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गाजियाबाद में जाम से राहत दिलाने की कवायद शुरू, तीन सड़कें बनाने की प्रक्रिया में आई तेजी

यूपी के गाजियाबाद में हर दिन लाखों लोगों को जाम की झंझट से दो-चार होना पड़ता है। दिल्ली से एलिवेटेड रोड होते हुए आने-जाने वाले लोग रोजाना जाम में फंसकर परेशान होते हैं। ऐसे में अब प्राधिकरण ने जाम की झंझट से राहत दिलाने की कवायद शुरू कर दी है। जमीन लेने के लिए किसानों के साथ अगली बैठक 12 मार्च को होगी।

By Vivek Tyagi Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Tue, 05 Mar 2024 07:58 PM (IST)
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गाजियाबाद में जाम से राहत दिलाने की कवायद शुरू
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। दिल्ली से एलिवेटेड रोड होते हुए राजनगर एक्सटेंशन, मुरादनगर, मोदीनगर व अन्य स्थानों पर आने-जाने वाले लाखों लोग रोजाना जाम में फंसकर परेशान होते हैं। लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जीडीए ने कवायद शुरू कर दी है। इस कड़ी में मंगलवार को प्राधिकरण सभागार में जीडीए अधिकारियों व किसानों की बैठक हुई।

जमीन न मिलने से अटका काम

किसानों ने जमीन देने के रजामंदी दे दी है। नादर्न पेरिफेरल रोड, राजनगर एक्सटेंशन आउटर रिंग रोड व मिगसन सोसायटी के सामने जोनल प्लान की रोड जो वर्तमान में जमीन न मिलने के कारण अटकी पड़ी है। उक्त सड़कों में किस किसान की कितनी जमीन आ रही है। इसके लिए प्राधिकरण का भू-अर्जन अनुभाग रिकॉर्ड खंगालकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसके बाद जमीन लेने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।

12 मार्च को किसानों के साथ बैठक

जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि बैठक में किसानों का रूख सकारात्मक रहा। अब प्राधिकरण अपने स्तर से कार्रवाई शुरू करेगा। किसानों के साथ अगली बैठक 12 मार्च को होगी। मालूम हो कि उपरोक्त तीनों सड़कों में 3646 वर्गमीटर जमीन किसानों की आ रही है। जीडीए के मुख्य अभियंता मानवेंद्र सिंह ने बताया कि नादर्न पेरिफेरल रोड के लिए मोरटा गांव की 787 वर्गमीटर, राजनगर एक्सटेंशन आउटर रिंग रोड के लिए मोरटा गांव की 160 वर्गमीटर, शाहपुर गांव की 430 वर्गमीटर, अटौर गांव की 290 वर्गमीटर, मोरटी नूरनगर गांव की 500 वर्गमीटर और 45 मीटर चौड़ी रोड के लिए सिकरोड गांव की 900 वर्गमीटर व मोरटा की 559 वर्गमीटर जमीन ली जानी है।

डीएम सर्किल रेट की दर पर नए अधिग्रहण कानून के हिसाब से किसानों से जमीन ली जाएगी। प्रयास किया जाएगा कि समझौते के तहत किसानों को मुआवजा देकर जमीन ली जा सके, क्योंकि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया लंबी है। इसमें जमीन लेने में ज्यादा समय लगेगा। इसीलिए समझौते के तहत मुआवजा देने के बाद जमीन लेकर तुंरत निर्माण कार्य शुरू किया जा सकेगा।

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