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Afzal Ansari: उपचुनाव न कराने की ‘चूक’ ने अफजाल को दिलाई ‘जीत’, सुप्रीम कोर्ट ने की ये ट‍िप्पणी

29 अप्रैल को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत अफजाल को चार साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद आगामी लोकसभा गठन में करीब एक साल का लंबा समय था। इसके बावजूद यहां उपचुनाव नहीं कराया गया। अफजाल अंसारी को इस दौरान फैसले के खिलाफ अपील का मौका मिला। उन्होंने पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट के फैसले के खिलाफ चुनौती दी।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Thu, 14 Dec 2023 05:10 PM (IST)
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अफजाल अंसारी के 2024 में सियासी रण में उतरने के कयास।- फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। एमपी-एमएलए कोर्ट से बसपा सांसद अफजाल अंसारी को सजा होने के बाद आगामी लोकसभा गठन में अभी एक साल का समय होने के बावजूद उपचुनाव न कराने की चूक से उन्हें जीत का बड़ा आधार मिला। शीर्ष कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि संसदीय क्षेत्र की जनता का अधिकार है कि उसका जनप्रतिनिधि हो या फिर उपचुनाव हो लेकिन यहां तो दोनों नहीं है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अब उपचुनाव न कराया जाए।

29 अप्रैल को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत सांसद अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद आगामी लोकसभा गठन में करीब एक साल का लंबा समय था। इसके बावजूद यहां उपचुनाव नहीं कराया गया। अफजाल अंसारी को इस दौरान फैसले के खिलाफ अपील का मौका मिला। उन्होंने पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट के फैसले के खिलाफ चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट में संसदीय क्षेत्र खाली होने का लाभ अफजाल अंसारी को मिला। तीन न्यायमूर्ति की पीठ ने अपने फैसले में संसदीय क्षेत्र में जनप्रतिनिधि न होने से खाली और उपचुनाव न होने का जिक्र करते हुए कहा है कि दोनों में से कोई का होना जनता का अधिकार है। कानूनी जानकारों का मानना है कि इस फैसले में यह एक बड़ा आधार है।

2024 में सियासी रण में अफजाल के उतरने के कयास

गाजीपुर। एमपी-एमएलए कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई में अफजाल अंसारी के खिलाफ लगा सरकार का पूरा तंत्र हार गया और सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। यह राहत जनपद की सियासत के लिए बड़ा संदेश है। आगामी लोकसभा चुनाव में कमल खिलाने की फिराक में जुटी भाजपा के सामने मुकाबले के लिए अफजाल अंसारी का चेहरा हो सकता है। वैसे यह सब कोर्ट के फैसले पर निर्भर है, लेकिन अगर राहत मिलती है तो वह प्रबल दावेदार हो सकते हैं।

एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा के बाद जनपद में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति थी कि अब आगामी लोकसभा चुनाव में अफजाल के चुनाव न लड़ने की स्थिति में उनके परिवार का कौन चुनाव लड़ेगा। लेकिन इस फैसले से उनके चुनावी रण में उतरने की कयास बढ़ गई है।

दरअसल, पिछले चुनाव में बसपा के अफजाल अंसारी ने भाजपा उम्मीदवार मनोज सिन्हा को हरा दिया था। गैंगस्टर मामले में 16 साल बाद सुनाई गई थी चार साल की सजावर्ष 2007 में पुलिस ने मुहम्मदाबाद से पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और बनारस के कोयला व्यवसायी व विहिप नेता नंद किशोर रूंगटा कांड के मुकदमे को शामिल करते हुए मुख्तार अंसारी व अफजाल अंसारी को गैंगस्टर में निरुद्ध किया था। हालांकि, दोनों मुख्य केस में बरी हो गए थे।

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एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल को गैंगस्टर में माफिया मुख्तार को दस व उनके भाई बसपा सांसद अफजाल अंसारी को चार वर्ष की सजा सुनाते हुए उसी दिन उन्हें जेल भेज दिया। इसके बाद अफजाल के स्वजन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

अफजाल अंसारी को 90 दिन बाद मिली थी जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर में चार साल की सजा के बाद जेल गए अफजाल अंसारी के प्रकरण की 24 जुलाई को सुनवाई करते हुए जमानत अर्जी मंजूर कर ली। हालांकि, सजा पर रोक नहीं लगाई। इसके बाद जिला जेल प्रशासन को जमानत का पत्र मिला। फिर 90 दिन बाद पूर्व सांसद जेल से रिहा हो गए।

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