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गिट्टी विहीन पटरी पर दौड़ रही डीटी पैंसेजर ट्रेन

जासं, जमानियां (गाजीपुर): पूर्व मध्य रेलवे दानापुर मंडल के दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन

By JagranEdited By: Updated: Wed, 22 Aug 2018 09:15 PM (IST)
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गिट्टी विहीन पटरी पर दौड़ रही डीटी पैंसेजर ट्रेन

जासं, जमानियां (गाजीपुर): पूर्व मध्य रेलवे दानापुर मंडल के दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन को अगर मौत की पटरी कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं। कारण ब्रांच लाइन रेल पटरी पर गिट्टी नदारद है और इस पर ही पैसेंजर प्रतिदिन दौड़ती है। ऐसे में कभी भी किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसको लेकर इंजीनिय¨रग विभाग के अधिकारी भी मौन साधे हुए हैं। यह हाल है रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले ब्रांच लाइन का।

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान नील और अफीम की ढुलाई के लिए अंग्रेजों ने दिलदारनगर से ताड़ीघाट तक ब्रांच लाइन को बिछवाया। तब से लेकर आज तक इस रेल पटरी पर डिटी पैसेंजर ट्रैन दौड़ रही है। भारतीय रेल में समय और मांग के अनुसार बड़ा बदलाव हुआ लेकिन ताड़ीघाट ब्रांच लाइन की स्थिति जस की तस बनी है। केवल पटरी के बीच लगे लकड़ी के स्लीपर की जगह लोहे और उसके बाद कंक्रीट का स्लीपर लगाया गया। ---

19 किमी लंबी है रेल लाइन

- दिलदारनगर ताड़ीघाट ब्रांच लाइन की लंबाई 19 किमी है। इसमें महज कुछ जगह ही गिट्टियां हैं। पैसेंजर ट्रेन बैगर गिट्टी युक्त पटरी पर ही दिनभर में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को आती जाती है। रेल पटरी के बीच गिट्टी नहीं होने से दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। ---

30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है पैसेंजर

- दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन पर पैसेंजर ट्रेन केवल 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। कारण रेल पटरियों के बीच गिट्टियों का पर्याप्त मात्रा में नहीं होना है। ऐसे में दिलदारनगर से ताड़ीघाट तक 19 किमी की दूरी तय करने में पैसेंजर ट्रेन को 50 मिनट का समय लग जाता है, जबकि रेलवे के मानक के अनुसार 19 किमी की दूरी तय करने में किसी भी पैसेंजर ट्रेन को 25 मिनट का समय लगता है। ---

ब्रांच लाइन पर है 15 छोटी व बड़ी पुलिया - दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन पर कुल 15 छोटी बड़ी पुलिया है। इसमें से पांच पुलिया पर वर्ष 2014 में ही रेलवे की ओर से लकड़ी के जर्जर स्लीपर की जगह लोहे का चैनल स्लीपर लगवाने का कार्य प्राइवेट एजेंसी द्वारा करवाया गया था। शेष 10 पुलिया में लगे जर्जर लकड़ी के स्लीपर के सहारे ही डिटीपैसेंजर ट्रेन दौड़ रही थी। बीते जुलाई माह में बहुआरा गांव के पास छोटी पुलिया पर लकड़ी की जर्जर स्लीपर को हटाकर कंक्रीट का स्लैब लगाया गया। इसके बाद वायरलेस मोड़ के पास बड़ी पुलिया पर भी कंक्रीट का स्लैब रखा गया। विभाग द्वारा अन्य पुलियों पर भी स्लैब रखने का कार्य किया जा रहा है। ---

52 किलो की पुरानी रेल पटरी पर दौड़ रही ट्रेन

- दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन पर आज भी 52 किलो की पुरानी और जर्जर रेल पटरी पर ही डिटी पैसेंजर ट्रेन दौड़ रही है। ऐसे में ट्रेन के सफल संचालन को लेकर रेलवे का संरक्षा और सुरक्षा का दावा भी पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। कहीं-कहीं तो पटरी धंस भी गयी है। ---

इसलिए डाली जाती हैं रेल पटरी के बीच गिट्टियां

- रेलवे ट्रैक पर गिट्टियां इसलिए डाली जाती हैं कि पटरियों के बीच में घर्षण ना हो। रेल काफी भारी-भरकम होती है और जब वह चलती है तो इससे बहुत ज्यादा घर्षण होता है। उसको कम करने के लिए गिट्टियां बिछाई जाती हैं। गौर करने वाली बात यह है कि भारत में शायद ही कोई ऐसा रेलवे ट्रैक हो जहां गिट्टी ना डाली जाती हों। इन विशेष प्रकार की गिट्टियों को बलास्ट कहते हैं। ---

सुरक्षा और संरक्षा का है ध्यान - दिलदारनगर ताड़ीघाट ब्रांच लाइन पर स्थित बड़ी व छोटी पुलिया पर लकड़ी के स्लीपर को हटाकर कंक्रीट का स्लैब रखा जा रहा है। यह कार्य पूरा होने के बाद पटरी में गिट्टी डालकर पै¨कग किया जाएगा। गंगा नदी में निर्माणाधीन रेल पुल का कार्य पूरा होने के बाद दिलदारनगर ताड़ीघाट ब्रांच लाइन मेन लाइन बन जाएगा। इस हिसाब से कार्य किया जा रहा है। साथ ही सुरक्षा और संरक्षा का पूरा ध्यान दिया जा रहा है।

- मो. अख्तर अली, मंडल अभियंता तृतीय दानापुर मंडल इंजीनिय¨रग विभाग।