Good News: पीसीएम तकनीक से रडार एंटीना बनाने में आत्मनिर्भर हुआ भारत
वर्ष 2004 में प्रत्येक मानकों पर खरा पाने के बाद इसका उत्पादन शुरू हुआ और गाजियाबाद स्थित भारत सरकार की सेंट्रल इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (सीईएल) अब तक 4.5 लाख पीसीएम बना चुकी है। यह बदलते भारत की तस्वीर है।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2022 05:33 PM (IST)
साहिबाबाद [हसीन शाह]। फेज कंट्रोल माड्यूल (पीसीएम) तकनीक नहीं होने के कारण भारत को विदेश से पूरा रडार एंटीना सिस्टम आयात करना पड़ता था, लेकिन 10 साल (1990-2000) तक चले अनुसंधान के बाद इस तकनीक को विकसित कर भारत अब रडार एंटीना बनाने में आत्मनिर्भर बन गया है। वर्ष 2004 में प्रत्येक मानकों पर खरा पाने के बाद इसका उत्पादन शुरू हुआ और गाजियाबाद स्थित भारत सरकार की सेंट्रल इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (सीईएल) अब तक 4.5 लाख पीसीएम बना चुकी है।
इनमें होता है प्रयोग
वेपन लोकेटिंग रडार (डब्ल्यूएलआर), फ्लाइट लेवल रडार (एफएलआर) और ट्रूप लेवल रडार (टीएलआर) में पीसीएम का प्रयोग किया जाता है। डब्ल्यूएलआर टैंक आदि हथियारों में लगता है। एफएलआर लड़ाकू विमान, मिसाइल सहित अन्य हथियारों में लगाया जाता है। टीएलआर भी एफएलआर की तरह ही होता है, लेकिन इसका वजन कुछ कम होता है। लद्दाख जैसी ऊंचाई वाले स्थानों पर इसका प्रयोग होता है। पीसीएम तकनीक नहीं होने के कारण भारत को रूस सहित दूसरे देशों से रडार सिस्टम का आयात करना पड़ता था।
डा. कलाम ने कहा था, पीसीएम भारत में ही बनेगा
पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम जब सीईएल के निदेशक मंडल के सदस्य थे तो उन्होंने सीईएल के तत्कालीन जनरल मैनेजर वीएस राव के साथ पीसीएम बनाने को लेकर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि पीसीएम भारत में ही बनेगा। इस तकनीक को विकसित करने के लिए उन्होंने सीईएल को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली, ठोस अवस्था भौतिकी प्रयोगशाला (एसएसपीएल) दिल्ली, इलेक्ट्रानिक्स और रडार विकास स्थापना (एलआरडीई) के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया था।
माइक्रो सेकेंड में पता लगाकर टारगेट को नष्ट करने की क्षमता सुरक्षा के मद्देनजर देश के अलग-अलग स्थानों पर रडार एंटीना सिस्टम लगाया गया है। इससे जमीन या हवा में सीमा पार से थोड़ी हरकत होने पर दुश्मन के टारगेट को माइक्रो सेकंड में पता लगाकर नष्ट कर किया जा सकता है।
क्या है पीसीएम और कैसे करता है काम रडार एंटीना में लगने वाला सबसे अहम अंग पीसीएम होता है। इसका वजन 150 ग्राम होता है। यह अपनी धुरी पर घूमे बिना सिग्नल को स्वत: घुमाता है। इसके जरिये एक साथ देश की सीमा की तरफ आ रहे कई एयरक्राफ्ट सहित अन्य हथियारों को ट्रेस किया जा सकता है। पीसीएम के द्वारा माइक्रो वेव सिग्नल टारगेट तक जाता है और टकराकर वापस आता है। टारगेट की दूरी, उसकी गति और दिशा आदि का माइक्रो सेकंड में पता चल जाता है।
पहले दूसरे देश पर थे निर्भर पूर्व में हमें रडार एंटीना सिस्टम के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। 10 वर्षों से अधिक के अनुसंंधान व गहन परीक्षण से गुजरने के बाद पीसीएम का सीईएल में उत्पादन शुरू किया गया।चेतन प्रकाश जैन, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, सीईएलपीसीएम तकनीक विकसित कर भारत रडार एंटीना बनाने में आत्मनिर्भर हुआ है। अब हमें एंटीना रडार आयात करने की जरूरत नहीं है। भारत का रक्षा निर्यात 13,000 करोड़ रुपये पहुंच चुकाक है। यह लगभग पांच गुना वृद्धि है। भारत अब रडार तकनीक में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है।
मेजर सरस त्रिपाठी, पूर्व सेनाधिकारी एवं प्रधानमंत्री आत्मनर्भिर भारत अभियान संगठन के राष्ट्रीय महासचिव
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