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Ghaziabad News: जिला एमएमजी अस्पताल भी गई थी दुष्कर्म पीड़िता किशोरी, जांच में हुआ पर्दाफाश

स्वजन 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को लेकर जिला एमएमजी अस्पताल भी गए थे। इस मामले की जांच कर रही समिति ने शनिवार को अस्पताल की इमरजेंसी में लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी थी। इससे पीड़िता के अस्पताल जाने की बात का खुलासा हुआ है। मामले की जांच के दौरान किशोरी की मां और पिता ने अस्पताल में दुर्व्यवहार करने और टरकाने वालों की पहचान भी की है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Tiwari Published: Tue, 02 Jul 2024 11:03 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 11:03 AM (IST)
स्वजन किशोरी को लेकर रात में जिला एमएमजी अस्पताल पहुंचे थे।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। मोदीनगर की 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता किशोरी मेडिकल के लिए जिला एमएमजी अस्पताल भी गई थी। पुलिस के साथ स्वजन किशोरी को लेकर रात में पहुंचे थे, लेकिन किसी ने उन्हें जिला महिला अस्पताल जाने की सलाह नहीं दी और संयुक्त अस्पताल जाने को कह दिया।

सोमवार को इस प्रकरण की जांच पूरी हो गई और समिति ने जांच रिपोर्ट संयुक्त अस्पताल के सीएमएस के अलावा सीएमओ को भेज दी है। जांच समिति के अध्यक्ष डॉ. एसएन सिंह ने जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद कहा कि जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। उनका आशय यह है कि इस प्रकरण में जिन-जिन लोगों ने किशोरी के मेडिकल को लेकर लापरवाही बरती है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की संस्तुति कर दी गई है।

सीएमएस डॉ. विनोद चंद पांडेय ने इस बात की पुष्टि की है कि समिति ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है और यह रिपोर्ट सीएमओ को प्रेषित की जाएगी। सीएमओ स्तर से ही जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मेडिकल न करने और महिला चिकित्सक द्वारा उसे अगले दिन बुलाने के मामले की जांच के दौरान किशोरी की मां और पिता ने दुर्व्यवहार करने और टरकाने वालों की पहचान भी की। सीएमओ ने इस प्रकरण की जांच दो दिन में पूरी करने के निर्देश दिए थे। शनिवार को इस प्रकरण की जांच कर रही समिति ने इमरजेंसी में लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी थी।

इसमें देखा गया है कि किशोरी अस्पताल में कितने बजे पहुंची और महिला चिकित्सक कितने बजे। इससे पहले किशोरी के मां-बाप के बयान भी लिये गए। सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर के निर्देश पर संयुक्त अस्पताल के सीएमएस डॉ. विनोद चंद पांडेय ने इस प्रकरण की जांच के लिए चार सदस्य समिति का गठन किया था। इसमें डॉ. एसएन सिंह, डॉ. नलिनी, डॉ. प्रदीप और स्टाफ नर्स मंजू शामिल हैं।

बता दें कि 23 जून को इस प्रकरण से संबंधित सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को जांच समिति ने बयान के लिए बुलाया था। जांच समिति द्वारा सभी को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें 10 बिंदुओं पर मौखिक और लिखित बयान लिए थे। इसके बाद जिला महिला अस्पताल को पत्र भेजकर संबंधित महिला चिकित्सक को बयान देने को बुलाया गया था, जबकि किशोरी महिला अस्पताल गई ही नहीं थीं।

फिर भी संबंधित महिला चिकित्सक ने लिखित में बयान दिया है कि यदि किशोरी रात में उनके पास आती तो तुरंत मेडिकल किया जाता। बता दें कि किशोरी का मेडिकल न करने के साथ ही एक महिला स्वास्थ्यकर्मी द्वारा उससे दुर्व्यवहार भी किया गया था। इसकी शिकायत पुलिस द्वारा सीएमओ से की गई थी। साथ ही महिला चिकित्सक डॉ. रिनी द्वारा लिखित में यह दिया था कि कल सुबह आठ बजे के बाद मेडिकल के लिए आना।

मेडिकल के लिए पुलिस और स्वजन किशोरी को लेकर सीएचसी मोदीनगर, जिला एमएमजी अस्पताल से लेकर संयुक्त अस्पताल तक 20 घंटे तक भटकते रहे और फिर डॉ. शारदा द्वारा किशोरी का मेडिकल किया गया था। इसके बाद मेडिकल में देरी होने से आहत किशोरी ने आत्महत्या कर ली उसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। दैनिक जागरण ने इस प्रकरण को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।


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