गांजा लीगल करना चाहिए! सपा सांसद ने कहा, ‘मठों से लेकर लखनऊ तक इसकी मांग… सरकार दे मान्यता’
सपा सांसद अफजाल अंसारी ने गांजे की बिक्री को वैध करने की मांग की कहा कि मठों से लेकर लखनऊ तक इसकी मांग है। उन्होंने सरकार पर दोहरी नीति का आरोप लगाया और भांग की तरह गांजे को लाइसेंस देने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने यूपी पुलिस के एनकाउंटर पर भी सवाल उठाए। भाजपा ने उन्हें बहरूपिया बताते हुए उनकी टिप्पणी की निंदा की।
संवाद सहयोगी, गाजीपुर। सपा सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि गांजा की बिक्री को लेकर सरकार को घेरा। कहा कि मठ, कुंभ से लेकर लखनऊ तक लोग गांजा पीते हैं। सरकार को गांजा पीना वैध कर देना चाहिए, क्योंकि मठों से लेकर लखनऊ तक इसकी मांग है।
प्रदेश में लाखों लोग धार्मिक आयोजनों में खुलेआम गांजा को ‘बाबा की बूटी’ कहकर पीते हैं, फिर इस पर प्रतिबंध क्यों? महाकुंभ में गांजे से भरी ट्रेन भी मांग को पूरा नहीं कर सकती।
सरकार पर सवाल उठाया कि गांजे के लिए दोहरी नीति क्यों हैं? भांग की तरह की गांजा को भी लाइसेंस देकर वैध घोषित करना चाहिए। हर मठ मंदिर पर इसका सेवन किया जा रहा है। सरकार से गांजा को कानून का दर्जा देने की मांग की।
गुरुवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि श्री बालाजी के प्रसाद में मिलावट का विवाद जानबूझकर इसलिए खड़ा किया गया, ताकि प्रसाद का पिछला टेंडर रद करके गुजराती लॉबी को नया टेंडर दिया जा सके।
प्रसाद ब्राह्मणों द्वारा देसी घी की मदद से तैयार किया जाता है। देसी घी गाय के दूध से तैयार किया जाता है और इसलिए यह स्पष्ट है कि प्रयोगशाला के नतीजों में प्रसाद में पशु वसा की मौजूदगी दिखाई देगी। देश के सभी प्रमुख बीफ निर्यातक गुजरात से हैं। उनका नाम उजागर होना चाहिए।
उन्होंने यूपी पुलिस और एसटीएफ से किए जा रहे एनकाउंटर पर भी सवाल उठाते हुए सरकार को घेरा। कहा कि विधानसभा में हमारे प्रदेश के मुखिया खुलेआम ठोकों कह रहे हैं, जो गैरकानूनी है। पुलिस कहानी गढ़कर एनकाउंटर कर रही है। मुठभेड़ को लेकर सवाल उठाया। कहा कि मुठभेड़ को जनता कानून सम्मत कार्रवाई नहीं मानती है।
सांसद को बताया बहरूपिया
भाजपा के प्रदेश मीडिया सह प्रभारी नवीन श्रीवास्तव ने सपा सांसद अफजाल अंसारी के बयान पर पलटवार करते हुए उन्हें बहरूपिया बताया है। कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संतों, ऋषि महात्माओं की धरती का प्रतिनिधित्व करने वाले अफजाल अंसारी हिंदू मतदाताओं को ठगने के लिए मंदिरों में पूजापाठ करने का स्वांग रचते हैं। उनकी यह टिप्पणी सनातनियों की आस्था के महापर्व कुंभ को ठेस पहुंचाने वाला है।
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