जिन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवाई, वो मंदिर कैसे बनवाते- पूर्णिमा कोठारी
यह बातें अयोध्या में कार सेवा के दौरान अपने प्राणों का बलिदान देने वाले कोलकाता के राम कोठारी और शरद कोठारी की बहन पूर्णिमा कोठारी ने रविवार को गाजियाबाद स्थित भाजपा महानगर कार्यालय पर आयोजित कोठारी बन्धुओं की श्रद्धांजलि सभा मे कही। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह लोग राम मंदिर कैसे बनवाते जिन्होंने कार सेवकों पर गोलियां चलवाईं।
अभिषेक सिंह, गाजियाबाद। आज मन मे दर्द है तो गर्व की भी अनुभूति हो रही है, जिस तरह से मेरे भाइयो राम कोठारी और शरद कोठारी ने जिस रामकाज के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया, वो बलिदान आज सार्थक हो रहा है। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, जिसमें 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।
यह बातें अयोध्या में कार सेवा के दौरान अपने प्राणों का बलिदान देने वाले कोलकाता के राम कोठारी और शरद कोठारी की बहन पूर्णिमा कोठारी ने रविवार को गाजियाबाद स्थित भाजपा महानगर कार्यालय पर आयोजित कोठारी बन्धुओं की श्रद्धांजलि सभा मे कही।
विश्वास था कि मोदी के राज में ही बनेगा मंदिर- कोठारी
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह लोग राम मंदिर कैसे बनवाते, जिन्होंने कार सेवकों पर गोलियां चलवाईं, हमें विश्वास था कि मंदिर मोदी के राज में ही बनेगा। प्राण प्रतिष्ठा के दिन अयोध्या जाने का निमंत्रण ठुकराने वाले राजनीतिक दलों के बारे में कहा कि अच्छा हुआ वो लोग ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि देवता और राक्षस दो तरह के लोग होते हैं, जो मन्दिर से दूर रहता है वह राक्षस प्रव्रत्ति का होता है, ऐसे लोगों को दूर ही रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मेरे भाइयों ने सन 1990 में अशोक सिंहल को कारसेवा के दौरान अयोध्या में जब पुलिस की बर्बरता के कारण रक्त रंजित देखा तो खुद को रोक नहीं सके, वह राम जन्मभूमि विवादित ढांचे पर चढ़े और ध्वज फहराया। वह भी उस वक्त जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कर्फ्यू लगाया था, दावा किया था कि वहां कोई परिंदा भी पर नही मार सकता है।
ध्वज फहराने के बाद जब दोनों भाई रामधुन करने लगे, एक घर में शरण लेकर रुके तो सरकार ने खुन्नस में उनको पॉइंट आउट कर पुलिसकर्मियों की मदद से घर से निकालकर गोली मरवा दी, कायरों की तरह ऐसा किया गया, शरद के सीने में तो राम के सिर में गोली मारी गयी।
दोंनों भाइयों का अंतिम संस्कार अयोध्या में ही किया गया था। कर्फ्यू और सख्ती के कारण परिवार के सदस्य वहां पहुंच भही नही पाए थे, हमने दोनों भाइयों को मंगल तिलक कर घर से खुशी- खुशी भेजा था, उनको उस हालत में हम शायद देख भी नही पाते। अब मेरी इच्छा है कि आने वाली पीढियां कार सेवकों के बलिदान को जान सकें, उनकी गाथाएं सुन सकें। इसके श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आवश्यक इंतजाम करे।