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गाजियाबाद की महापौर बोलीं- मृत्यु और त्याग पत्र मंजूर पर अपमान नहीं, नगर आयुक्त ने किया जवाबी पलटवार

मेयर सुनीता दयाल ने गाजियाबाद नगर निगम (जीएमसी) द्वारा लिए गए कई फैसलों पर सवाल उठाए। इससे कुछ दिन पहले कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक ने आरोप लगाया था कि उनके पति नगर निगम के दैनिक कामकाज में दखल दे रहे हैं और निगम की ओर से फैसले ले रहे हैं। महापौर ने निगम में फाइलें रोकने व भुगतान करने के नाम पर भ्रष्टाचार करने का आरोप निगम अधिकारियों पर लगाया।

By Vivek Tyagi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 12 Aug 2024 02:07 PM (IST)
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नगर निगम सभागार में प्रेस वार्ता के दौरान जानकारी देती महापौर सुनीता दयाल। फोटो- जागरण
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। महापौर सुनीता दयाल और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक व निगम के अन्य अधिकारियों के बीच तनातनी की सिलसिला जारी है। रविवार को निगम कार्यालय में प्रेस वार्ता कर महापौर ने नगर आयुक्त समेत निगम अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए।

महापौर ने कहा कि मृत्यु मंजूर है त्याग पत्र मंजूर है मगर अपमान नहीं। आईएएस भले ही न बन पाई, लेकिन सड़कों पर संघर्ष करते-करते पूरा जीवन बीता है। मैं सरकारी अधिकारियों व कार्यालय में हो रहे फर्जीवाड़े को पकड़ने में सक्षम हूं। पूरे मामले में महिला आयोग व शासन में शिकायत की जाएगी।

कंप्यूटर ऑपरेटर को हटाया गया, यह तानाशाही

महापौर ने कहा कि मेरे यहां कंप्यूटर ऑपरेटर राजकुमार तैनात था। पूर्व महापौर के साथ भी यह तैनात था। अचानक से उसे मेरे कैंप कार्यालय से हटा दिया गया। मेरे से बात तक नहीं की गई। यह तानाशाही है।

अगर राजकुमार पर उगाही के आरोप थे तो मुझे बताना चाहिए था। अगर जरा सी भी अनियमिततता होती तो मैं उसे खुद नाप देती। मुझसे बताए बगैर ऑपरेटर को हटाना पूरी तरह नगर आयुक्त की तानाशाही प्रवृत्ति का परिचायक है।

आरोप लगाया कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली फर्म जेएस एंवायरो सर्विस लिमिटेड को 350 सीएनजी वाहनों के संचालन व रखरखाव को काम 61499 रुपये प्रति वाहन के हिसाब से 10 साल के लिए देकर भारी अनियमितता की गई, जबकि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली दूसरी फर्म नेचर ग्रीन 41422 रुपये प्रति वाहन के भुगतान के रेट पर काम कर रही है। यह फर्म 200 गाड़ियों का संचालन व रखरखाव कर रहे हैं। इसका टेंडर भी सिर्फ पांच साल के लिए है।

महापौर ने निगम पर लगाया फाइलें रोकने का आरोप

महापौर ने कहा कि 15वें वित्त आयोग की विकास निधि की बैठक में 350 कूड़ा कलेक्शन वाहन 30 हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से भुगतान करने का प्रस्ताव पास हुआ था। महापौर ने निगम में फाइलें रोकने व भुगतान करने के नाम पर भ्रष्टाचार करने का आरोप निगम अधिकारियों पर लगाया।

जेएस इंवायरो की फाइल मांगने पर अधिकारी बौखला गए। फाइल दी, लेकिन जरूरी दस्तावेज उसमें से निकाल लिए। सिर्फ एग्रीमेंट था फाइल में। फर्जीवाड़ा उजागर न हो जाए। इसीलिए नगर आयुक्त व नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने मुझ व मेरे पति पर झूठे आरोप लगाए। नगर आयुक्त व नगर स्वास्थ्य अधिकारी के इस कृत्य से निगम को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति प्रतिमाह की हुई व हो रही है।

विधिवत नहीं की गई टेंडर आवंटन की प्रक्रिया

संयुक्त नगर आयुक्त ओम प्रकाश जो काफी समय से बीमार चल रहे हैं और वह कार्यालय आ भी नहीं रहे थे। उन्हें टेंडर आवंटन की कमेटी का चेयरमैन बना दिया गया। टेंडर आवंटन की प्रक्रिया विधिवत नहीं की गई। आवंटन की पत्रावली पर कमेटी के चेयरमैन के हस्ताक्षर तक नहीं है। जेएस इंवायरो को चार करोड़ का भुगतान कराने के लिए लेखाधिकारी गीता कुमारी ने नियमों का पालन किया तो उसके सारे अधिकार छीनकर बेइज्जत किया गया।

महापौर ने कहा कि मेरे द्वारा निगम में व्याप्त भ्रष्टावार पकड़ने पर मेरे पति को बीच में लाया गया। चंद पुराने कार्यकर्ताओं के अलावा किसी ने मेरे पति की शक्ल तक नहीं देखी होगी। नगर आयुक्त ने महिलाओं का अपमान करने का काम किया है। यह बर्दाश्त नहीं होगा। भ्रष्टाचार पकड़ने के लिए पति या किसी करीबी से या ओएसडी रखकर सलाह लेना कोई अपराध नहीं है।

नियम विरूद्ध आवंटित जेएस इंवायरों को आवंटित टेंडर हर हाल में निरस्त कराया जाएगा। निगम अधिकारी गृहकर बढ़ोतरी को लेकर कुचक्र रच रहे हैं। अधिकारी जबरन शहर की जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ाना चाहते हैं। ऐसा किसी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा।

ऑडिटोरियम के बकाया का मामला भी उठाया 

उन्होंने कहा कि निगम अधिकारी सांठगांठ कर सोते रहे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम के बकाया का मामला भी उन्होंने ही उठाया था। इसी के बाद उनके निर्देश पर आडिटोरियम को सील किया गया। पता चला है कि निगम से किराये पर लेकर ऑडिटोरियम संचालित करने वाले ने जो चेक दिए थे वह डिसआर्डर हो गए हैं, लेकिन सांठगांठ होने के चलते उक्त फर्म के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इसी तरह रमतेराम शापिंग काम्प्लेक्स के किराये के गणना में काफी गड़बड़ी की गई। संतोष अस्पताल समेत शहर के तमाम व्यावसायिक भवनों के टैक्स की गणना में भारी गड़बड़ी निगम के अधिकारी कर रहे हैं। मिलीभगत होने के चलते ऐसा किया जा रहा है।

महापौर के सवालों पर नगर आयुक्त ने पलटवार कर दिया जवाब

महापौर सुनीता दयाल व नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह के बीच हुए विवाद में कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। यही स्थित रही जो यह रार लंबी चलेगी, जिसका सीधा असर निगम के कामकाज और शहर के विकास पर पड़ना तय है।

रविवार को महापौर के सवालों पर नगर आयुक्त ने पलटवार कर जवाब दिया। महापौर की प्रेस वार्ता खत्म होते ही नगर आयुक्त ने मीडिया को प्रेस नोट जारी किया। उन्होंने बताया कि 350 डोर-टू-डोर सीएनजी वाहनों के संचालन एवं रखरखाव का कार्य 15वें वित्त की बैठक दिनांक 17 अगस्त 2023 के कार्यवृत्त में सांकेतिक रूप में 30 हजार रुपये प्रतिमाह, प्रति वाहन की स्वीकृति प्रदान की गई थी क्योंकि तब वाहनों को खरीदने के लिए निविदा आमंत्रण नहीं की गई थी।

15वें वित्त की बैठक में धनराशि अगले 6-7 माह के लिए बुक की गई थी। क्योंकि निविदा के माध्यम से वाहन खरीदने का कार्य मार्च 2024 तक हो पाया। इस कारण 15वें वित्त आयोग में बुक की गयी धनराशि का उपयोग नहीं किया जा सका।

350 डोट-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन वाहनों के संचालन व रखरखाव के लिए पांच फर्म योग्य पाई गई थीं। फर्म के कामकाज के तकनीकी परीक्षण के 70 और वित्तीय परीक्षण के 30 अंक निर्धारित किए गए थे। क्वालिटी एंड कोस्ट बेस्ड सलेक्शन के आधार पर कार्यदायी फर्म जेएस इंवायरों का चयन किया गया है।

प्रत्येक वाहन के भुगतान के रेट में अंतर

नगर आयुक्त ने कहा कि कूड़ा कनेक्शन करने वाली फर्म नेचर ग्रीन व जेएस इंवायरों दोनों के काम और अनुबंध में काफी अंतर है। मैसर्स नेचर ग्रीन को कूड़ा अलग-अलग करने के लिए हेल्पर नियुक्त नहीं करना है और न ही पार्किंग व बाउंड्रीवाल का निर्माण करना है। साफ्टवेयर का निर्माण नहीं करना है।

इसीलिए दोनों के प्रत्येक वाहन के भुगतान के रेट में अंतर है। उन्होंने कहा कि नेहरू नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम के किराये की जून 2024 तक की पूरी बकाया राशि 1,34,77,757 रुपये एक सप्ताह में जमा कराने के निर्देश ऑडिटोरियम को संचालित करने वाली फर्म के निदेशक अशोक कुमार दिए गए थे।

29 जुलाई को भेजा था आखिरी नोटिस

फर्म द्वारा एक सप्ताह में किराये की धनराशि जमा नही कराई गई। ऐसे में 29 जुलाई को अंतिम नोटिस भेजा गया। इसके बाद भी धनराशि जमा न कराने पर सात अगस्त को फर्म के विरूद्ध वसूली कार्रवाई के लिए डीएम गाजियाबाद से माध्यम से आरसी जारी कराई गई है।

रमतेराम रोड स्थित शापिंग काम्प्लेक्स के किराये की जून 2024 तक पूरी धनराशि 1,99,03,296 रुपये जमा कराने के लिए इसे संचालित करने वाली फर्म के निदेशक अशोक कुमार को दिए गए थे। अंतिम नोटिस के बाद भी धनराशि जमा न करने पर डीएम के माध्यम से इनके खिलाफ आरसी जारी कराई गई है।

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