Tejas Express Derail: तेजस एक्सप्रेस के डिरेल होने की जांच तेज, स्थानीय अधिकारियों को दिल्ली बुलाया
Tejas Express Derail प्रकरण में शनिवार को पूरे दिन स्थलीय एवं घटना में लापरवाही किस स्तर पर हुई इसकी जांच चलती रही। रेलवे के स्थानीय अधिकारियों को रेल मुख्यालय दिल्ली में पूछताछ के लिए बुलाया गया। एक अधिकारी ने नाम ने छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कई पर गाज गिर सकती है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। भुवनेश्वर से नई दिल्ली को जा रही तेजस राजधानी एक्सप्रेस का एक डिब्बा बी-1 एसी थर्ड शुक्रवार को गाजियाबाद जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर चार से कुछ दूर पहले तकनीकी खामियों के चलते डिरेल हो गया था।
सूत्रों से पता चला है कि इस प्रकरण में शनिवार को पूरे दिन स्थलीय एवं घटना में लापरवाही किस स्तर पर हुई, इसकी जांच चलती रही। रेलवे के स्थानीय अधिकारियों को रेल मुख्यालय दिल्ली में पूछताछ के लिए बुलाया गया। एक अधिकारी ने नाम ने छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तैयार
ट्रैक की स्थलीय जांच के बाद रेलवे के तकनीकी अधिकारियों ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है। बारीकी से ट्रैक का तकनीकी मुआयना करने पर पाया गया है कि यह हादसा तकनीकी खामी के चलते हुआ है। सूत्रों के अनुसार दूसरे दिन हुई प्रारंभिक जांच में कई अधिकारी एवं कर्मचारियों की लापरवाही सामने आ रही है।
जांच रिपोर्ट के आधार पर कई पर गाज गिर सकती है। इस घटना के बाद प्लेटफार्म नंबर तीन और चार के ट्रैक को ठीक करते हुए रेल संचालन के लिए खोल दिया गया है। पता चला है कि तेजस को रन थ्रू ट्रैक से दिल्ली रवाना किया जाना था लेकिन उस ट्रैक पर दूसरी ट्रेन खड़ी हुई थी।
प्लेटफार्म नंबर-4 से गुजारने का दिया गया था ग्रीन सिग्नल
इसी के चलते प्लेटफार्म नंबर चार से गुजारने का ग्रीन सिग्नल दिया गया था। यह ट्रैक नई दिल्ली- लखनऊ लाइन का है। जहां पर ट्रेन डिरेल हुई वहां पर बृहस्पतिवार को ही मेंटेनेंस का कार्य किया गया था। इस कार्य के बाद से लेकर तेजस के डिरेल होने तक इस ट्रैक पर कई स्थानीय एवं एक्सप्रेस ट्रेन गुजरी।
इन ट्रेनों का पता लगाया जा रहा है। साथ ही जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि ट्रैक की मरम्मत होने से तेजस एक्सप्रेस के डिरेल होने से पहले गुजरने वाली ट्रेनों के संचालन में कोई तकनीकी खामी तो प्रकाश में नहीं आई।
सूत्र बताते हैं कि मरम्मत के बाद इसी ट्रैक पर कई ट्रेन गुजरती रहीं और तकनीकी खामी का किसी को पता नहीं चला। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि तेज गति से चलने वाले कोई ट्रेन बड़े हादसे का शिकार हो सकती है। फिलहाल तीन बिंदुओं पर जांच जारी है।
इन बिंदुओं पर की जा रही है जांच
- कांटा फंसने से तो यह ट्रेन हादसा नहीं हुआ
- डिब्बे के पहिये में कोई कमी थी अथवा नहीं
- पटरी खराब थी अथवा नहीं