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यूपी सरकार ने मुख्तार अंसारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दिलाया भरोसा, बेटे ने सुप्रीम कोर्ट से बताया था जान को खतरा

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मुख्तार अंसारी की जान को खतरा बताते हुए उसे उत्तर प्रदेश की जेल से बाहर किसी अन्य राज्य की जेल में स्थानांतिरत करने की मांग की है। मुख्तार अंसारी फिलहाल उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद है। उसे हत्या के एक मामले में सजा हो चुकी है।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Fri, 15 Dec 2023 08:39 PM (IST)
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यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि मुख्तार की जेल में सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि पूर्व विधायक बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की जेल में सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। यह भी कहा कि अगर जरूरत हुई तो सुरक्षा बढ़ाई जाएगी ताकि उसे कोई नुकसान न पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए इस बयान को आदेश में दर्ज करते हुए मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश से बाहर किसी और जेल में ट्रांसफर करने और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर निर्देश लेने के लिए समय देते हुए मामले को जाड़े की छुट्टियों के बाद 16 जनवरी को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मुख्तार अंसारी की जान को खतरा बताते हुए उसे उत्तर प्रदेश की जेल से बाहर किसी अन्य राज्य की जेल में स्थानांतिरत करने की मांग की है। मुख्तार अंसारी फिलहाल उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद है। उसे हत्या के एक मामले में सजा हो चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से स्थानांतरित करके उत्तर प्रदेश की बांदा जेल लाया गया था। उमर अंसारी की याचिका शुक्रवार को न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी। याचिकाकर्ता अंसारी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुख्तार अंसारी के साथ के सह अभियुक्तों की और अतीक अहमद व उसके भाई की कस्टडी के दौरान हत्या किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को लेकर बहुत च‍िंता है।

सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि उन्होंने संशोधित नई याचिका दाखिल की है और कोर्ट इस पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करे। लेकिन नोटिस जारी होने से पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने याचिका विरोध किया। उन्होंने कहा कि मुख्तार जेल में है न्यायिक हिरासत में है ऐसे में अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल की गई यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। एएसजी की इन दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि यह मामला किसी की जान और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है क्या उत्तर प्रदेश सरकार कोर्ट में यह कह रही है कि उसकी जान को कोई खतरा नहीं होगा उसे कोई नुकसान नहीं पुहंचेगा और उसकी सुरक्षा सुनिश्चति होगी।

अगर जरूरत हुई तो बढ़ाई जाएगी सुरक्षा 

नटराज ने कहा कि राज्य सरकार उसकी उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और अगर जरूरत हुई तो सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं इसका ब्योरा भी कोर्ट को दे सकती है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि सरकार से निर्देश लेने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए। लेकिन सिब्बल ने कोर्ट से अनुरोध किया कि कोर्ट याचिका पर औपचारिक नोटिस जारी करें क्योंकि ऐसा ही आश्वासन राज्य सरकार ने अतीक अहमद के मामले में भी दिया था।

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इस पर पीठ के दूसरे न्यायाधीश संजय करोल ने कहा कि अगर सरकार उसकी समुचित सुरक्षा का इंतजाम करती है तो क्या परेशानी है। वह हिरासत में है अभी केस के ट्रायल की क्या स्थिति है यह भी पता करनी है। पीठ ने सिब्बल से इस बारे में पहले दाखिल की जा चुकी याचिकाओं का भी जिक्र किया। यह भी बताया कि हाई कोर्ट का भी आदेश इस बारे में है। इसके बाद पीठ ने उमर अंसारी की मुख्तार को उत्तर प्रदेश से बाहर किसी जेल में स्थानांतरित करने और उसकी सुरक्षा के इंतजाम पर राज्य सरकार से निर्देश लेने के लिए एएसजी को समय दे दिया। कोर्ट मामले पर 16 जनवरी को फिर सुनवाई करेगा।

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