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स्वदेश निर्मित अग्निरोधक वर्दी से 449 डिग्री आग के तापमान में भी हो सकेगा बचाव, जानें क्या है 'कवच' की खास विशेषता

स्वदेश निर्मित अग्निरोधक वर्दी कवच 449 डिग्री आग के तापमान में भी बचाव कर सकती है। यह पर्यावरण के अनुकूल सुरक्षित और विदेशी वर्दियों की तुलना में सस्ती है। जूट काटन और एल्युमिनियम से तैयार इस फैब्रिक को उत्तरी भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (निटरा) ने विकसित किया है। यह वर्दी अग्निशमन कर्मियों भारी उद्योगों और जोखिम भरे स्थानों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए उपयोगी होगी।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 11 Nov 2024 06:10 PM (IST)
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स्वदेश निर्मित अग्निरोधक वर्दी से 449 डिग्री आग के तापमान में भी हो सकेगा बचाव।
शाहनवाज अली, गाजियाबाद। अग्निशमन कर्मी खुद की जान जोखिम में डालकर आग जैसी आपदा के संकट को टालते हैं। इस दौरान कई बार बड़े हादसों में ये अपनी जान भी गंवा बैठते हैं। इसी बड़े जोखिम को कम करने के लिए अब स्वदेशी अग्निरोधक वर्दी को तैयार किया जा रहा है। इसको 'कवच' नाम दिया गया है। इसका उपयोग 449 डिग्री के उच्च तापमान तक में भी किया जा सकेगा।

उत्तरी भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (निटरा) की ओर से तैयार स्वदेशी अग्निरोधी फैब्रिक से तैयार हो रहा कवच पर्यावरण के अनुकूल है और सुरक्षित भी। साथ ही अब तक विदेश से आयात किए जाने वाले फैब्रिक की तुलना में सस्ता भी।

देश में अभी तक बनाए जाने वाले अग्निरोधी फैब्रिक अधिक सुरक्षित नहीं माने जाते हैं। इस नए फैब्रिक को निटरा के विज्ञानियों ने अरविंद ह्यूमन प्रोटेक्शन कंपनी के साथ मिलकर तैयार किया है, जो विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए बनाया गया है, जहां आग लगने का खतरा अधिक होता है। इसका इस्तेमाल विशेष रूप से अग्निशमन कर्मी, भारी उद्योगों और जोखिम भरे स्थानों पर कार्य करने वाले कर्मचारी कर सकेंगे। इस फैब्रिक की सुरक्षा जांच के लिए निटरा के विज्ञानियों ने एक कंपनी के साथ मिलकर करीब डेढ़ वर्ष तक शोध किया। इसमें यह पर्यावरण के अनुकूल व टिकाऊ पाया गया। यह स्वदेशी व सस्ता तो है ही। 

जूट, काटन और एल्युमिनियम से तैयार किया फैब्रिक

निटरा के निदेशक एवं विज्ञानी डॉ. एमएस परमार ने सहायक विज्ञानी श्वेता सक्सेना और निधि सिसोदिया के साथ मिलकर इस फैब्रिक को तैयार किया है। इसमें एक निश्चित मात्रा में जूट और काटन के अलावा एल्यूमिनियम और कांच का प्रयोग किया है। काटन, जूट के उपयोग से तैयार होने की वजह से इससे पर्यावरण को कोई खतरा नहीं होगा। डॉ. एमएस परमार ने बताया कि अभी तक आयातित महंगे फाइबर से इसे तैयार किया जाता था, जिस कारण उद्योग अपने कर्मियों को इस फैब्रिक से बनी ड्रेस को देने में कंजूसी करते थे, लेकिन यह स्वदेशी अग्निरोधी ड्रेस सुरक्षित और बजट में होगी। अभी प्रयोग की जाने वाली ड्रेस सादी सूती होती है, इसलिए अधिक जोखिम भी रहता है। 

पांच मिनट तक आग से कवच करेगा सुरक्षा

डॉ. परमार के मुताबिक अग्निरोधक फैब्रिक को जूट और काटन पर स्पेशल फ्लेम रेसिस्टेंस केमिकल से तैयार कर बनाया गया है जो इसको अग्निरोधी बनाता है एल्युमिनियम की शीट से जो हीट आती है, उसको रिफ्लेक्ट करने में इससे मदद मिलती है। जहां तक इसे पहनकर 449 डिग्री तक की आग में रहने की बात है तो यह फंसे लोगों को आग से निकालने वालों के लिए है, इसे पहनकर पांच मिनट तक इतनी अधिक आग में रहा जा सकता है।

आग से सुरक्षा के साथ-साथ आरामदायक भी

शोधकर्ताओं के अनुसार, नया फैब्रिक न केवल आग से सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि इसके बनी ड्रेस पहनने में भी आरामदायक होगी। इसे लंबी अवधि तक उपयोग में लाया जा सकता है। 

विदेशी की कीमत 15 लाख और स्वदेसी की दो लाख 

निटरा के विज्ञानी डॉ. एमएस परमार ने बताया कि अग्निरोधी फैब्रिक को पूर्ण रूप से स्वदेशी बनाया गया है। यह सैन्य संस्थाओं के साथ ही बड़े उद्योगों के बजट में होगा। इसकी कीमत दो से ढ़ाई लाख प्रति ड्रेस के आसपास हो सकती है, जबकि विदेशी अग्निरोधी ड्रेस की कीमत करीब 13 से 15 लाख रुपये होती है। हां, जब अधिक उत्पादन होने लगेगा तो दो-ढाई लाख से भी कम हो सकती 

अभी अग्निशमन विभाग के पास आग से बचाव के लिए इस स्तर के संसाधन नहीं है। अभी सूती कपड़ों के अलावा एक-दो सूट ऐसे हैं, जो 35 से 70 डिग्री तक आग से बचाव में काम करते हैं। अगर 100 से 449 डिग्री तक तापमान से बचाव के लिए सूट स्वदेशी मिलेंगे तो इसका लाभ अग्निशमन विभाग को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। - राहुल पाल,  मुख्य अग्निशमन अधिकारी, गाजियाबाद  

अग्निरोधी फैब्रिक लुधियाना की स्टील फैक्ट्री में इसका ट्रायल हो चुका है इस शोध को पूरा होने में करीब डेढ़ साल का समय लगा है। इसके लिए कंपनी जल्द ही बजट में सैन्य एजेंसियों और उद्योगों के लिए इसका निर्माण बड़े स्तर पर आरंभ करेगी। - डॉ. अरिंदम बसु, महानिदेशक, उत्तरी भारत वस्त्र अनुसंधान संघ

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