सुप्रीम कोर्ट ने GDA और नगर निगम पर लगाया 22 करोड़ का जुर्माना, 6 हफ्ते में UPPCB को जमा करानी होगी राशि
गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एसटीपी और कूड़ा निस्तारण प्रबंधन दुरुस्त नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने जीडीए पर 20 करोड़ और नगर निगम पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। दोनों विभागों को छह सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास जमा करनी होगी। इस राशि पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने में खर्च किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एसटीपी और कूड़ा निस्तारण प्रबंधन दुरुस्त नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने जीडीए पर 20 करोड़ और नगर निगम पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। दोनों विभागों को छह सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास जमा करनी होगी। इस राशि पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने में खर्च किया जाएगा।
NGT ने लगाया था 200 करोड़ का जुर्माना
दरअसल, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा एक साल पहले 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के बाद नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
इंदिरापुरम एसटीपी और कूड़ा निस्तारण हो रहे पर्यावरण को नुकसान को लेकर कनफेडरेशन ऑफ ट्रांस हिंडन आरडब्ल्यूए की ओर से एनजीटी में याचिका दायर की गई थी।
कनफेडरेशन के काआर्डिनेटर कुलदीप सक्सेना ने बताया कि इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सितंबर 2022 में एनजीटी के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने आदेश दिया था।
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पीठ ने कहा था कि खुले में कूड़ा डाला जा रहा है। इंदिरापुरम में सीवेज प्रबंधन के लिए एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) ठीक से काम नहीं कर रहा है। एसटीपी की क्षमता 56 एमएलडी की है, जबकि इससे 70 एमएलडी पानी ट्रीट किया जा रहा है। पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए कहा कि 10 नाले हरनंदी नदी में गिर रहे हैं।
निगम को 150 करोड़ रुपये और जीडीए को 50 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में जमा करने होंगे। एनजीटी के इस आदेश के खिलाफ नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। तभी से इस याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
कोर्ट के आदेश के बाद GDA को लगा झटका
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद नगर निगम और जीडीए को झटका लगा है। हालांकि, जुर्माने की राशि पहले के मुकाबले कम हो गई हैं। अब निगम को 150 करोड़ रुपये की बजाय दो कराड़ और जीडीए को 50 करोड़ की बजाय 20 करोड़ रुपये जमा करने हाेंगे।
हैंडओवर की दलील से निगम का कम हुआ जुर्माना
150 करोड़ रुपये का जुर्माना लगने पर नगर निगम के अधिकारी ज्यादा परेशान थे। निगम ने सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि इंदिरापुरम नगर निगम के अंतर्गत नहीं आता है। इसकी व्यवस्था जीडीए देखता है।
इस दलील का निगम को फायदा मिल गया। सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने की राशि घटकार 150 करोड़ रुपये से घटाकर दो करोड़ कर दी। जीडीए पर 50 करोड़ की बजाय 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि इंदिरापुरम में लगे एसटीपी में निगम क्षेत्र की कालोनियों का भी पानी आता है।
यूपीपीसीबी करेगा निगरानी
यूपीपीसीबी की निगरानी में नगर निगम और जीडीए को कूड़ा निस्तारण और एसटीपी की समस्या को दूर करना होगा। यूपीपीसीबी इसकी रिपोर्ट तैयार करेगा। जुर्माने की राशि पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने में खर्च की जाएगी।
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