डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसा: कहां तक पहुंची जांच? कीमैन के बयान के बाद रात में ही गोंडा पहुंची पुलिस, तोड़ा घर का ताला
चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसा (Gonda Train Accident) की जांच छठवें दिन भी जारी है। जांच में रेल अधिकारियों व कर्मियों के बयान लिए गए हैं। बयान देने के दौरान एक कीमैन ने उपकरण खराब होने की बात कही। उसने कहा उपकरण उसके घर रखा है । ऐसे में पुलिस रात में ही उसके घर गई और ताला तोड़कर उपकरण लेकर आई।
जागरण संवाददाता, गोंडा। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटना की चल रही जांच मे छठवें दिन शनिवार को भी रेल अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने बयान दर्ज कराए। टीम को बयान देने के दौरान एक कीमैन ने उपकरण खराब होने की बात कही, जिसे उसके घर से ताला तोड़कर मंगवाया गया।
हजरतगंज स्थित पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल कार्यालय में सीआरएस (रेल संरक्षा आयुक्त) प्रणजीव सक्सेना व डीआरएम आदित्य कुमार की अगुवाई में पांच सदस्यीय टीम ने रेलवे के संचालन व संरक्षा से जुड़े अधिकारियों, कर्मियों व विभिन्न गांवों के 12 ग्रामीणों को भी बयान देने के लिए बुलाया था।
सीएआरएस व डीआरएम के सामने बयान दर्ज कराने पहुंचे कीमैन ने अपने उपकरणों के खराबी की पोल खोल दी। कीमैन से पूछा गया कि चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के गुजरने के पहले क्या उसने दायित्व का निर्वहन किया था तो उसने बताया कि उसका उपकरण खराब था, जिस पर जांच कर रही टीम ने पूछा कि जो उपकरण खराब था, वह दिखाइए।
इस पर उसने बताया कि खराब उपकरण गोंडा में उसके कमरे पर रखा है। जांच टीम ने आनन-फानन में गोंडा से उपकरण मंगवाने को कहा तो पता चला कि वह किसी रेलकर्मी के किराये पर रहता है। रात में पुलिस भेजकर उसके घर का ताला तोड़ा गया और फिर खराब उपकरण को पैक कर जांच टीम को भेजा गया।
20 किलोमीटर की गति से गुजारी जा रही ट्रेनें
चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उस स्थान पर ट्रेन 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही सभी ट्रेनें गुजारी जा रही है। रेलवे प्रशासन बिखर चुके रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने में जुटा है। विभागीय सूत्र के मुताबिक पटरियों को दुरुस्त करने में दस दिन और लगने की संभावना है।रेलवे के क्षेत्रीय प्रबंधक गिरीश कुमार सिंह ने बताया कि उपकरण वाले प्रकरण की जानकारी उन्हें नहीं है। दुर्घटना वाले स्थल पर अभी कासन(धीमी) से ट्रेनें गुजारी जा रही हैं। यह स्थिति कब तक रहेगी, इसकी जानकारी इंजीनियरिंग विभाग ही दे सकता है।
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