माफिया मुख्तार अंसारी ने बचने के लिए खूब दी दलील, नहीं आई कोई काम
माफिया मुख्तार अंसारी पर करीब 59 मुकदमे दर्ज बताए गए हैं जिसमें गाजीपुर के अलावा लखनऊ मऊ व वाराणसी में मुकदमे दर्ज हैं। इसके बाद मुख्तार अंसारी का नाम एक के बाद एक हत्याओं में आता गया। कई मुकदमे में साजिश कर्ता के रूप में भी नाम आया।
गाजीपुर, जागरण सांवाददाता। करीब चार दशक से जरायम की दुनिया में राज करने वाला माफिया मुख्तार अंसारी के गले में जिले में पहली बार कानून का फंदा पड़ा है। मुख्तार अंसारी ने कानूनी फंदे से बचने के लिए खूब दांव पेंच आजमाया और तमाम दलीलें दीं, जो कानून के आगे टिक नहीं पायी। अंत: में माफिया को सजा मिली। इससे पहले हाल ही में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई थी।
1988 में पहली बार रखा,अपराध की दुनिया में कदम
अपराध की दुनिया में जिले के मुहम्मदाबाद निवासी मुख्तार अंसारी का नाम पहली बार 1988 में ठेकेदारी के विवाद में हरिहरपुर निवासी ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या में आया था। हत्या तब हुई थी जब वह बुलेट से मुहम्मदाबाद की ओर से अपने गांव हरिहरपुर आ रहे थे। चौराहे पर कई गोली मारी गई थी।
हालांकि उस मामले में कोई ठोस कानूनी कार्रवाई परिजनों ने नहीं की थी। इसके बाद तो मनोबल बढ़ता गया और वह पूर्वांचल ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का माफिया बन गया। उस पर कुल करीब 59 मुकदमे दर्ज बताए गए हैं जिसमें गाजीपुर के अलावा, लखनऊ, मऊ व वाराणसी में मुकदमे दर्ज हैं। इसके बाद मुख्तार अंसारी का नाम एक के बाद एक हत्याओं में आता गया। कई मुकदमे में साजिश कर्ता के रूप में भी नाम आया।
भाजपा के पूर्व विधायक की हत्या में आ चुका है नाम
जिले में वर्ष 2005 में मुहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय निवासी गोड़ऊर की हत्या में भी नाम आया था। इससे पहले माफिया त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या का आरोप भी माफिया पर लगा था। अभी हाल ही में लखनऊ के आमलमबाग में वर्ष 2003 में जेलर एसके अवस्थी को धमकाने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सजा सुनाई थी। जिले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ पहली बार किसी कोर्ट ने दस साल के कारावास की सजा सुनाई है।