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Mukhtar Ansari: 'अभी खत्म नहीं हुई मुख्तार अंसारी की कहानी', सांसद अफजाल अंसारी बोले, सरकार समझ रही है, 20 साल बाद भी...

माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अब कारणाें की जांच की बात परिवार कर रहा है। सांसद अफजाल अंसारी ने जेल में जहर देने की बात फिर से दोहराई है। उन्होंने कहा है कि एक बार जेल में भाेजन खाने से वहां के बंदी रक्षक और जेलर भी बीमार पड़े थे। मुख्तार के शव को सुरक्षित तरीके से दफन किया है ताकि जरूरत पड़ने पर जांच की जा सके।

By Gopal Singh Yadav Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 01 Apr 2024 07:29 PM (IST)
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सुरक्षित दफनाया मुख्तार का शव, 20 साल बाद भी जांच से चल सकेगा जहर का पता

संवाद सूत्र, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर)। सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि सरकार समझ रही कि मुख्तार अंसारी की कहानी खत्म हो गई, लेकिन कहानी अब शुरू होगी। सरकार के संरक्षण में उनके चहेते अधिकारियों ने दुर्दांत अपराधियों को बचाने के लिए मुख्तार अंसारी की हत्या की साजिश को अंजाम दिया गया है।

जेल प्रशासन, एसटीएफ, एलआइयू की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया गया। दावा किया कि भविष्य में भी यदि जांच की जरूरत पड़ती है तो मुख्तार अंसारी का शव इस एतिहात के साथ दफन किया गया है कि पांच, दस व 20 साल में भी उसके नाखून, बाल का परीक्षण कर मौत के कारणों का पता लगाया जा सकेगा।

खाने में जहर देने की कही बात

अपने आवास पर बातचीत में सांसद ने कहा कि मुख्तार ने खुद बताया था कि 19 मार्च को भोजन में जहर दिया गया है। 20 मार्च को मैंने जेल अधीक्षक से वार्ता की थी। अधीक्षक ने बताया था कि डाक्टरों का पैनल इलाज कर रहा हैं तबीयत ठीक हैं। मैंने बातचीत में बताया कि जहर दिया गया है।

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इससे पहले भी बंदी रक्षक व डिप्टी जेलर को भी भोजन खाकर चेक करने पर जहर का असर हुआ था। दोनों पांच दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे। अधीक्षक ने स्वीकार किया था कि बंदी रक्षक व डिप्टी जेलर बीमार रहे, लेकिन दोनों के अलग-अलग कारण डाक्टरों ने बताया है।

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डाक्टरों से कहा था रेफर कर दें

25 मार्च को बांदा अस्पताल में भर्ती के दौरान मैंने डाक्टरों से मुख्तार को रेफर करने की बात कही थी, तब डाक्टरों ने चार दिन में ठीक करने की बात कही थी। मुख्तार को जानबूझ कर आइसीयू से कुछ ही घंटे बाद वापस जेल भेज दिया गया।

डाक्टरों ने फिटनेस होने का लिखित पत्र देकर व्हीलचेयर से जेल भिजवाया। कहा कि शासन प्रशासन ने पूर्वांचल में दहशत का माहौल पैदा किया था। इसके बावजूद अंतिम यात्रा में हुजूम उमड़ पड़ा था। हुजूम देखकर अधिकारी पागल हो गए थे।

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