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'पुलिस को महीना बांध रखा है, डर वाली बात कतई नहीं, बढ़िया सेटिंग है'; गाजियाबाद में धड़ल्ले से चल रहा खेल

गाजियाबाद के टीला मोड़ थाना क्षेत्र का फर्रुखनगर में धड़ल्ले से अवैध पटाखों की बिक्री की जा रही है। पिछले कई वर्षों से पटाखे बनाने और बेचने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। इसके बाद भी यहां पर अवैध रूप से पटाखे बेचे जा रहे हैं। पुलिस की मिलीभगत से चल रहे इस अवैध कारोबार को रोकने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है।

By prabhat pandey Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 30 Oct 2024 09:59 AM (IST)
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फर्रुखनगर में ग्राहकों को पटाखे के ठिकाने तक पहुंचने की राह दिखाते बच्चे। फोटो- जागरण
प्रभात पांडेय, साहिबाबाद। टीला मोड़ थाना क्षेत्र का फर्रुखनगर पटाखों के लिए जाना जाता है। पिछले कई वर्षों से पटाखे बनाने और बेचने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। इसके बाद भी यहां पर अवैध रूप से पटाखे बेचे जा रहे हैं। मंगलवार दोपहर 12 बजे थे।

'दारोगा से सेटिंग है'

दीपावली के मद्देनजर गांव के मुख्य मार्ग पर पुलिस बल तैनात था, जो पटाखों की बिक्री पर नजर रख रहा था। दैनिक जागरण की टीम गांव में प्रवेश करती है। गांव में दो लोग मिले। वह कहते हैं कि जितने पटाखे चाहिए बता दीजिये। दारोगा से महीना बांध रखा है। डर वाली कतई बात नहीं है। पुलिस से सेटिंग है।

दारोगा का अभी फोन आया था... गांव में कोई बड़ा अधिकारी आ रहा है। कुछ देर के लिए पटाखे नहीं बेचने हैं। कुछ देर बार वह व्यक्ति दैनिक जागरण की टीम को एक मकान में ले जाकर पटाखे दिखाकर कहता है जितना चाहे ले जाओ। कोई रोकटोक नहीं है।

तिराहे और चौराहे पर बच्चे ग्राहकों को दिखा रहे राह

दैनिक जागरण की टीम गांव में पहुंची। जहां लाइसेंसी गोदाम से कुछ दूरी पर कुछ 10 से 12 साल के बच्चे खड़े हुए थे। जो बाइक और अन्य वाहन पर आने वाले लोगों को पटाखे खरीदने के ठिकानों तक ले जा रहे थे। दैनिक जागरण की टीम नुक्कड़ पर एक व्यक्ति से पूछती है कि उन्हें पटाखे चाहिए।

वह व्यक्ति कहता है कि गांव में जाएंगे तो रास्ते में बच्चे मिलेंगे। वह खुद ही आपको को अपने साथ ले जाएंगे। इसके बाद रास्ते में कुछ बच्चे मिलते हैं। वह पटाखे बेचने बेचने वालों के पास ले जाने की बात कर रहे थे। वह दैनिक जागरण की टीम को भी अपने साथ चलने के लिए बोले। पटाखे खरीदने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग गांव में आ रहे थे।

शहर के बीच में भी दिलवा देंगे पटाखे

गांव में मंदिर के पास कुछ युवक बैठे थे। दैनिक जागरण की टीम ने उनसे पटाखे के संबंध में बात की। उन्होंने पूछा कितने पटाखे लोगे। बात होने के बाद वह गली में अपने मकान की ओर ले गए।

मकान के अंदर ले जाकर दरवाजे की कुंडी लगा दी। इसके बाद उन्होंने संदूक खोला। संदूक में काफी मात्रा में पटाखे भरे थे। कहने लगे कि एक नंबर का माल है। जहां कहोगे वहां पर आटो में भरकर पटाखे भिजवा देंगे। आप पुलिस की टेंशन मत लेना। पटाखों को कही पुलिस नहीं पकड़ेगी।

गांव के अंदर नहीं दिखी पुलिस

पुलिस को जानकारी है कि इस गांव में अवैध रूप से पटाखे बनाए और बेचे जाते हैं। इसके बाद भी गांव के अंदर पुलिस नहीं दिखी। लाइसेंसी पटाखे बेचने वाले दुकानदारों के आसपास व तिराहे पर बैरियर लगाकर पुलिस खड़ी रही। पुलिस केवल गांव के बाहर ही चेकिंग कर रही थी। यदि पुलिस गांव के भीतर गश्त करती तो इस तरह अवैध रूप से पटाखे नहीं बेचते।

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