घाघरा नदी खतरे के निशान से 53 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है जिससे गोंडा जिले के 22 गांवों के 14 हजार ग्रामीण प्रभावित हुए हैं। ग्रामीणों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस बाढ़ से महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। उन्हें इलाज के लिए डेढ़-डेढ़ किलोमीटर पानी में चलकर जाना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, नवाबगंज (गोंडा)। खतरे के निशान से 53 सेंटीमीटर ऊपर बह रही घाघरा ने 22 गांवों के 14 हजार ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी है। साखीपुर के चहलावां के बाद अब दत्तनगर के चहलावा,पूर्वी टाड़ी व घरूकनपुरवा,शुकुलपुरवा व गोकुला की तरफ पानी तेजी से बढ़ रहा है। यहां के ग्रामीण अपना घर बार छोड़कर सुरक्षित स्थान की ओर निकल पड़े हैं।
हालत यह है कि घर बार छोड़ चुके परिवारों की महिलाओं को इलाज के लिए डेढ़-डेढ़ किलाेमीटर पानी में चलना पड़ रहा है।
साखीपुर के चहलावां में खेत के बाद अब घर भी नदी में समाते जा रहे हैं। रास्तों पर पानी भरा है। 11 परिवारों ने अपने घर छोड़ दिया है। बच्चों के बीमार होने पर महिलाएं कमर तक पानी में घुसकर दवा कराने के लिए नवाबगंज जाती दिखीं।
घुटनों तक पानी
इनमें शामिल साकीपुर के अट्ठैसा की रिंका ने बताया कि गांव से लेकर नवाबगंज-ढेमवाघाट मुख्य मार्ग तक बाढ़ का पानी तेजी से बह रहा है। नाव न होने के कारण घुटने तक पानी में घुसकर डेढ़ किलोमीटर पैदल चली,तब देवरानी के बच्चे का इलाज हो पाया। बाढ़ के पानी से साइकिल लेकर निकल रहे अट्ठैसा निवासी मन्नू यादव ने बताया कि जलजमाव होने के नाते मच्छरों का प्रकोप है। मच्छरदानी में लगाने के लिए डंडा लाने जा रहे हैं।
गोकुला के टपरहनपुरवा की पूनम यादव ने कहा कि बच्चे नवाबगंज स्कूल गए हैं। मन चिंतित है,इसलिए बाढ़ के पानी में लगभग दो किमी चलकर बच्चों को लेेने नवाबगंज-ढेमवाघाट मुख्य मार्ग पर आई हैं। नाव मिल जाती तो परेशानी दूर हो जाती।इसी तरह दत्तनगर माझा व साकीपुर सहित लगभग चार हजार की आबादी प्रभावित है। बाढ़ का पानी अब गोकुला की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।
गोकुला के गुजरपुरवा निवासी रमादत्त शुक्ल ने कहा बाढ़ का पानी संपर्क मार्ग पर बह रहा है। चारा न मिल पाने के कारण उन्होंने अपने अपने जानवरों को लेकर मुख्य मार्ग पर पहुंचा दिया है। लेखपाल ओमप्रकाश वर्मा ने कहा दत्तनगर माझा में पांच व साकीपुर में तीन नाव चल रही थीं। देर शाम आठ नाव और पहुंच जाएंगी। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त नाव की मांग तहसील से की जाएगी।
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