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अचानक लड़खड़ाने लगी चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस और फिर पलटते गए डिब्बे... हादसे में घायल यात्रियों की आपबीती

चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के यात्रियों ने बताया कि किस तरीके से अचानक यह सफर अंग्रेजी का सफर बन गया। ठसाठस भरी गाड़ी जब लड़खड़ाते हुए पलटी तो उसमें सवार लोगों को कुछ समझ नहीं आया। एक यात्री जो जनरल बोगी के दरवाजे पर बैठा था उसने अपनी बोगी के पीछे के डिब्बों को पलटते हुए देखा तो चलती ट्रेन से छलांग लगा दी।

By Pawan Mishra Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Thu, 18 Jul 2024 07:45 PM (IST)
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हादसे के बाद अपने सामान को बोगियों से निकालते यात्री और बचावकर्मी। जागरण

संवाद सूत्र, जागरण गोंडा। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस में हुए हादसे के दौरान घायल हुए प्रमोद यादव उस घटना को याद करते हुए कहते हैं कि ट्रेन गोंडा से आगे बढ़ी तो सीट न मिलने व के चलते डिब्बे के फाटक पर ही पैर नीचे करके बैठ गए।

थोड़ी दूर रफ्तार में चलने के बाद ट्रेन अचानक लहराने लगी। जब तक लोग कुछ समझ पाते तक उसके उसके डिब्बों ने करवट लेना शुरू कर दिया और फिर वे पलटते चले गए। अपना डिब्बा पलटते देख जान बचाने के लिए चलती ट्रेन से कूद गया,लेकिन पटरी के किनारे लगे खंभों से सिर टकरा जाने के कारण गंभीर रूप से घायल हो गए।

गोरखपुर के प्रमोद यादव पुत्र रामू यादव ने अपने दो दोस्तों के साथ लखनऊ से सुबह 11 बजे ट्रेन पकड़ी थी। जल्दबाजी में ट्रेन का टिकट भी नहीं ले पाए थे,इसलिए जनरल बोगी में बैठ गए। इसमें इतनी भीड़ थी कि पैर रखने की जगह नहीं थी,इसलिए डिब्बे के द्वार पर ही बैठकर जा रहे थे।

गोंडा से आगे बढ़ते ही ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतरकर लड़खड़ाने लगे,जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक डिब्बे पलटने शुरू हो गए। चहुंओर अफरातफरी मच गई। ट्रेन के डिब्बों को पलटता देख वह डिब्बे से बाहर की ओर कूद गया,लेकिन बिजली खंभों में टकराने से वह घायल होकर बेहोश हो गया।

लोख चीखने चिल्लाने लगे तो शोर सुनकर ग्रामीण भी मदद के लिए पहुंचे। इसके बाद घायलों को करीब 15 मिनट बाद ग्रामीणों ने बाहर निकाला। उसे भी ग्रामीणों ने होश में लाकर एंबुलेंस के जरिए अस्पताल भेजवाया।

...होश में आया तो एंबुलेंस में मिले

चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के रफ्तार पकड़ते ही उसके अचानक तेज के झटके लगे लगे। मुश्किल से एक मिनट के ये झटके इतने तेज थे कि यात्री सीटों से नीचे गिर गए,जिससे घायल हुए लोगों में चीख पुकार मच गई। यह कहना है ट्रेन हादसे में घायल हुई यात्री अनीता का।

बिहार के मधुबनी निवासी महिला यात्री अनीता ने जनरल डिब्बे में अपने पति मनोज,बिटिया छोटी कुमारी के साथ चंडीगढ़ में रात साढ़े 11 बजे ट्रेन पकड़ी थी। वह बताती है कि उसके पति लोहे की फैक्ट्री में कार्य करते हैं।

वह पहले बस से यात्रा करना चाहते थे,लेकिन बिटिया की परेशानी को देखते हुए बस से यात्रा का निर्णय बदलकर ट्रेन से निर्णय लिया। चंडीगढ़ी से जल्दबाजी में टिकट नहीं ले पाई और जनरल डिब्बे में बैठ गई तो बाद में रास्ते में टीटीई ने टिकट बनाया।

ट्रेन जैसे ही गोंडा के आगे बढ़ी और रफ्तार पकड़ना शुरू की कि अचानक ट्रेन लडखड़ाने लगी। वह परिवार समेत सीट से नीचे गिरी। उसके बाद उसे होश आया तो एंबुलेंस में थी। बिटिया के हाथ व सिर में चोट लगी है,जिसे मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है।

अनीता खुद भी घायल है, लेकिन बिटिया की हालत देख वह रोती रही। उसके पति मनोज भी भी घायल है। पति-पत्नी बस से यात्रा का फैसला बदलने पर पछताते हुए बिलखते रहे।

ट्रेन से निकालने के लिए ऊपर से डिब्बों को तोड़ते रहे लोग

डिब्बे पलटने के बाद ट्रेन में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने के लिए ग्रामीणों ने न केवल ट्रेनों के खिड़की व दरवाजे तोड़े और बल्कि ऊपर से ट्रेन के डिब्बो को तोड़कर बाहर निकालने का प्रयास करते रहे। घटना के बाद करीब 15 मिनट पहुंची एंबुलेंस से यात्रियों को अस्पताल लाया गया।

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