अंकित खैला गिरोह का सदस्य साथी संग गिरफ्तार, आका की जेल में हत्या के बाद डरकर करने लगा था एटीएम फ्रॉड
क्राइम ब्रांच की टीम ने बातों में फंसाकर एटीएम बूथ में से कार्ड बदलकर खाता खाली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दो आरोपितों काे गिरफ्तार कर इनके पास से हथियार व विभिन्न बैंकों के 20 डेबिट कार्ड बरामद किए हैं। अंकित खैला की जेल में हत्या के बाद से वह डरकर संगीन अपराध छोड़ एटीएम फ्रॉड के धंधे में आ गया था।
By Ashutosh GuptaEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Tue, 25 Jul 2023 07:07 PM (IST)
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। जिले की क्राइम ब्रांच की टीम ने भोले-भाले लोगों को बातों में फंसाकर एटीएम बूथ में से कार्ड बदलकर खाता खाली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दो आरोपितों काे गिरफ्तार कर इनके पास से हथियार व विभिन्न बैंकों के 20 डेबिट कार्ड बरामद किए हैं।
आका की हत्या के बाद फ्रॉड के धंधे में आया
गिरोह का सरगना कुख्यात अंकित खैला गिरोह का बदमाश है। अंकित खैला की जेल में हत्या के बाद से वह डरकर संगीन अपराध छोड़ एटीएम फ्रॉड के धंधे में आ गया और उसने अपना गिरोह तैयार कर लिया था। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी जुटा रही है।
एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में बागपत के चांदीनगर का सुनील तंवर व हापुड़ के हाफिजपुर का सतीश उर्फ काकू है। गिरोह का सरगना सुनील है और वह 10वीं पास है। जबकि सतीश सातवीं पास है।
आरोपित दिल्ली एनसीआर समेत हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत अन्य प्रदेशों में घूमकर एटीएम में पैसा निकालने वालों की मदद के बहाने कार्ड बदलकर व पासवर्ड जानकार खाते से रकम निकाल लेते थे। गिरोह में अन्य सदस्य भी शामिल हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। जांच में आया है कि सुनील पर पूर्व में कुल सात व सतीश पर 22 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। दोनों पूर्व में कई बार जेल जा चुके हैं।
पहले दूध बेचने का करता था काम
क्राइम ब्रांच प्रभारी अब्दुर रहमान सिद्धीकी ने बताया कि सुनील ने पूछताछ में बताया कि वह पूर्व में दूध बेचने का काम करता था। काम में ज्यादा आमदनी नहीं होने पर वह गांव के कुख्यात अपराधी अंकित खैला के गिरोह में शामिल हो गया। उसके साथ अपहरण, लूट जैसे संगीन अपराध करने लगा।इस बीच वर्ष 2021 में तिहाड़ जेल में अंकित की हत्या हो गई। जेल से छूटने के बाद वह गांव में ही रहने लगा और सतीश के संपर्क में आकर एटीएम फ्राड के धंधे में लिप्त हो गया। इसके बाद उसने अपना गिरोह खड़ा कर लिया और सतीश के साथ ही वारदात को अंजाम देने लगा। उसने देखा कि इस काम में जान भी जोखिम में नहीं है और पैसा भी अच्छा कमाया जा सकता है।
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