Mukhtar Ansari: मुख्तार की मर्जी के बिना नहीं मिलती थी कुर्सी, जेल से फोन कर बनाता था चुनावी माहौल!
40 साल तक जरायम की दुनिया में धाक जमाने वाले मुख्तार अंसारी का राजनीतिक साम्राज्य भी खौफ भरा रहा। सपा बसपा व सुभासपा की राजनीति करने वाले अंसारी बंधुओं के लिए मुख्तार का खौफ बड़ा कवच था। ग्राम प्रधान से लेकर लोकसभा तक के सभी चुनावों में मुख्तार अंसारी का दबदबा रहता था। बिना उसकी मर्जी के ग्राम प्रधान ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी नहीं मिलती थी।
शिवानंद राय, गाजीपुर। 40 साल तक जरायम की दुनिया में धाक जमाने वाले मुख्तार अंसारी का राजनीतिक साम्राज्य भी खौफ भरा रहा। सपा, बसपा व सुभासपा की राजनीति करने वाले अंसारी बंधुओं के लिए मुख्तार का खौफ बड़ा कवच था। ग्राम प्रधान से लेकर लोकसभा तक के सभी चुनावों में मुख्तार अंसारी का दबदबा रहता था।
बिना उसकी मर्जी के ग्राम प्रधान, ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी नहीं मिलती थी। एमएलसी, विधानसभा व लोकसभा के चुनावों में भी एक तबके के वोट को वह पलट देता था। जनपद में चंद राजनीतिज्ञों को छोड़ दें तो शायद की कोई सियासतजदां होगा, जिसने फाटक से चुनाव लड़ने के दौरान अनुमति न ली हो। जनपद के कई राजनीतिक दिग्गज अंसारी बंधुओं की नजरें टेढ़ी होने के बाद हार का मुंह भी देख चुके हैं।
हालात यह रही कि 90 की दशक के बाद तो मुख्तार अंसारी कई दलों के लिए मजबूरी रहा। शायद यहीं वजह रही कि वह 25 साल तक माननीय बना रहा। इन वर्षों में न सिर्फ गाजीपुर बल्कि मऊ व अन्य जनपदों में भी उसकी राजनीतिक पैठ गहरी रही। वह किसी भी दल में रहते हुए दूसरे दल के प्रत्याशी को अपनी मर्जी से टिकट दिलवाता था। जितना संबंध बसपा में रहते हुए बसपा हाईकमान से होता था, उतने ही सपा व अन्य दलों के बड़े नेताओं से भी थे।
कमसार के मुस्लिमों से की थी अपील
मुख्तार अंसारी ने जेल में बंद रहते हुए राजनीतिक साम्राज्य को मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता था। वर्ष 2017 के जमानियां विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी से पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, बसपा के अतुल राय व भाजपा से सुनीता सिंह चुनाव मैदान में थीं। अतुल राय के पक्ष में जेल से ही कमसार के मुस्लिमों के नाम अपील पत्र भेजा था।हालांकि अतुल राय नहीं जीते थे, लेकिन ओमप्रकाश सिंह भी चुनाव हार गए थे। तब ओमप्रकाश सिंह से फाटक की अनबन चल रही थी। कमसार का बहुत बड़ा मुस्लिम इलाका फाटक की एक अपील पर खड़ा रहता था। हर चुनाव में वह एक पत्र जारी करता था। जिसके बाद काफी हद तक राजनीतिक समीकरण बदल जाते थे। शायद अब भविष्य के चुनावों में वह न रहे।
जेल से फोन कर बनाता था चुनावी माहौल!
मुख्तार अंसारी चाहे गाजीपुर, आगरा या फिर लखनऊ जेल में बंद हो, वह जेल से ही फोन पर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में कर लेता था। उसके समय के राजनीति से जुड़े जानकारों का कहना था कि सपा व बसपा सरकारों में मुख्तार का सिक्का चलता था। ऐसे में वह न सिर्फ पुलिस-प्रशासन बल्कि जेल के अंदर भी अपनी हनक रखता था। जबभी कोई चुनाव आता था तो यहां के प्रत्याशी जेल में उससे मिलने जाते थे।
उसके आशीर्वाद के बाद ही वह चुनाव लड़ते थे। इतना ही नहीं वह ग्राम प्रधान, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत, एमएलसी, विधानसभा व लोकसभा चुनावों में अपने समर्थन के प्रत्याशी के लिए वोट देने का दबाव भी डालता था। उनकी बातों पर यकीन करें तो कई बार तो एेसे भी मौके आए जब मुख्तार ने जेल में रहते हुए चुनाव के लिहाज से मजबूत लोगों को फोन कर उन्हें अपने पक्ष में वोट देने के लिए डराता व धमकाता था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।