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EXCLUSIVE: खुशखबरी! गेहूं के पौधे से पहले मिलेगा हरा चारा और फिर बाद में अनाज

चारे की समस्या को दूर करने के लिए कृषि विभाग ने विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान केंद्र अल्मोड़ा द्वारा तैयार गेहूं की प्रजाति वीएल-829 को मिट्टी में परीक्षण के लिए लगाया है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 01 Dec 2019 03:45 PM (IST)
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EXCLUSIVE: खुशखबरी! गेहूं के पौधे से पहले मिलेगा हरा चारा और फिर बाद में अनाज

गाजियाबाद [हसीन शाह]। हरे चारे की समस्या से जूझ रहे जनपद के किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब किसानों को गेहूं के पौधे से अनाज के साथ हरा चारा भी मिल सकेगा। गाजियाबाद की धरती पर कृषि विभाग गेहूं की इस प्रजाति का परीक्षण कर रहा है। सफलता मिलने पर विभाग किसानों को इसका बीज मुहैया कराएगा। कृषि विभाग के अफसरों का दावा है कि इस प्रजाति से किसानों की हरे चारे की समस्या खत्म हो जाएगी।

जिले में विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य व सड़कें बनने के कारण लगातार कृषि भूमि घट रही है। किसानों के सामने हरे चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है। हरा चारा नहीं मिलने के कारण पशुओं में दूध की गुणवत्ता में कमी आई है।

मिट्टी में परीक्षण के लिए लगाया गया

चारे की समस्या को दूर करने के लिए कृषि विभाग ने विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान केंद्र अल्मोड़ा द्वारा तैयार गेहूं की प्रजाति वीएल-829 को गाजियाबाद की मिट्टी में परीक्षण के लिए लगाया है। प्रयोग के तौर तलहेटा कृषि फार्म में तीन किलो गेहूं बोया गया है। यहां की पैदावार देखने के बाद इसका बीज किसानों को मुहैया कराया जाएगा। जिले में इस वक्त 67 हजार किसान हैं। जिन्हें इसका फायदा होगा। वर्तमान में यह प्रजाति उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में बोई जा रही है।

दो माह बाद काटा जाएगा

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दो दिन पहले ही गेहूं का बीज बोया गया है। दो माह बाद चार इंच फसल छोड़ कर उससे ऊपर का हिस्सा काट लिया जाएगा। काटे गए हिस्से को हरे चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद खेत में यूरिया का छिड़काव किया जाएगा। दावा है कि इस प्रक्रिया के बाद फसल 20 दिन के भीतर ही 70 सेंटीमीटर लंबी हो जाएगी। उस पर गेहूं की बाल आने लग जाएगी।

सवा तीन लाख पशुओं की सुधरेगी सेहत

पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद में करीब सवा तीन लाख गाय व भैंस हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में डेयरियां संचालित हो रही हैं। डेयरी संचालक किसानों से हरा चारा खरीदते हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के अनुसार बेहतर दूध व प्रजनन के लिए पशुओं के चारे में 50 फीसदी तक हरा चारा प्रतिदिन होना चाहिए। इससे दूध की कमी दूर होने के साथ ही पशुओं की सेहत में इजाफा होगा।

प्रति हेक्टेयर 45 क्विंटल अनाज का उत्पादन

इस प्रजाति से प्रति हेक्टेयर भूमि पर लगभग 45 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होगा, जबकि प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल चारे का उत्पादन होगा। दिसंबर माह का प्रारंभ इसे बोने का उपयुक्त समय है। इस समय बोने पर गेहूं की पैदावार अच्छी होती है।

जिला कृषि अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि भूमि की कमी के चलते पशुओं को हरा चारा नहीं मिल पा रहा है। लगातार पशु कम हो रहे हैं। चारे की कमी को दूर करने के लिए गेहूं की प्रजाति वीएल 829 का गाजियाबाद की भूमि पर परीक्षण किया जा रहा है।

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