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Lok Sabha Election 2024: यूपी की इस लोकसभा सीट पर राजभर की भूमिका अहम, क्या माफिया के गढ़ में सेंध लगा पाएगी NDA

Gazipur Lok Sabha Seat पूर्वांचल की गाजीपुर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है। पिछले कई चुनाव से गाजीपुर के विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा चुनावों में सुभासपा का बटखरा (बांट) जिस भी सियासी दल के तराजू पर रख दिया जाता है तो उसका पलड़ा भारी हो जाता है। इस बार यह बटखरा भाजपा गठबंधन के साथ है। गाजीपुर से शिवानंद राय की रिपोर्ट...

By Shivanand Rai Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 19 Apr 2024 11:07 AM (IST)
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Gazipur Lok Sabha Seat: सुभासपा का बटखरा जिस भी सियासी दल के तराजू पर रखा, उसका पलड़ा हुआ भारी
 पूर्वांचल की गाजीपुर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है। यहां सपा के ओम प्रकाश 1998 में, अफजाल अंसारी 2004 में व राधेमोहन सिंह 2009 में विजयी हुए थे। भाजपा ने भी सियासी रूप से इस ऊसर जमीन में कमल खिलाया है। भाजपा से तीनों बार (1996, 1999 व 2014 चुनाव) मनोज सिन्हा ही सांसद चुने गए।

इस बार भाजपा ने पारस नाथ राय को उतारा है। रण में दूसरी तरफ सपा, कांग्रेस, आप व माकपा का समर्थन वाले आइएनडीआइए गठबंधन के सपा प्रत्याशी से अफजाल अंसारी हैं। बसपा के डा. उमेश कुमार सिंह अकेले दम पर ताल ठोके हुए हैं।

पिछले कई चुनाव से गाजीपुर के विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा चुनावों में सुभासपा का बटखरा (बांट) जिस भी सियासी दल के तराजू पर रख दिया जाता है तो उसका पलड़ा भारी हो जाता है। इस बार यह बटखरा भाजपा गठबंधन के साथ है। गाजीपुर से शिवानंद राय की रिपोर्ट...

लोकसभा चुनाव 2019 में सपा-बसपा गठबंधन था। इस कारण तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का काम चुनाव में काम नहीं आया। सपा-बसपा गठबंधन ने हवा का रुख मोड़ दिया। बसपा से अफजाल अंसारी ने मनोज सिन्हा को 1,19,392 वोटों से हरा दिया। अफजाल अंसारी को 51.20 प्रतिशत वोट मिले थे।

हालांकि हारने के बाद भी मनोज सिन्हा को पिछले चुनाव से सवा लाख अधिक वोट मिला था। मनोज सिन्हा को 4,46,690 वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव में सुभासपा अकेले लड़ी थी। तब सुभासपा के रामजी को 33,877 मत मिले थे। वैसे इस बार अगर सुभासपा भाजपा के साथ है और उसके तब मिले मतों को भाजपा प्रत्याशी से जोड़ दिया जाए तो भी अफजाल के बढ़त को पाट नहीं पाएंगे।

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विधानसभा चुनाव में और पीछे हो गई भाजपा

2022 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो सुभासपा से गठबंधन में सपा को सीटों का लाभ हुआ था। गठबंधन ने सभी पांच सीटें जीत ली थी। इतना ही नहीं वोटों को अंतर भी बहुत अधिक हो गया था।

सपा पांच में से जो चार सीट सदर, सैदपुर, जमानियां और जंगीपुर जीती थी उसके प्रत्याशियों और उसके अब के आइएनडीआइए गठबंधन के कांग्रेस, आप और कम्युनिस्ट मतों को जोड़ दिया जाए तो वोटों की संख्या 5,36,594 होती है।

इसके आलावा पांचवीं विधानसभा क्षेत्र सीट जखनियां है जहां से सुभासपा के बेदी 1,13,378 वोट पाकर विजयी हुए थे। यहां भाजपा के रामराज को 76,513 मत मिले थे। अब अगर सुभासपा और भाजपा के वोट को भी भाजपा प्रत्याशी में जोड़ दिया तो आइएनडीआइए गठबंधन से दूर हैं। इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा गठबंधन में भाजपा तीन सीटें जीतीं थीं।

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इस लिहाज से भी जनपद के सियासी तराजू पर सुभासपा के बांट का काफी वजन है। वैसे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में परिस्थितियां, मुद्दे, प्रत्याशी आदि अलग होते हैं। इस कारण हर बार दो और दो चार नहीं होता।

2009 में गाजीपुर में समाहित हो गया सैदपुर

लोकसभा क्षेत्र गाजीपुर में 2009 से गाजीपुर सदर, जमानियां, जखनियां, सैदपुर व जंगीपुर शामिल है। इसके पूर्व सैदपुर लोकसभा क्षेत्र के हिस्से में रही जमानियां और सैदपुर विधानसभा सीट को इसका हिस्सा बना दिया गया। जंगीपुर को नया जोड़ा तो जखनिया सामान्य कर दिया। पूर्व में गाजीपुर के अंतर्गत जहूराबाद, मोहम्मदाबाद, दिलदारनगर, जमानियां और गाजीपुर आते थे।

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