बेवजह चेन खींचकर ट्रेन रोकने में नोएडा के यात्री के अव्वल
गाजियाबाद अपनी सुविधा के लिए चेन खींचकर एक्सप्रेस ट्रेनों को रोकने में नोएडा के यात्रियों ने अव्वल स्थान पाकर आरपीएफ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इससे ट्रेनों के समय प्रभावित हो रहा है। नोएडा के यात्रियों की गुस्ताखी से ट्रेन में बैठे अन्य हजारों यात्रियों को परेशानी भुगतनी पड़ रही है।
हसीन शाह, गाजियाबाद : अपनी सुविधा के लिए चेन खींचकर एक्सप्रेस ट्रेनों को रोकने में नोएडा के यात्रियों ने अव्वल स्थान पाकर आरपीएफ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इससे ट्रेनों के समय प्रभावित हो रहा है। नोएडा के यात्रियों की गुस्ताखी से ट्रेन में बैठे अन्य हजारों यात्रियों को परेशानी भुगतनी पड़ रही है। चेन खींचने वालों में 60 फीसद यात्री नोएडा के हैं। यात्रियों को सुधारने के लिए आरपीएफ प्लेटफार्म पर हाथ में लाउडस्पीकर लेकर अनाउंसमेंट करती घूम रही है। चेन खींचने पर आरपीएफ ने एक साल में एक आरोपित को जेल भिजवाया है।
कोरोना महामारी को लेकर लागू लाकडाउन खत्म होने के बाद केवल एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ। एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल कोच को खत्म कर दिया गया। अभी लोकल ट्रेनें नहीं चल रही हैं। लाकडाउन के बाद गाजियाबाद, दिल्ली व नोएडा सहित एनसीआर में काम करने वाले कर्मचारी अपने घर लौट गए थे। अब जब एनसीआर में रोजगार का पहिया चल पड़ा है, तो लोग फिर से एनसीआर का रुख कर रहे हैं। यूपी, बिहार, बंगाल उत्तराखंड आदि राज्यों से बड़ी संख्या में लोग ट्रेनों से आ रहे हैं। गाजियाबाद स्टेशन से प्रतिदिन दोनों तरफ से करीब 120 ट्रेनों का संचालन होता है। इनमें करीब 40 ट्रेनों का गाजियाबाद में ठहराव होता है। नोएडा व गाजियाबाद आने वाले यात्री उन ट्रेनों का दिल्ली तक का रिजर्वेशन करा लेते हैं, जिनका गाजियाबाद में ठहराव नहीं है। वे गाजियाबाद में ट्रेन की चेन खींच देते हैं और उतरकर भाग जाते हैं। इसमें 40 फीसद गाजियाबाद के यात्री और 60 फीसद नोएडा के यात्री चेन खींचकर ट्रेन रोक देते हैं। नवंबर व दिसंबर में चेन खींचने वालों की संख्या बढ़ गई है। आरपीएफ के जवान लाउडस्पीकर से यात्रियों से बेवजह चेन न खींचने की अपील कर रहे हैं। चेन खींचने वालों पर कार्रवाई की जा रही है। इन परिस्थितियों में खींची जाती है चेन: ट्रेन को अपनी सुविधा के लिए चेन खींचकर रोकना कानूनन अपराध है। ट्रेन में आग लगने, कोच के अलग होने, तकनीकी खराबी आने, पैर फिसलने या अन्य कोई गंभीर हादसा होने पर ही ट्रेन को चेन खींचकर रोका जा सकता है। एक बार ट्रेन रुकने पर आता 32 हजार रुपये का खर्च : रेलवे अफसरों के अनुसार, एक बार ट्रेन रुक कर दोबारा चलती है, तो डीजल, बिजली आदि को लगाकर 32 हजार रुपये का खर्च आता है। चेन खींचने के बाद तकनीक टीम मौके पर जाती है और जांच पड़ताल कर उसे आगे रवाना करती है। चेन खींचने पर पीछे चल रहीं अन्य ट्रेनों का समय भी प्रभावित होता है। चेन खींचकर ट्रेन रोकने वाले सभी आरोपितों पर आरपीएफ कार्रवाई नहीं कर पाती। यात्रियों को चेन खींचने के बाद कानूनी कार्रवाई की जानकारी होती है। लिहाजा वह ट्रेन रुकते ही फरार हो जाते हैं। एक साल में एक आरोपित भेजा जेल : चेन खींचने के बाद पकड़े जाने के बाद आरोपित जुर्माना देकर आसानी से छूट जाते हैं। आरपीएफ ने पिछले एक साल में 204 आरोपितों को पकड़ा गया और इनसे एक लाख 52 हजार 300 रुपये जुर्माना वसूला गया। 204 आरोपितों में से केवल एक ही आरोपित को चार दिन जेल हुई है। इसी वजह से यात्री चेन खींचने से डरते नहीं है। जून 2020 से अब तक की आरपीएफ की कार्रवाई
माह आरपीएफ की कार्रवाई
जून 10
जुलाई 02
अगस्त 04
सितंबर 08
अक्टूबर 18
नवंबर 25
दिसंबर 27
जनवरी 18 (बृस्पतिवार तक) वर्जन..
चेन खींचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। अनाउंसमेंट कर यात्रियों को जागरुक किया जा रहा है। ज्यादातर यात्री नोएडा के हैं।
-पीकेजीए नायडू, थाना प्रभारी, आरपीएफ