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110 करोड़ की वसूली का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड समेत दो शातिर गिरफ्तार; मामले की हकीकत जान अफसर भी हैरान

Ghaziabad News यूपी के गाजियाबाद में 110 करोड़ की वसूली का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत दो शातिरों को गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला कि आरोपियों ने फर्जी फर्म के माध्यम से 621 करोड़ रुपये के सामान की कागजी खरीद-फरोख्त कर 110 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) वसूली। इस मामले में पकड़े गए आरोपियों के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है।

By Kapil Kumar Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 17 Oct 2024 10:28 PM (IST)
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गाजियाबाद में मास्टर माइंड समेत दो फर्जी फर्म संचालकों को गिरफ्तार किया गया है। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। केंद्रीय माल एवं सेवाकर (सीजीएसटी) टीम ने फर्जी फर्म के माध्यम से 621 करोड़ रुपये के सामान की कागजी खरीद-फरोख्त कर 110 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) वसूली।

इस मामले में सीजीएसटी टीम ने अवैध इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) वसूली के मास्टरमाइंड समेत दो फर्जी फर्म संचालकों को गिरफ्तार किया गया है।

फर्जी कंपनियों के पंजीकरण कराकर कागजी खरीद-फरोख्त और आइटीसी वसूली करने वालों के ख़िलाफ सीजीएसटी गाजियाबाद टीम के बड़ी सफलता हाथ लगी है।

आयुक्त संजय लवानिया ने बताया कि मेसर्स एएनवीएस ट्रेडर्स देविका टावर चंद्रनगर गाजियाबाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई, जिसमें 110 करोड़ के अवैध आइटीसी का पर्दाफाश हुआ है। जांच टीम में शामिल अपर आयुक्त आलोक सिंह, संयुक्त आयुक्त अरुण कुमार द्विवेदी, निहारिका लाखा ने बताया कि दो वर्षों की अवधि में माल और सेवाओं का वास्तविक उत्पादन किए बिना फर्म ने 621 करोड़ रुपये के फर्जी बिल जारी किए।

उन्होंने बताया कि 100 से अधिक फर्जी फर्म बनाकर उसमें 110 करोड़ के आइटीसी का लाभ लिया। इन फर्म का संचालन छत्रपाल शर्मा कर रहा था। उसने अपनी पत्नी आशा देवी के नाम पर जीएसटी का पंजीकरण करा रखा था।

गौरव इस का मामले में बाेगस फर्म के माध्यम से आइटीसी वसूली में मास्टरमाइंड के रूप में काम कर रहा था। जांच में सामने आया है कि एक ही जीएसटी नंबर, मोबाइल नंबर, बैंक खाते व पेन कार्ड पर 100 से अधिक फर्जी फर्म पंजीकृत कराई गई थीं। सीजीएसटी टीम ने दोनों को गिरफ्तार कर मेरठ न्यायालय में पेश किया, जहां दोनों को जेल भेजने की तैयारी है। इस पूरे मामले में सीजीएसटी ने करीब तीन माह कंपनियों के बोगस बिल और आइटीसी की जांच की थी।

गौरव तोमर है रैकेट का सरगना

चंद्रनगर के देविका टावर स्थित कार्यालय की जांच की गई तो फर्जी जीएसटीआइएन की जानकारी से संबंधित मोबाइल नंबर, ईमेल, ई-वे बिल आदि प्राप्त हुए। जांच में पता चला है कि गौरव तोमर फर्जी फर्म के पंजीकरण और प्रबंधन का एक रैकेट संचालित कर रहा है। बाेगस फर्म के माध्यम से इन्हें अवैध रूप से बिना माल या सेवा उत्पादन के आइटीसी का लाभ मिल सके। इसके लिए अन्य कितने लोग काम कर रहे हैं। इस संबंध में टीम जांच में जुटी है।

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फर्जी बिल लेने वाली कंपनियों की जांच शुरू

बोगस फर्म बनाने के मास्टरमाइंड गौरव ताेमर और संचालन कर रहे छत्रपाल शर्मा की गिरफ्तारी के बाद अब उन कंपनियों पर भी सीजीएसटी टीम शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है, जिन्होंने फर्जी बिल बनवाकर आइटीसी क्लेम किया है। एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश करने के बाद इस रैकेट से जुड़े लोगों और फर्जी बिल से वसूली करने वालों की जांच की जा रही है।

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