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Ghaziabad: वसुंधरा में विश्वास न्यूज के सेमिनार में प्रतिभागियों ने सीखे फैक्ट चेकिंग के गुर

गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर-11 के विद्या बाल भवन सीनियर सेकेंड्री स्कूल में गुरुवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज की ओर से आयोजित किया गया। सेमिनार में विश्वास न्यूज के एसोसिएट एडिटर अभिषेक पराशर और शरद प्रकाश अस्थाना ने सच के साथी सीनियर्स अभियान के बारे में विस्तार से बताया।

By Rahul Kumar Edited By: Sonu SumanUpdated: Thu, 11 Jan 2024 06:14 PM (IST)
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विश्वास न्यूज के सेमिनार में प्रतिभागियों ने सीखे फैक्ट चेकिंग के गुर।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। देश दुनिया में फर्जी सूचनाएं एक बड़े संकट के रूप में उभरकर सामने आई हैं। इंटरनेट की दुनिया में हर पल अनगिनत जानकारियां प्रसारित होती रहती हैं। इनमें से कुछ सच होती हैं, तो कुछ झूठ। यदि अलर्ट नहीं रहा जाए तो फर्जी और भ्रामक मैसेज बड़ा नुकसान कर सकते हैं। विश्वास न्यूज के मीडिया साक्षरता अभियान 'सच के साथी-सीनियर्स' में इन पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को इन्हें पहचानने और फैक्ट चेकिंग के तरीके बताए गए।

वसुंधरा सेक्टर-11 के विद्या बाल भवन सीनियर सेकेंड्री स्कूल में गुरुवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज की ओर से आयोजित किया गया। सेमिनार में विश्वास न्यूज के एसोसिएट एडिटर अभिषेक पराशर ने 'सच के साथी सीनियर्स' अभियान के बारे में विस्तार से बताया। अभिषेक पराशर के अलावा डिप्टी एडिटर और फैक्ट चेकर शरद प्रकाश अस्थाना ने भी एआई और डीपफेक के बारे में विस्तार से बताया।

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'आसान पासवर्ड के इस्तेमाल से बचें'

कार्यक्रम में प्रतिभागियों से रूबरू होते हुए अभिषेक पराशर ने कहा कि किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसके सोर्स को चेक करें। हर जानकारी सच नहीं होती है। ऐसा करने से वे फर्जी एवं भ्रामक सूचनाओं को फैलने से रोकने में सच के साथी बन सकते हैं। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को डिजिटल सेफ्टी के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सभी अकाउंट के पासवर्ड अलग-अलग रखें और उन्हें जटिल बनाएं। अपने पारिवारिक सदस्य का नाम या जन्मतिथि जैसे आसान पासवर्ड का इस्तेमाल करने से बचें।

डीपफेक को पहचानने के बताए तरीके

वहीं शरद अस्थाना ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के जहां कई फायदे हैं, लेकिन कुछ लोग इसका दुरुपयोग भी कर रहे हैं। हाल ही में डीपफेक वीडियो के कुछ मामले सामने आए हैं। उन्होंने लोगों को डीपफेक को पहचानने के तरीके बताए। उन्होंने उदाहरण की मदद से बताया कि डीपफेक वीडियो या एआई निर्मित तस्वीरों में कई कमियां होती हैं।

गलत सूचनाओं को पहचानना बड़ी चुनौती

जैसे- उनकी आंखों का मूवमेंट स्वाभाविक नहीं होता है या उनके रंगों में काफी फर्क होता है। चेहरे के हावभाव बनावटी होते हैं। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को फैक्ट चेकिंग टूल्स के बारे में भी जानकारी दी। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. हरिदत्त शर्मा ने कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने कहा कि गलत सूचनाओं को पहचानना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।

इस मौके पर दिप्ती, छवि, वीके मिश्रा, यज्ञदत्त कौशिक, सुनील कुमार झा, डीएन तिवारी, कैलाश चंद्र शर्मा, उर्मिला शर्मा, ऋचा त्यागी, मृदुला वशिष्ठ, राजकुमार वशिष्ठ, जया श्रीवास्तव, चित्रा श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

कार्ड्स से समझाया फर्जी सूचनाओं का मनोविज्ञान

कार्यक्रम में फेक वर्सेस फैक्ट कार्ड्स के जरिए खेल-खेल में वरिष्ठ नागरिकों को गलत और सही सूचनाओं के बीच अंतर पता करने के तरीके समझाए गए। हर कार्ड के अंक थे और जिसका अंक सर्वाधिक होता, वह विजेता होता। लेकिन इस तरह कार्ड को बिना पढ़े अनजाने में झूठी खबर भी इन लोगों ने गेम में फैलाई। इसलिए हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता है।

डीपफेक को ऐसे पहचानें

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ऐसे वीडियो या तस्वीरों को तैयार किया जा सकता है। इन्हें पहचानना आसान नहीं है। यदि इनकी बारीकियों पर ध्यान दिया जाए तो कुछ न कुछ गलतियां दिख जाती हैं। इसके अलावा ऑनलाइन टूल के माध्यम से भी इसे पकड़ा जा सकता है।

अभियान के बारे में

'सच के साथी सीनियर्स' भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को संबोधित करने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी सेमिनार और वेबिनार के माध्यम से लोगों को फैक्ट चेकिंग के बारे में बताया जा चुका है।

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