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गजब! पति हो तो ऐसा: पत्नी को दिलाई दुनिया में पहचान, भारत का गौरव बनीं सिमरन; दिलचस्प है दोनों की LOVE STORY

Paris Paralympics 2024 पति और पत्नी का रिश्ता अगर दिल से निभाया जाए तो वह मिसाल बन जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही रिश्ते के बारे में बताने जा रहे हैं। पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाली सिमरन और उनके पति गजेंद्र का रिश्ता भी कुछ ऐसा ही है। दोनों ने 6 साल पहले प्रेम विवाह किया था। पढ़िए दोनों की दिलचस्प स्टोरी।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Mon, 09 Sep 2024 12:10 PM (IST)
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Paris Paralympics 2024: सिमरन ने संघर्ष के बल पर पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, मोदीनगर (गाजियाबाद)। Paris Paralympics 2024 मेरे सपनों की उड़ान आसमां तक है, मुझे बनानी अपनी पहचान आसमां तक है, मैं कैसे हार मानकर थक जाऊं, मेरे हौसलों की बुलंदी आसमां तक हैं। यह पंक्तियां मोदीनगर की सिमरन शर्मा पर सटीक बैठती हैं। छोटी सी उम्र में आंखों की रोशनी न होने के बावजूद आज उन्होंने विश्व में भारत का नाम ऊंचा किया।

सिमरन के लिए यह राह आसान नहीं थी, लेकिन उनके हौसले, कठिन परिश्रम और लगन से यह संभव हो सका। उन्होंने अपनी कमजोरी को सफलता के आगे नहीं आने दिया। उन्होंने अपने संघर्ष के बल पर पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया।

मूलरूप से मोदीनगर के गोयलपुरी की रहने वाली सिमरन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। भाई आकाश निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। बहन अनुष्का की शादी हो चुकी हैं। पिता की चार साल पहले मौत हो गई थी। करीब छह साल पहले सिमरन की मोदीनगर तहसील के गांव खंजरपुर में गजेंद्र के साथ शादी हुई थी। यह प्रेम विवाह था। गजेंद्र सेना में हैं। उनकी दिल्ली में तैनाती हैं। उनके साथ ही सिमरन भी पिछले चार साल से दिल्ली में रह रही हैं।

बताया गया कि पति गजेंद्र ने ही उन्हें दौड़ का प्रशिक्षण दिया। पति के साथ कोच की भी भूमिका निभाई। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सिमरन प्रशिक्षण लेती थीं। सिमरन उन लोगों के लिए नजीर बनी हैं जो अपनी दिव्यांगता को कमजोरी मानकर राह से हट जाते हैं। सिमरन अपने मजबूत इरादों से लगातार सफलता हासिल कर रही हैं।

मध्यम वर्गीय परिवार से निकलकर पेरिस तक का सफर

सिमरन के पिता मनोज शर्मा अस्पताल में चिकित्सक के पास नौकरी करते थे। मां सविता हॉस्टल में टिफिन सप्लाई करती हैं। परिवार की आय सीमित थी। रूक्मिणी मोदी इंटर कॉलेज से उन्होंने 12वीं उत्तीर्ण की। कॉलेज में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती थी। 12वीं के बाद खेलों में ही करियर की राह चुनी।

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सिमरन के भाई आकाश ने बताया कि वह साइड में नहीं देख सकती हैं। सामने भी कुछ ही दूरी तक सिमरन को दिखता है। इसके बावजूद वह अपने काम को लेकर गंभीर रहती हैं। उसने आत्मनिर्भरता के साथ सभी काम किए।

24.75 सेकंड में की 200 मीटर पार

सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालिंपिक में महिला की 200 मीटर टी-12 स्पर्धा में 24.75 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। सिमरन दृष्टिहीन हैं और एक गाइड के साथ दौड़ती हैं। बचपन में उनकी विकलांगता के कारण उन्हें बहुत परेशान किया जाता था।

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