गाजियाबाद में धीमी है बंध्याकरण की रफ्तार, आवारा कुत्तों के आतंक से कैसे मिलेगी निजात?
नगर निगम द्वारा सूचना के अधिकार के तहत शहर में पिछले पांच साल में आवारा कुत्तों के बंध्याकरण की संख्या और उसमें आने वाले खर्च की जानकारी मांगी गई थी जिसमें बताया गया है कि पिछले पांच साल 2019-2023 के बीच 9820 कुत्तों के बंध्याकरण का कार्य किया गया है। रफ्तार यही रही तो सभी आवारा कुत्तों का बंध्याकरण होने में कई साल लग जाएंगे।
By Abhishek SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 29 Aug 2023 03:35 PM (IST)
गाजियाबाद, अभिषेक सिंह। शहर में 2021 में हुई पशुगणना के अनुसार 48 हजार से अधिक आवारा कुत्ते हैं, जिनके आतंक से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई सोसायटियों में स्थिति यह है कि बच्चों को अकेले फ्लैट से बाहर भेजने में अभिभावक डरते हैं, उनको डर रहता है कि कहीं कुत्ता उनके बच्चे को काट न ले।
आवारा कुत्तों की संख्या कम हो, इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा आवारा कुत्तों का बंध्याकरण हो। गाजियाबाद में पिछले पांच साल में नगर निगम महज 9,820 आवारा कुत्तों का बंध्याकरण करवा पाया है। रफ्तार यही रही तो सभी आवारा कुत्तों का बंध्याकरण होने में कई साल लग जाएंगे।
पांच साल में कितने कुत्तों का बंध्याकरण हुआ?
नगर निगम द्वारा सूचना के अधिकार के तहत शहर में पिछले पांच साल में आवारा कुत्तों के बंध्याकरण की संख्या और उसमें आने वाले खर्च की जानकारी मांगी गई थी, जिसमें बताया गया है कि पिछले पांच साल 2019-2023 के बीच 9,820 कुत्तों के बंध्याकरण का कार्य किया गया है, जिसमें 74,04,160 रुपये का खर्च आया है।वहीं पालतू कुत्तों का पंजीकरण के सवाल पर नगर निगम ने बताया है कि वर्ष 2021 से जुलाई 2023 तक 5,269 पालतू कुत्तों का पंजीकरण किया गया है, जिससे नगर निगम को 25 लाख रुपये की आय हुई है। हालांकि, पालतु कुत्तों की संख्या इससे अधिक होने का अनुमान है। नगर निगम ने बिना पंजीकरण कराए कुत्ता पालने पर चार लोगों पर जुर्माना लगाया है।
साल - बंध्याकरण कराए गए कुत्तों की संख्या - खर्च हुई कुल धनराशि
2019 - 3,569 26,76,7502020 - 0 02021 - 223 1,67,2502022 - 1,738 13,01,9362023 4290 32,58,224
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।शहर में आवारा कुत्तों के बंध्याकरण का कार्य 2020 में कोरोना के कारण बंद रहा था। पहले जो संस्था यह कार्य कर रही थी, अब उनके स्थान पर दूसरी संस्था को कार्य सौंपा गया है। शहर में एक और एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाने की तैयारी चल रही है, नया एबीसी सेंटर बनने के बाद रोजाना 80-100 कुत्तों का बंध्याकरण किया जा सकेगा।
- डॉ. अनुज कुमार सिंह, उप मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी