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Ghaziabad Foundation Day: 48 सालों में गाजियाबाद ने भरी विकास की उड़ान, विकसित शहरों में शामिल हुआ नाम

Ghaziabad Foundation Day गाजियाबाद जिले की स्थापना दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है जो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है। 1976 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इसी दिन गाजियाबाद को मेरठ जिले से अलग करके जिला घोषित किया था। अब साल 2024 में गाजियाबाद जिले ने उत्तर प्रदेश के विकसित जिलों की लिस्ट में अपनी पहचान बना ली है।

By Abhishek Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 14 Nov 2024 10:51 AM (IST)
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गाजियाबाद शहर की तस्वीर। फोटो- जागरण अर्काइव
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। Ghaziabad Foundation Day : 1976 में गाजियाबाद को मेरठ जिले की एक तहसील के रूप में जाना जाता था, उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। उन्होंने गाजियाबाद तहसील और हापुड़ तहसील को मिलाकर गाजियाबाद को अलग जिला बनाया, उस वक्त गढ़ गंगा से हरंनदी नदी तक का क्षेत्र गाजियाबाद में आता था।

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जन्मतिथि पर गाजियाबाद को जिला बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने की। इस जिले का पहला जिलाधिकारी उन्होंने मुझको नियुक्त किया। उस समय काफी छोटी जगह थी, जो कुछ था तहसील के पास और घंटाघर के पास ही था, यहां पर उस वक्त 1.60 लाख की आबादी थी।

देखते-देखते विकसित जिला बना गाजियाबाद

कविनगर नया - नया बस रहा था, राजनगर में खेत में फसलें लहलहा रही थीं। उस वक्त साधन नहीं थे, मेरठ और दिल्ली से साधन मिलते थे। गाजियाबाद ने देखते - देखते बहुत तरक्की की है, आज गाजियाबाद को विकसित जिला के रूप में जाना जाता है। उस समय गाजियाबाद में प्रदूषण की समस्या नहीं थी, गाजियाबाद को विकसित करने के दौरान इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया।

यदि शुरू से इस पर ध्यान दिया गया होता तो यह समस्या नहीं रहती है, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें सुधार होगा और लोग शुद्ध हवा में सांस ले सकेंगे। यह कहना है जिले के पहले जिलाधिकारी नरेंद्र नाथ वर्मा का, जो जिलाधिकारी से पहले यहां एडीएम थे।

देश की पहली नमो भारत ट्रेन का हो रहा परिचालन

वह बताते हैं कि गाजियाबाद में 1976 के वक्त सार्वजनिक परिवहन के साधनो में मुख्य रूप से ट्रेन और बस की सुविधाएं थीं, अब यहां पर देश की पहली नमो भारत ट्रेन का परिचालन हो रहा है। हिंडन एयरपोर्ट बनने से एयर कनेक्टिविटी की सुविधा है, जिससे कुछ ही मिनटों में एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंच सकते हैं।

सैकड़ों की संख्या में हैं बहुमंजिला इमारते

आज यहां पर सैकड़ों की संख्या में बहुमंजिला इमारते हैं, जिनमें न केवल गाजियाबाद बल्कि देश के विभिन्न राज्यों के लोग अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं, जो कि न केवल गाजियाबाद बल्कि दिल्ली- एनसीआर में कार्य कर गाजियाबाद के साथ एनसीआर के आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं, गाजियाबाद जिला अब औद्योगिक के साथ शिक्षा की नगरी के रूप में जाना जाता है।

ऐतिहासिक विरासत को संजोते हुए आगे बढ़ रहा गाजियाबाद

पौराणिक काल से गाजियाबाद का अपना अस्तित्व है। जानकार बताते हैं कि इंद्रप्रस्थ (वर्तमान में दिल्ली ) की स्थापना से पहले गढ़मुक्तेश्वर और यमुना नदी के बीच के क्षेत्र को खन्डव प्रस्थ (खांडव वन) के नाम से जाना जाता था, यह क्षेत्र ही वर्तमान में गाजियाबाद है। उस वक्त खन्डव प्रस्थ में सघन वन था, इनके बीच में कुछ गांव और घर थे। प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर भी यहां पर है।

महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ और हस्तिनापुर के बीच कौरवों और पांडवों का आवागमन यहीं से होता था। मुगल काल में दिल्ली से कोलकाता जाने वाला राजमार्ग (वर्तमान में जीटी रोड) चालू हो चुका था। मुगलों ने शुरू में क्रीड़ा भूमि के रूप में इस स्थान का इस्तेमाल किया।

1750 ई. में अहमदशाह के वजीर गाजिउद्दीन ने इसे एक छोटे से नगर का रूप दिया और नगर के चारों ओर चार दरवाजे बनवाए और सैनिक दस्तों के लिए एक सराय बनाई। उसने ही इसे गाजिउ्द्दीन नगर नाम दिया, जिसे बाद में छोटाकर गाजियाबाद कर दिया गया।

क्रांतिकारियों ने गाजियाबाद से स्वतंत्रता संग्राम का किया नेतृत्व

1857 में मेरठ से प्रारंभ हुए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हरनंदी नदी के किनारे अंग्रेजों और स्वतंत्रता सेनानियों के बीच युद्ध हुआ। 1930 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदाेलन के दौरान देश के अनेक नेता और क्रांतिकारियों ने गाजियाबाद से स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।

1947 से पहले गाजियाबाद महज एक कस्बा था, विभाजन के बाद पाकिस्तान से शरणार्थी बनकर आए हिंदुओं ने अपने परिश्रम से इसे औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित किया।

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