाजियाबाद से अयोध्या तक सिपाही अनूप चौधरी के ड्राइवर फिरोज के साथ गया था।
आरोपित को पहले डीएम कार्यालय की रिपोर्ट के आधार पर गनर मिला था, इसके बाद कमिश्नरेट बनने के बाद भी उसे अस्थायी तौर पर गनर पहले की रिपोर्ट देखते हुए मुहैया कराए गए। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा प्रोटोकाल उपलब्ध कराने के लिए जारी होने वाली वीआइपी लोगों की सूची में उसका नाम नहीं है। पत्र मिलने पर पहले की तरह गाजियाबाद में सुरक्षा के लिए उसे गनर दिया गया था, लेकिन नियमों का उल्लंघन कर गनर पवन अयोध्या चला गया। इस कारण उसे निलंबित किया गया है। एडीसीपी प्रोटोकाल वीरेंद्र कुमार को मामले की जांच सौंपी गई है।
- अजय कुमार मिश्र, पुलिस कमिश्नर