2024 का लोकसभा चुनाव सांसद ही नहीं बल्कि विधायकों की परीक्षा का भी है। इस चुनाव में मिले जनादेश का असर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को क्षेत्र में स्थापित नेता साबित करने के लिए विधायकों को अपने क्षेत्र से पार्टी को जिताना होगा। यह चुनाव विधायकों के लिए सेमीफाइनल भी माना जा रहा है।
रमन मिश्र,
गोंडा। 2024 का लोकसभा चुनाव सांसद ही नहीं बल्कि, विधायकों की परीक्षा का भी है। इस चुनाव में मिले जनादेश का असर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को क्षेत्र में स्थापित नेता साबित करने के लिए विधायकों को अपने क्षेत्र से पार्टी को जिताना होगा। यह चुनाव विधायकों के लिए सेमीफाइनल भी माना जा रहा है।
गोंडा व कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में भाजपा के नौ विधायकों व सपा के एक विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। किसकी प्रतिष्ठा बचेगी और किसकी जाएगी, यह तो चार जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद ही तय होगा।
कैसरगंज में भाजपा के चार व सपा के एक विधायक
कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में बहराइच जिले की कैसरगंज व पयागपुर, गोंडा जिले की कटराबाजार, कर्नलगंज व तरबगंज विधानसभा क्षेत्र आता है। कैसरगंज में सपा के आनंद यादव, पयागपुर में भाजपा के सुभाष त्रिपाठी, कर्नलगंज में अजय कुमार सिंह व तरबगंज से प्रेम नरायन पांडेय विधायक हैं। यहां से भाजपा ने सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को मैदान में उतारा है।
सपा ने भगतराम मिश्र व बसपा ने नरेंद्र पांडेय पर दांव लगाया है। बसपा व सपा से ब्राह्मण उम्मीदवार होने से भाजपा के कोर वोटर में सेंधमारी की आशंका है। यह सीट वर्ष 2014 से भाजपा के पास है। ऐसे में यहां के विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
गोंडा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के पांच विधायक
गोंडा लोकसभा क्षेत्र में बलरामपुर जिले का उतरौला विधानसभा क्षेत्र, गोंडा जिले की गोंडा सदर, मेहनौन, मनकापुर, गौरा विधानसभा क्षेत्र शामिल है। गोंडा सदर से भाजपा के प्रतीक भूषण सिंह, मेहनौन से विनय कुमार द्विवेदी, गौरा से प्रभात कुमार वर्मा, मनकापुर से रमापति शास्त्री व उतरौला से राम प्रताप वर्मा विधायक हैं।
इस सीट से भाजपा ने सांसद कीर्तिवर्धन सिंह को एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है। वहीं, सपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा व बसपा ने सुरेंद्र मिश्र पर दांव लगाया है। यहां कुर्मी, मुस्लिम व ब्राह्मण बाहुल्य हैं। यह सीट भी विधायकों की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है।
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