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Ghaziabad: मतांतरण कराने वाले चार आरोपियों पर लग सकता है NSA, युवती का ब्रेनवॉश कर धर्म बदलवाकर कराते थे निकाह

मतांतरण के आरोपित बद्दो उर्फ शाहनवाज मकसूद खान समेत चार आरोपितों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका NSA) के तहत की गई कार्रवाई पर मुहर लग गई है। तीन माह तक चारों को जेल में ही रहना होगा। पिछले दिनों लखनऊ में विशेष समीक्षा बोर्ड ने जिलाधिकारी की ओर से अनुमोदित रासुका पर मुहर लगा दी है। इसके बाद शासन ने इनकी फाइल गृह मंत्रालय भेज दी गई है।

By Ayush GangwarEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 25 Sep 2023 12:12 AM (IST)
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खोड़ा थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपित दाएं से मुसीर, अब्दुल्ला अहमद उर्फ सौरभ खुराना व राहिल उर्फ राहुल अग्रवाल।

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। मतांतरण के आरोपित बद्दो उर्फ शाहनवाज मकसूद खान समेत चार आरोपितों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका, NSA) के तहत की गई कार्रवाई पर मुहर लग गई है। तीन माह तक चारों को जेल में ही रहना होगा। पिछले दिनों लखनऊ में विशेष समीक्षा बोर्ड ने जिलाधिकारी की ओर से अनुमोदित रासुका पर मुहर लगा दी है।

शाहनवाज मकसूद खान उर्फ बद्दो का फोटो।

इसके बाद शासन ने इनकी फाइल गृह मंत्रालय भेज दी गई है। यहां आरोपितों की दलील खारिज हुई तो एक साल तक जमानत नहीं मिलेगी।

नन्ही छह माह तक जेल में बंद रहेगा

मुंबई में मुंब्रा के बद्दो को थाना कवि नगर पुलिस ने आनलाइन गेमिंग के जरिये ब्रेनवाश कर युवाओं का मतांतरण कराने के आरोप में जून में गिरफ्तार किया था। जुलाई में उसके स्वजन ने जमानत की याचिका लगाई तो पुलिस ने रासुका लगाने की रिपोर्ट भेजी, जिसे जिलाधिकारी ने अनुमोदित कर दिया। था। इस मामले में गिरफ्तार अब्दुल रहमान उर्फ नन्ही पर लगी रासुका पर गृह मंत्रालय से पहले ही मुहर लग चुकी है। वह छह माह के लिए जेल में बंद है।

अब्दुल्ला ने नहीं डाली जमानत याचिका

खोड़ा की युवती के साथ में काम करने वाले राहिल ने बहलाकर उसका ब्रेनवाश किया और मतांतरण करा निकाह कर लिया था। पुलिस ने राहिल और मतांतरण की साजिश रचरने के आरोप में मुशीर सैफी, अब्दुल्ला व शाहदमान को गिरफ्तार किया था। करीब एक माह पूर्व अब्दुल्ला को छोड़ बाकी तीन के लिए जमानत याचिका डालते ही पुलिस की रिपोर्ट पर इनके खिलाफ रासुका लगा दी गई थी।

क्यों और कब लगता है रासुका?

ऐसे अपराधी, जिनके आजाद रहने से समाज में भय व्याप्त हो। कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती हो, उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जाती है। रासुका पर फैसला हाईकोर्ट की ओर से गठित विशेष समीक्षा बोर्ड करता है। यह तभी लग सकती है, जब जेल में बंद अपराधी की जमानत के लिए याचिका डाली गई हो।

याचिका पर कोर्ट पुलिस से रिपोर्ट मांगती है। पुलिस अपराध के वीडियो, आडियो, गवाह और अपराधी को लेकर छपी खबरों की कटिंग लगाकर रासुका की रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को भेजती है। जिलाधिकारी के अनुमोदन की तारीख से रासुका लगने की शुरुआत होती है।

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तीन माह तक अपराधी रहेगा कैद

इसके बाद बोर्ड में जिलाधिकारी और संबंधित जिले के एसएसपी या जोन के डीसीपी और अपराधी अपना पक्ष रखते है। रासुका मंजूर होने पर तीन माह तक अपराधी को जेल या किसी भी स्थान पर कैद कर लिया जाता है। मंजूरी न मिली तो जमानत याचिका पर सुनवाई होती है।

राज्य सरकार किसी अपराधी को तीन माह के लिए कैद कर सकती है। इसीलिए शासन फाइल गृह मंत्रालय भेजता है और वहां पर भी सुनवाई होती है। मंजूरी मिलने पर अपराधी तीन और माह के लिए कैद में रखा जाता है। छह माह पूरे होने पर बोर्ड इसकी फिर समीक्षा करता है।