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Ghaziabad: जननी सुरक्षा योजना के भुगतान में मिली गड़बड़ी, एक महिला के खाते में तीन बार किया भुगतान

शासन के निर्देश पर हुई जांच में पता चला है कि जिला महिला अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना के भुगतान में गड़बडी हो रही है। एक महिला के खाते में तीन-तीन बार अनुदान राशि का भुगतान किया गया जबकि कई महिलाओं को प्रसव के एक साल बाद भी अनुदान नहीं मिला है। वहीं कैश बुक में भी कई अनियमितता मिली है।

By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Sat, 07 Oct 2023 09:05 AM (IST)
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Ghaziabad: जननी सुरक्षा योजना के भुगतान में मिली गड़बड़ी।
मदन पांचाल, गाजियाबाद। शासन के निर्देश पर हुई जांच में पता चला है कि जिला महिला अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना के भुगतान में गड़बडी हो रही है। एक महिला के खाते में तीन-तीन बार अनुदान राशि का भुगतान किया गया, जबकि कई महिलाओं को प्रसव के एक साल बाद भी अनुदान नहीं मिला है।

जांच समिति ने रिपोर्ट भेजकर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। वहीं, कैश बुक में भी कई अनियमितता मिली है। चार कंपनियों को किए भुगतान संबंधी दस्तावेजों की जांच में कई अनियमितता मिली हैं। अस्पताल प्रबंधन ने इसे सामान्य आपत्ति लगाया जाना बताया है।

समिति में शामिल थे तीन सदस्य

राज्यस्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति ने 17 से 20 मई के बीच जिले के सरकारी अस्पतालों, सीएचसी व सीएमओ कार्यालय का निरीक्षण करने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं व वित्तीय व्यवस्था की जांच की थी।

समिति में आफिसर आडिट विकास कुंवर, परामर्शदाता आरबीएसके धर्मेन्द्र कुमार साहू और मंडलीय नोडल अधिकारी डा.एबी सिंह शामिल रहे। बारीकी से जांच में कई गड़बड़ी पकड़ी गईं। जांच रिपोर्ट नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक को भेजी गई है।

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योजना से जुड़े छह अन्य बिलों में मिली अनियमितता का बिंदुवार विवरण 

  • श्रद्धा इंटरप्राजेज के सात लाख रुपये के भुगतान के चार बिलों में टेंडर व कोटेशन पत्रावली गायब मिली l
  • अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी के पांच लाख के भुगतान के नौ बिलों में टेंडर प्रक्रिया से बचने को क्रय आदेश को टुकडों में विभाजित कर दिया l
  • मरीजों को खाना देने वाली फर्म के चयन की पत्रावली मांगने पर नहीं दी गई। गड़बड़ी की आशंका है l
  • खाना देने वाली श्रीमती लक्ष्मी देवी जन कल्याण समिति को किए गए 10 लाख रुपये के भुगतान के बिल व वाउचर प्रस्तुत नहीं किए गए l
  • बालाजी ट्रेडर्स को हुए आठ लाख रुपये के भुगतान की फाइलों में कोटेशन व टेंडर पत्रावली नहीं मिली।
जांच समिति ने रिपोर्ट में इनके खिलाफ की कार्रवाई की संस्तुति

  • सीएमएस डा.सुमाता तालिब।
  • मुख्य लिपिक पंकज उपाध्याय।
  • लिपिक(एनएचएम) जितेंद्र कुमार।

जननी सुरक्षा से जुड़े अहम तथ्य।

  • सरकारी अस्पतालों में कुल 7502 प्रसव कराए गए।
  • जननी सुरक्षा योजना के तहत 2235 को 1400 रुपये की दर से अनुदान का भुगतान किया गया।
  • 3893 को 1000 रुपये की दर से अनुदान का भुगकतान किया गया।
  • योजना के तहत 1374 महिलाओं के अनुदान का भुगतान अभी भी लंबित है।
लाभार्थी, कंचन ने बताया- जिला महिला अस्पताल में तीन महीने पहले सिजेरियन प्रसव से बेटा पैदा हुआ था। नाम,पता, बैंक खाता व मोबाइल नंबर तुरंत लिया गया था, पर जननी सुरक्षा योजना का अनुदान अब तक नहीं मिला है।

इस बारे में जिला अस्पताल की सीएमएस, डॉ. सुमाता तालिब ने बताया कि अधिकांश सामान व औषधि जेम पोर्टल से क्रय हो रही है। जांच समिति की आपत्तियों का जवाब दे रहे हैं। योजना में एक लाभार्थी को तीन बार भुगतान की जांच हो रही है। सीएमओ व एनएचएम को आख्या भेजी जा रही है।

CMO, डॉ. भवतोष शंखधर ने कहा- जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अधिकारियों व लेखाकार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। पिछले दो साल में किए भुगतान से जुड़े बिलों व फाइलों का अलग से आडिट कराया जाएगा।

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