Move to Jagran APP

Ghazipur Lok Sabha Chunav Result 2024: फिर मुरझाया कमल, अफजाल ने बनाया दूसरी बार जीत का रिकार्ड

Ghazipur Lok Sabha Chunav Result 2024 गाजीपुर सीट माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सुर्खियों में रही। यहां से बड़े भाई अफजाल अंसारी सपा पारस नाथ राय भाजपा व डा. उमेश कुमार सिंह बसपा से मैदान में रहे। यहां यादव व मुस्लिम वोटरों (एमवाई) के समीकरण को भेदने में भाजपा असफल रही। यहां अनुसूचित व ओबीसी मतदाता भी काफी हैं।

By Abhishek Pandey Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 04 Jun 2024 09:57 AM (IST)
Hero Image
फिर मुरझाया कमल, अफजाल ने बनाया दूसरी बार जीत का रिकार्ड
शिवानंद राय l जागरण गाजीपुर : हाट सीट गाजीपुर संसदीय से भाजपा का कमल लगातार तीसरे चुनाव में मुरझा गया है। एक विधानसभा व दो लोकसभा में भाजपा की हार ने हाईकमान को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। वहीं हर चुनाव को समीकरण के आधार पर लड़ने वाले सपा से अफजाल अंसारी 40 वर्षों में लगातार दूसरी बार जीतने वाले तीसरे सांसद बन गए हैं।

इसके पहले सांसद हरप्रसाद सिंह व कांग्रेस के जैनुल बसर लगातार दूसरी बार सांसद बने थे। लोकसभा सीट माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सुर्खियों में रही। यहां से बड़े भाई अफजाल अंसारी सपा, पारस नाथ राय भाजपा व डा. उमेश कुमार सिंह बसपा से मैदान में रहे।

यहां यादव व मुस्लिम वोटरों (एमवाई) के समीकरण को भेदने में भाजपा असफल रही। यहां अनुसूचित व ओबीसी मतदाता भी काफी हैं। बावजूद इसके भाजपा के प्रत्याशी पारस नाथ राय को अफजाल अंसारी से भारी मतों से हार का मुंह देखना पड़ा है।

चुनाव से पहले मुख्तार की मौत को सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने हत्या बताते हुए चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया था, लेकिन इसमें वह बहुत हद तक सफल नहीं हो पाए।

हालांकि आइएनडीआइए के संविधान खतरे में बताने को वह एससी व ओबीसी में पहुंचाने में सफल रहे, जिसका नतीजा रहा है कि यहां से पीएम मोदी, सीएम योगी, मप्र के सीएम मोहन यादव की जनसभा और गृहमंत्री अमित शाह का रोड शो भी भाजपा को जीत नहीं दिला सका।

वर्ष 2019 के लोकसभा के चुनाव में भी बसपा के अफजाल अंसारी ने तत्कालीन रेल राज्यमंत्री को 1,19 392 वोटों से हराया था। इस चुनाव में सुभासपा के साथ आने के कारण भाजपा गठबंधन को जीत की उम्मीद थी, जो धूल धूसरित हो गई। इससे पहले वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सातों सीटें हार गईं थीं।

ये स्थानीय मुद्दे हावी

  • गाजीपुर के गंगा घाटों का सुंदरीकरण
  • पूर्वांचल एक्सप्रेसवे किनारे रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कल कारखाने की स्थापना हो
  • नंदगंज चीनी मिल और बड़ौरा कताई मिल को पुन: चालू कराने की जरूरत
  • अफीम फैक्ट्री से फिर से किसानों को पोस्ता की खेती के लिए लाइसेंस मिले
  • ओडीओपी के तहत वाल हैंगिग के लिए बाजार उपलब्ध कराने की आवश्यकता

सीट का इतिहास (Ghazipur Lok Sabha Seat History)

1952 से 1962 तक गाजीपुर लोकसभा सीट इंडियन नेशनल कांग्रेस के कब्जे में रही। 1952 से 1957 तक हर प्रसाद सिंह व 1962 तक विश्वनाथ गहमरी जैसे राजनीतिक धुरंधर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया करते थे।

1967 से 1971 तक यह सीट सरजू पांडेय के हाथ में रही। 1977 में गौरीशंकर राय सासंद बने। 1980 में यह सीट एक बार फिर से कांग्रेस के झोली में चली गई और 1980 व 1984 में इंडियन नेशनल कांग्रेस से जैनुल बसर दो बार सांसद चुने गए।

1989 में जगदीश कुशवाहा ने निर्दल के रूप में प्रतिनिधित्व किया। 1991 में एक बार फिर से कम्युनिष्ट पार्टी से विश्वनाथ शास्त्री सांसद चुने गए। 1996 में इस सीट पर पहली बार भाजपा के मनोज सिन्हा ने कमल खिलाया, जो 1999 व 2014 में भी सांसद रहे।

इसे भी पढ़ें: कन्नौज से सुब्रत की अग्नि परीक्षा, तो अखिलेश के सामने विरासत की जंग; पढ़ें क्या है इस सीट पर यादव परिवार का इतिहास

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।