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एक दिन पहले वकील के मर्डर की प्लानिंग, रक्षाबंधन खराब करने की पत्नी को धमकी, हत्‍यारों ने यूं रची पूरी साजिश

गाजियाबाद में वकील मनोज चौधरी उर्फ मोनू की हत्या की साजिश उसके जीजा अमित डागर व उसके छोटे भाई नितिन डागर ने एक दिन पहले ही रच ली थी। बुधवार सुबह ही अमित डागर ने मृतक की पत्नी के पास फाेन करके कहा था कि आज तुम्हारा रक्षाबंधन खराब कर देंगे। आरोपी ने पांच से 10 सेकेंड के बीच ही पूरी वारदात को अंजाम दिया।

By Ashutosh GuptaEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Wed, 30 Aug 2023 07:45 PM (IST)
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गाजियाबाद में दिन दहाड़े वकील की गोली मारकर हत्या

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। अधिवक्ता मनोज चौधरी उर्फ मोनू की हत्या की साजिश उसके जीजा अमित डागर व उसके छोटे भाई नितिन डागर ने एक दिन पूर्व ही रच ली थी। इसके तहत दोनों ने तमंचे का इंतजाम किया। बुधवार सुबह ही अमित डागर अपने ग्रेटर नोएडा ऑफिस पहुंच गया और पुलिस से बचने के लिए उसने अपना मोबाइल फोन ऑफिस में ही छोड़ दिया।

वह साले के चैंबर के पड़ोस में अपने भाई नितिन डागर के चैंबर पर पहुंचा और नितिन को तमंचा देकर मनोज चौधरी को गोली मारने के लिए कहा। इसके बाद दोनों ने मुंह पर नकाब बांधा और बेधड़क चैंबर में घुसकर मनोज की कनपटी पर तमंचा सटाकर गोली मार दी। इस घटनाक्रम को दोनों ने इतनी जल्दी अंजाम दिया कि न तो मनोज चौधरी अपना बचाव कर सके और न ही चैंबर में मौजूद तीन अन्य लोग समझ पाए कि यह क्या हो गया।

चंद सेकेंड में हुई पूरी वारदात

चैंबर के मालिक व घटना के चश्मदीद मुनेश त्यागी का कहना है कि पांच से 10 सेकेंड के बीच ही यह पूरी वारदात हो गई। जब तक वह कुछ समझ पाते तब तक आरोपित मौके से जा चुके थे। बहन सरिता का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे से बात की थी तो उसने बताया था कि पापा ऑफिस में मोबाइल छोड़कर सुबह से ही निकले हुए हैं।

रक्षा बंधन खराब करने की धमकी

मृतक मनोज चौधरी की पत्नी कविता का कहना है कि बुधवार सुबह ही अमित डागर ने उनके पास फाेन किया था और कहा था कि आज तुम्हारा रक्षाबंधन खराब कर देंगे। कविता इस बात को नहीं समझ सकी और उन्होंने अपने पति को फोन नहीं किया। उन्हें नहीं पता था कि उनका ननदोई अमित इस वारदात को अंजाम दे देगा।

आए दिन मनोज को धमकी देता था अमित

मृतक की बहन सरिता डागर का कहना है कि पति आए दिन शराब पीकर उनके साथ मारपीट करता था। वह बच्चों के साथ भी मारपीट करता था। इसके चलते वह जून माह में अपने मायके आकर रहने लगी थीं। इसके बाद से अमित व नितिन दोनों भाई मनोज को फोन पर जान से मारने की धमकी देते थे, लेकिन मनोज बहन का परिवार बसाने के लिए उनकी धमकी व गाली-गलौज सुनता रहता था। उन्होंने जीजा व उसके भाई को कभी भी पलट कर जवाब नहीं दिया।

जनवरी में भी परिवार पर की थी फायरिंग

अमित डागर ने 15 जनवरी को शराब के नशे में परिवार पर लाइसेंसी रिवाल्वर से फायरिंग की थी। उसने स्वजन पर करीब 15 राउंड फायर किए थे। जिसमें एक गोली उसकी मां ओमवती डागर के हाथ में लग गई थी और बाकी स्वजन बाल-बाल बचे थे। बाद में आरोपित दरवाजा बंद कर छत पर चढ़ गया था। वह कनपटी पर रिवाल्वर लगाकर आत्महत्या की धमकी देने लगा।

मौके पर पहुंची पुलिस ने बमुश्किल मान-मनौव्वल उसे नीचे उतारा था और रिपोर्ट दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था। बाद में पुलिस ने उसके लाइसेंस निरस्तीकरण की रिपोर्ट भेजकर उसका लाइसेंस निरस्त करा दिया था। इसके अलावा भी अमित पर अन्य थानों में मारपीट समेत अन्य मामले दर्ज हैं।

हत्या से पांच मिनट पहले तहसील से निकली थी पुलिस

हापुड़ में अधिवक्ताओं की पिटाई मामले में बुधवार को तहसील परिसर में हड़ताल रखी गई थी। अधिकांश अधिवक्ताओं ने अपने चैंबर नहीं खोले थे। वहीं अधिवक्ता बार रूम में बैठक कर रहे थे। इसके चलते एहतियात के तौर पर तहसील परिसर में भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया था। बैठक समाप्त होने के बाद जैसे ही पुलिस तहसील से बाहर निकली। इसी दौरान आरोपितों ने वारदात को अंजाम दे दिया। सूचना पर पुलिस वापस दौड़ी और मौके पर पहुंची।

12 दिन पहले ही मनाया था बेटे का जन्मदिन

12 दिन पूर्व 18 अगस्त को अधिवक्ता मनोज चौधरी के बेटे आरव का जन्मदिन था। उन्होंने जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया था। चारों बहन इस आयोजन में शामिल हुई थीं। उन्हें नहीं पता था कि जश्न का यह माहौल 12 दिन बाद मातम का रूप ले लेगा। बहन व अन्य स्वजन इस बात को याद करके रो रहे थे।

छीन लिया हमसे हमारा इकलौता भाई

बड़ी बहन सरिता व छोटी तीन बहनें सपना, कल्पना व ज्योति का मनोज चौधरी इकलौता भाई था। चारों ने मिलकर बृहस्पतिवार को रक्षाबंधन की तैयारी करी हुई थी। उन्हें नहीं पता था कि वह रक्षाबंधन नहीं मना पाएंगी और उनका इकलौता भाई साथ छोड़कर चला जाएगा। जिला एमएमजी अस्पताल में शव के आगे चारों बहन बिल-बिलाकर यही कह रही थीं कि आरोपितों ने उनका इकलौता भाई छीन लिया और उनका परिवार बर्बाद कर दिया।

तहसील परिसर में हमेशा भीड़भाड़ रहती है और संकरी गलियां हैं। ऐसे में आरोपित तमंचा लेकर चैंबर पर पहुंच गए और हत्याकांड को अंजाम देकर मौके से आसानी से फरार हो गए। ऐसे में पुलिस की गश्त पर सवाल उठे हैं। आरोपितों ने फरार होते हुए भी चेहरे पर रूमाल बांधा हुआ था और हेलमेट नहीं लगाया हुआ था। ऐसे में यदि पुलिस की चेकिंग व गश्त सख्त होती तो आरोपितों को पकड़ा जा सकता था।

दहेज उत्पीड़न के मुकदमे के बाद बढ़ गया था अत्याचार

सरिता डागर ने वर्ष 2010 में पति अमित डागर समेत अन्य ससुरालियों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद ससुराल पक्ष का उत्पीड़न और बढ़ गया था। पति समेत ससुर, सास व देवर उनके साथ और ज्यादा मारपीट करने लगे थे। बाद में वह समय-समय पर मायके आ जाती थीं तो उनका उत्पीड़न रूकता था।

दोनों बेटों को शेर कहती थी सास

बहन सरिता का आरोप हे कि जनवरी में जब पति अमित डागर ने फायरिंग की थी और सास ओमवती के हाथ में गोली लग गई थी तो वह अपने दोनों बेटों को शेर कहने लगी थी। सरिता का आरोप है कि ओमवती अक्सर धमकी देती थी कि यदि वह ससुराल में आकर नहीं रही तो उनके बेटे गोली से पूरे परिवार को उड़ा देंगे।

बैठक में चले गए होते मनोज तो बच जाती जान

तहसील परिसर में अधिवक्ताओं का कहना है कि बार रूम में हापुड़ घटना के विरोध में हुई बैठक में सभी अधिवक्ताओं को बुलाया गया था। अधिकांश अधिवक्ता बैठक में पहुंचे थे लेकिन मनोज चौधरी चैंबर में बैठकर खाना खाने लगे थे। यदि वह भी बैठक में पहुंच जाते तो उनकी जान बच सकती थी। अधिवक्ताओं को इस बात का दुख है।

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