बजरंग पूनिया का हरियाणा में जन्म, यूपी में दांव-पेंच सीख बने गोल्डेन ब्वॉय
18वें एशियाई खेलों के पहले दिन कल शानदार प्रदर्शन करते बजरंग पूनिया ने 65 किलोग्राम फ्री स्टाइल स्पर्धा के फाइनल में जापान के दाइजी ताकातानी को 11-8 अंक से शिकस्त दी।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Wed, 22 Aug 2018 08:12 AM (IST)
गोंडा [नंदलाल तिवारी]। एशियाई खेलों में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाले बजरंग पुनिया ने भले ही हरियाणा में जन्म लिया हो मगर गोंडा की माटी से उनका बेहद लगाव है। जिले के नंदिनीनगर महाविद्यालय से बैचलर ऑफ फिजिकल एजूकेशन की पढ़ाई और यहां के कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में कुश्ती के दांव-पेंच सीखकर जकार्ता में तिरंगा लहराने से गोंडावासी फख्र महसूस कर रहे हैं।
हरियाणा के झज्जर जिले के खुडासन गांव के रहने वाले बजरंग का बचपन से ही कुश्ती के प्रति लगाव था। गांव के अखाड़े में पहलवानी के दांव-पेच आजमाने के बाद वर्ष 2012 में एक प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर रहे थे, तभी उन पर कुश्ती संघ अध्यक्ष व सांसद बृजभूषण शरण ङ्क्षसह की नजर पड़ी। नंदिनीनगर कुश्ती भवन केंद्र के प्रभारी डॉ. सत्येंद्र ङ्क्षसह के मुताबिक इसके बाद वह उनको लेकर नंदिनीनगर महाविद्यालय आ गए।
हरियाणा के झज्जर जिले के खुडासन गांव के रहने वाले बजरंग का बचपन से ही कुश्ती के प्रति लगाव था। गांव के अखाड़े में पहलवानी के दांव-पेच आजमाने के बाद वर्ष 2012 में एक प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर रहे थे, तभी उन पर कुश्ती संघ अध्यक्ष व सांसद बृजभूषण शरण ङ्क्षसह की नजर पड़ी। नंदिनीनगर कुश्ती भवन केंद्र के प्रभारी डॉ. सत्येंद्र ङ्क्षसह के मुताबिक इसके बाद वह उनको लेकर नंदिनीनगर महाविद्यालय आ गए।
यहां पर बैचलर ऑफ फिजिकल एजूकेशन में प्रवेश कराया गया। वर्ष 2013 में नंदिनीनगर में आल इंडिया यूनीवर्सिटी के मुकाबले में पुनिया ने स्वर्ण पदक जीता। इसी बीच एक कंपनी में उनकी नौकरी लग गई, जिसकी वजह से पढ़ाई रोकनी पड़ी। 2014 में नंदिनीनगर में हुई राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती में भी दमखम दिखाया। कॉमनवेल्थ में भी बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन किया। गत रविवार को एशियन गेम में स्वर्ण पदक मिलने के बाद हर ओर खुशी की लहर है।
योगेश्वर दत्त हैं गुरु
स्वर्ण पदक विजेता बजरंग पुनिया के गुरु पहलवान योगेश्वर दत्त हैं। उन्होंने उनके मार्गदर्शन में शुरुआती दौर में पहलवानी में काफी कुछ सीखा है। उन्हें शाकाहारी भोजन पसंद है। रोजाना सुबह तीन बजे वह उठ जाते हैं। साथ ही एक घंटे का अतिरिक्त व्यायाम करते हैं। अनुशासन उनको बेहद पसंद है।
वर्तमान में हैं छात्र
वर्ष 2013 में बैचलर ऑफ फिजिकल एजूकेशन की पढ़ाई रोकने वाले बजरंग पुनिया ने बाद में नंदिनीनगर महाविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई शुरू की। वह व्यक्तिगत छात्र के तौर पर यहां से पढ़ाई कर रहे हैं। इस साल वह बीए तृतीय वर्ष के व्यक्तिगत परीक्षार्थी हैं। महाविद्यालय के प्रशासक रामकृपाल ङ्क्षसह का कहना है कि वह जब भी परीक्षा देने आते हैं तो यहां रहते हैं।
योगेश्वर दत्त हैं गुरु
स्वर्ण पदक विजेता बजरंग पुनिया के गुरु पहलवान योगेश्वर दत्त हैं। उन्होंने उनके मार्गदर्शन में शुरुआती दौर में पहलवानी में काफी कुछ सीखा है। उन्हें शाकाहारी भोजन पसंद है। रोजाना सुबह तीन बजे वह उठ जाते हैं। साथ ही एक घंटे का अतिरिक्त व्यायाम करते हैं। अनुशासन उनको बेहद पसंद है।
वर्तमान में हैं छात्र
वर्ष 2013 में बैचलर ऑफ फिजिकल एजूकेशन की पढ़ाई रोकने वाले बजरंग पुनिया ने बाद में नंदिनीनगर महाविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई शुरू की। वह व्यक्तिगत छात्र के तौर पर यहां से पढ़ाई कर रहे हैं। इस साल वह बीए तृतीय वर्ष के व्यक्तिगत परीक्षार्थी हैं। महाविद्यालय के प्रशासक रामकृपाल ङ्क्षसह का कहना है कि वह जब भी परीक्षा देने आते हैं तो यहां रहते हैं।
नंदिनी नगर महाविद्यालय में कल बजरंग के स्वर्ण पदक जीतने की सूचना पर हर कोइ ख़ुशी से झूम उठा। नंदिनी नगर कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र से दांव-पेच सीखने वाले बजरंग की इस उपलब्धि से खेल प्रेमियों में गजब का उल्लास है।
भरतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष तथा कैसरगंज के भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह, प्रदेश कुश्ती संघ उपाध्यक्ष करण भूषण सिंह ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया है। बृजभूषण शरण सिंह इस समय भारतीय दल के चीफ डि मिशन के तौर पर जकार्ता में ही हैं। यहां पर महाविद्यालय प्रशासन डॉ राम कृपाल सिंह व केंद्र प्रभारी डॉ सत्येन्द्र सिंह ने कहा यह हमारे लिए गौरव के क्षण है।
बजरंग नंदिनीनगर महाविद्यालय में बीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने यहां के कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में ही पहलवानी का दांवपेंच सीखा है। उनकी इस उपलब्धि से यहां प्रशिक्षण ले रहे अन्य पहलवानों क सीना भी फक्र से चौड़ा हो गया। कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र के कोच प्रेमचन्द्र यादव ने कहा कि बजरंग पुनिया पर हमेशा भरोसा रहा है। उम्मीद थी कि वह गोल्ड जीतेगा। जब भी कोई गेम यहां होता था तो वह मौजूद रहता था। बीमारी की हालत में भी वह मौका नहीं छोड़ता था। वहीं साथी पहलवान राहुल ने कहा कि बजरंग की इस उपलब्धि ने देश के साथ ही इस प्रशिक्षण केंद्र का भी नाम रौशन किया है। हमें भी लग रहा है कि उनकी तरह देश का नाम रौशन कर सकते हैं।
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