Move to Jagran APP

लापरवाही की इंतहा: GDA के तत्कालीन सचिव ने परिचितों को कराया गलत भूखंड आवंटन, फिर प्राधिकरण ने जांच में लगाए डेढ़ साल

जांच के दौरान गलत तरीके से भूखंड पाने वालों ने आपत्ति दर्ज कराई लेकिन कमेटी ने सभी की आपत्तियों को खारिज किया। जीडीए के आर्थिक हित से जुड़े मामले को भी गंभीरता से न लेकर एक जांच रिपोर्ट को तैयार करने में डेढ़ साल लगाना जीडीए की कार्यप्रणाली की पोल खोलता है। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि जांच रिपोर्ट मिल गई है।

By Pooja Tripathi Edited By: Pooja Tripathi Updated: Thu, 13 Jun 2024 02:36 PM (IST)
Hero Image
जीडीए में चल रही लापरवाही की इंतहा। जागरण
विवेक त्यागी, गाजियाबाद। इंदिरापुरम योजना में साल 2003-04 में गलत तरीके से आवंटित आठ भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया की जांच पूरी करने में जीडीए की कमेटी ने डेढ़ साल लगा दिया।

जांच रिपोर्ट में कमेटी ने गलत तरीके से आठों भूखंड का आवंटन किए जाने की पुष्टि की है और भूखंडों का आवंटन निरस्त करने की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट जीडीए उपाध्यक्ष को सौंप दी है।

जांच के दौरान गलत तरीके से भूखंड पाने वालों ने आपत्ति दर्ज कराई लेकिन कमेटी ने सभी की आपत्तियों को खारिज किया। जीडीए के आर्थिक हित से जुड़े मामले को भी गंभीरता से न लेकर एक जांच रिपोर्ट को तैयार करने में डेढ़ साल लगाना जीडीए की कार्यप्रणाली की पोल खोलता है।

अगला निर्णय लेने में लगेगा और वक्त

जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि जांच रिपोर्ट मिल गई है। गहनता से इसका अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद ही मामले में अगला निर्णय लिया जाएगा। आठों भूखंड का आवंटन निरस्त कर जीडीए अगर इन्हें नीलामी में बेचता है तो जीडीए के कोष में करीब 35 करोड़ का इजाफा होगा।

दरअसल, वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व पार्षद और जीडीए बोर्ड सदस्य रहे राजेंद्र त्यागी ने साल 2003-04 में नियम विरुद्ध आवंटन की शिकायत की थी। साल 2010 में पूर्व विधायक रवींद्र कुमार ने मामले को उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

तत्कालीन सचिव पर लगे गंभीर आरोप

आरोप था कि साल 2003-04 में तत्कालीन जीडीए सचिव ने पद का दुरुपयोग कर अपने परिचिताें व रिश्तेदारों के नाम भूखंड गलत तरीके से आवंटित किए थे।

तत्कालीन जीडीए सचिव श्याम सिंह यादव के पास 200 वर्गमीटर तक के भूखंड के आवंटन का अधिकार था क्योंकि वह तत्कालीन सरकार के बहुत करीबी थे। इसका उन्होंने खूब दुरुपयोग किया। रिश्तेदारों व परिचितों को लाभ पहुंचाया।

फाइलें खंगालने पर पता चला कि धर्म सिंह यादव को रचना वैशाली में आवंटित एचआइजी फ्लैट के स्थान पर ज्ञानखंड-दो में भूखंड संख्या-161, पुष्पा यादव को एलआइजी फ्लैट के स्थान पर भूखंड संख्या-192, गोपीचंद को एलआइजी फ्लैट के स्थान पर भूखंड संख्या-200, संजय कुमार को कर्पूरीपुरम के फ्लैट के स्थान पर भूखंड संख्या-197 का आवंटन किया।

निरस्त हुई योजना में भूखंड आवंटित किए गए थे

सभी भूखंड इंदिरापुरम योजना के ज्ञानखंड-दो में आवंटित किए। वहीं हस्तिनापुर योजना, जो निरस्त हो गई थी, उसके आवेदक संजय कुमार जुनेजा, कमलजीत कौर, अंजू मेहता व मिथलेश कुमार को भी उपरोक्त योजना में भूखंड आवंटित किए।

पूर्व विधायक की याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में हाई कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र का हलफनामा तलब किया था। इसके बाद ही इस प्रकरण को लेकर पुरानी फाइलें खंगालकर जांच पड़ताल शुरू हुई थी।

जीडीए की तरफ से मामले में पैरवी न किए जाने के चलते हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया था। इसी के बाद अधिकारियों के होश उड़ गए थे। तभी से मामला चर्चा का विषय बना और जांच शुरू हुई थी।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।