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आंधी, बारिश और कोहरे में भी तेज रफ्तार में दौड़ेगी रैपिड रेल

रैपिड रेल हर मौसम में तेज रफ्तार में ट्रैक पर दौड़ेगी। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-अलवर कॉरिडोर के लिए वेदर प्रूफ रैपिड रेल खरीदेगा। आंधी, बारिश और कोहरे में रेल अपनी निर्धारित रफ्तार में दौड़ती नजर आएगी। भारतीय रेल की दुश्वारियों को देखते हुए वेदरप्रूफ रैपिड रेल खरीदने का निर्णय हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 08:44 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 08:44 PM (IST)
आंधी, बारिश और कोहरे में भी तेज रफ्तार में दौड़ेगी रैपिड रेल

आशीष गुप्ता, गाजियाबाद

रैपिड रेल हर मौसम में तेज रफ्तार में ट्रैक पर दौड़ेगी। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-अलवर कॉरिडोर के लिए वेदर प्रूफ रैपिड रेल खरीदेगा। आंधी, बारिश और कोहरे में रेल अपनी निर्धारित रफ्तार में दौड़ती नजर आएगी। भारतीय रेल की दुश्वारियों को देखते हुए वेदरप्रूफ रैपिड रेल खरीदने का निर्णय हुआ है। खूबियों से लैस स्मार्ट कोच लगेंगे

रैपिड रेल में स्मार्ट कोच लगाए जाएंगे। ये कोच कई खूबियों से लैस होंगे। आगे से आकार एयरोडायनेमिक्स होगा। इसमें कई तरह के सेंसर लगे होंगे। उससे ब्रेक घिसने की जानकारी, एक्सेल का टेंप्रेचर, पहियों की कंडीशन कोच से ही नियमित रूप से रैपिड रेल कंट्रोल रूम को मिलती रहेगी। कोच के अंदर कैमरे होंगे, जिससे आर गतिविधि रिकॉर्ड होती रहेगी। हवाई जहाज की तरह आरामदायक सीटें लगी होंगी। 45 मिनट में एयरपोर्ट

दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-अलवर कॉरिडोर बनने पर आइजीआइ एयरपोर्ट जाने वालों को आसानी होगी। एनसीआरटीसी ने दावा किया है कि गाजियाबाद से लोगों को एयरपोर्ट तक पहुंचने में 40 से 45 मिनट का वक्त लगेगा। सड़क मार्ग से वहां जाने में ढाई से तीन घंटे का समय लगता है। 18 हजार करोड़ का लेंगे लोन

दिल्ली से मेरठ तक रैपिड रेल कॉरिडोर बनाने में 31632 करोड़ रुपये की लागत आएगी। एनसीआरटीसी इसकी व्यवस्था करने के लिए 18979.2 करोड़ रुपये का लोन लेगी। केंद्र सरकार 5693.76 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश सरकार 5915.18 करोड़ रुपये और दिल्ली सरकार 1043.86 करोड़ रुपये की व्यवस्था करेगी।

रैपिड रेल वेदर प्रूफ होगी। हर मौसम में रेल निर्धारित गति से दौड़ेगी। इसमें स्मार्ट कोच लगाए जाएंगे। जो आधुनिक फीचर्स से लैस होंगे। यात्रियों को आरामदायक सेवा देने का प्रयास किया जा रहा है।

-सुधीर कुमार शर्मा, सीपीआरओ, एनसीआरटीसी


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