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Mukhtar Ansari: शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी दोषी करार, 13 मार्च को अदालत तय करेगी सजा

Mukhtar Ansari शस्त्र लाइसेंस मामले में मऊ के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है। फर्जीवाड़ा कर 36 साल पहले दोनाली बंदूक का शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार को दोषी माना है। अब इस मामले में 13 मार्च को सजा सुनाई जाएगी। मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह तीसरा मुकदमा है जिसमें अदालत द्वारा सजा सुनाई जाएगी।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Tue, 12 Mar 2024 03:32 PM (IST)
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शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी दोषी करार, 13 मार्च को अदालत तय करेगी सजा
जागरण संवाददाता, गाजीपुर। फर्जीवाड़ा कर 36 साल पहले दोनाली बंदूक का शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने आरोपित मऊ के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है। सजा निर्धारित करने के लिए अदालत ने 13 मार्च की तिथि नियत की है।

इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसले के लिए 12 मार्च की तिथि मुकर्रर की थी। अब आज हुई सुनवाई मे मुख्तार को दोषी माना गया है। कल यानी कि 13 मार्च को  पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई जाएगी। 

तीसरे मामले में मिलेगी सजा

मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह तीसरा मुकदमा है जिसमें अदालत द्वारा सजा सुनाई जाएगी। इससे पहले अवधेश राय हत्याकांड और कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकाने के मामले में यहां की अदालत सजा सुना चुकी है।

जानिए क्या है शस्त्र मामला

अभियोजन पक्ष का मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि दस जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था। इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी,तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।

1997 में दाखिल किया गया था आरोप पत्र

जांचोपरांत तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित कर दी गई। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध वाद 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन,पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत दस गवाहों का बयान दर्ज किया गया। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह व सीबीसीआईडी की ओर से ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी उदयराज शुक्ला ने पैरवी की।

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