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गाजियाबाद के इस इलाके में पांच दिन से नहीं आ रहा पानी, 10 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित; विरोध में सड़क पर उतरे

इंदिरापुरम के न्याय खंड दो में पिछले पांच दिन से पानी की आपूर्ति प्रभावित है। मुख्य गंगाजल क्षतिग्रस्त है। जीडीए द्वारा लाइन की मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है लेकिन अभी तक पेयजल लाइन ठीक नहीं हुई है। आज सुबह भी गंगाजल की आपूर्ति नहीं हुई तो लोगों को पानी खरीदना पड़ा। जीडीए के ओर से पर्याप्त संख्या में पानी के टैंकर नहीं भेजे गए।

By Hasin Shahjama Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 12 Sep 2024 03:09 PM (IST)
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इंदिरापुरम में जीडीए के खिलाफ प्रदर्शन करती महिलाएं। सौ स्थानीय निवासी।

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। न्याय खंड दो में पांच दिन से पानी नहीं मिलने पर बुधवार को लोगों का गुस्सा फूट गया। महिलाओं व पुरुषों ने काला पत्थर रोड स्थित गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन और नारेबाजी की।

लोगों इंदिरापुरम हैंडओवर होने के बाद से जीडीए के सहायक अभियंता पर सुनवाई नहीं करने का आरोप लगाया। जबकि हैंडओवर के छह माह बाद तक पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जीडीए की है। इंदिरापुरम में सुबह और शाम के समय एक-एक घंटे जीडीए द्वारा गंगाजल की आपूर्ति की जाती है।

न्याय खण्ड में तीन दिन से पानी नहीं आने के कारण कैंटर से पानी भरते लोग। फोटो- जागरण

अधिकारी बोले- पेयजल लाइन में आ गया फाल्ट

गंगाजल में नलकूप का पानी भी मिलाया जाता है। न्याय खंड दो में पिछले पांच दिन से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। 10 हजार से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। लोगों ने जीडीए के अधिकारियों से शिकायत की तो उन्हें बताया गया कि पेयजल लाइन में फाल्ट आ गया।

लोग दो दिन तक फाल्ट ठीक होने का इंतजार करते रहे। इसके बाद अधिकारियों ने फोन उठाना बंद कर दिया। जब पांचवें दिन बुधवार को भी पानी नहीं आया तो न्याय खंड दो के सेंट्रल पार्क में लोग एकत्रित हो गए। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक रही। यहां से वह नारेबाजी करते हुए काला पत्थर रोड पर पहुंचे।

लोगों ने जीडीए कार्यालय पर किया प्रदर्शन

काला पत्थर रोड पर जाम लग गया। 100 से ज्यादा लोगों ने काला पत्थर रोड स्थित जीडीए के कार्यालय पर प्रदर्शन किया। हालांकि यहां कोई अधिकारी नहीं मिला। लोगों ने कहा कि पानी की जिम्मेदारी सहायक अभियंता पीयूष सिंह देख रहे हैं। प्रदर्शन में सरदार सिंह रावत, राजनी, चंपा, कल्पना रावत, सुरेंद्र कंडारी, सुरेंद्र उपाध्याय आदि मौजूद रहे। जीडीए के सहायक अभियंता पीयूष ने बताया कि समस्या को दूर करने के लिए काम चल रहा है।

खरीदना पड़ रहा है पानी

महिलाओं ने बताया कि बहुत कम संख्या में पानी के टैंकर आ रहे हैं। टैंकर आते ही पानी की मारामारी मच जाती है। उन्हें पानी खरीदना पड़ रहा है। 20 लीटर पानी लेकर सीढ़ियों से चढ़ना पड़ रहा है।

क्या बोले लोग?

घर में पानी नहीं है। हम पानी के लिए तरस रहे हैं। जीडीए के अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। पानी खरीदना पड़ रहा है। - विमला, स्थानीय निवासी।

हैंडओवर होते ही जीडीए ने काम में लापरवाही करनी शुरू कर दी है। जबकि पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जीडीए की है। -साक्षी, स्थानीय निवासी।

हम चुप नहीं बैठेंगे। पांच दिन से पानी नहीं आया है। मजबूरी में हमें प्रदर्शन करने के लिए घर से निकलना पड़ा है। टैंकर नहीं भेजे जा रहे हैं। - उमा देवी, स्थानीय निवासी।

पांच दिन से पानी सर पर ढो रहे हैं। अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। प्रतिदिन 200 रुपये का पानी खरीदना पड़ रहा है। - ममता, स्थानीय निवासी।

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