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Rakesh Tikait के खिलाफ महिलाओं का फूटा गुस्सा, यूपी गेट के पास रहने वाले लोगों ने खोला मोर्चा

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली का रास्ता रोककर यूपी गेट पर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। रविवार सुबह जिले की 100 से अधिक सोसायटी के 500 से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 28 Nov 2021 01:07 PM (IST)
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राकेश टिकेट के खिलाफ प्रदर्शन करती महिलाएं।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली का रास्ता रोककर यूपी गेट पर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जिले भर के सैकड़ों लोगों का आक्रोश रविवार को सड़क पर आ गया। सुबह 11 बजे जिले की 100 से अधिक सोसायटी के लोग प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मार्च निकालने के लिए एनएच नौ स्थित आम्रपाली विलेज सोसायटी में इकट्ठा हुए। पुलिस ने उनके मार्च को सोसायटी के बाहर ही रोक दिया। लोगों ने सोसायटी में ही विरोध प्रदर्शन कर रास्ता खोलने की मांग की।

बन सकती थी टकराव की स्थिति

सोसायटी के लोगों की एनएच नौ पर मार्च करते हुए यूपी गेट जाने की योजना थी। पुलिस को इसकी आंशका थी यूपी गेट पर सोसायटी के लोगों और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है। ऐसे में कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर था। पुलिस ने आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों को सोसायटी में ही नजरबंद कर दिया।

महिलाओं ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के खिलाफ नारेबाजी की। 11 से एक बजे तक सोसायटी में विरोध-प्रदर्शन करने के बाद लोग अपने घर चले गए। प्रदर्शन में इंदिरापुरम, क्रासिंग रिपब्लिक, राजनगर एक्सटेंशन, वसुंधरा, वैशाली, कौशांबी की सोसायटी में रहने वाले लोग शामिल हुए। पांच दिसंबर तक का दिया समय लोगों ने पुलिस-प्रशासन को पांच दिसंबर तक का समय दिया हैं।

फेडरेशन आफ एओए गाजियाबाद के संरक्षक आलोक कुमार ने कहा कि यदि पांच दिसंबर तक प्रदर्शनकारी रास्ता नहीं खोलते हैं तो वह किसी की नहीं सुनेंगे और रास्ता खुलवाने के लिए सड़क पर उतर आएंगे। प्रधानमंत्री ने कानून वापस कर दिए हैं। इसके बाद भी प्रदर्शनकारी रास्ता छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। प्रदर्शनकारी अब केवल राजनीति के लिए रास्ता रोककर बैठे हुए हैं।

दो लाख वाहन चालक परेशान

स्थानीय निवासी आइवी प्रकाश का कहना है कि यूपी गेट पर 28 नवंबर 2020 से प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारियों का यहां दिल्ली जाने वाले सभी रास्तों पर कब्जा है। इसकी वजह से यहां से हर दिन गुजरने वाले करीब दो लाख वाहनों का रूट डायवर्ट किया गया है। उन्हें काफी चक्कर लगाना पड़ रहा है। इससे उनका ईंधन व समय बर्बाद हो रहा है। पुलिस प्रशासन ने पांच दिसंबर तक का समय दिया है। यदि इसके बाद भी प्रदर्शनकारी रास्ता नहीं खोलते हैं तो वह बड़े स्तर पर मार्च निकालेंगे।

स्थानीय लोगों ने बयां किया दर्द

स्थानीय निवासी निर्मल नेगी का कहना है कि रास्ता रोकने से बहुत नुकसान हो रहा है। कानून वापस होने के बाद प्रदर्शनकारी रास्ता छोड़ देना चाहिए। हमारे बच्चे पढ़ने के लिए दिल्ली नहीं जा रहे हैं। स्थानीय निवासी विनिता सिंह ने कहा कि उनके पति दिल्ली में नौकरी करते हैं लेकिन रास्ता बंद होने की वजह से प्रतिदिन घर नहीं आ रहे हैं। मजबूरी में उन्हें वहीं रुकना पड़ रहा है। नमिता कुमारी ने कहा कि कौशांबी जाने के लिए भी लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। दिल्ली ड्यूटी जाने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। कानून वापस हो गए हैं तो रास्ता भी खुलना चाहिए।

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