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Swami Chinmayananda Arrested: तीन भाई मानते हैं निर्दोष, इनको गहरी साजिश की आशंका

गोंडा जिले के परसपुर निवासी कृष्णपाल सिंह उर्फ स्वामी चिन्मयानंद के भाई रामकृपाल रामभवन व तुंगनाथ का कहना है कि उनके भाई को किसी बड़ी साजिश के तहत फंसाया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Fri, 20 Sep 2019 02:56 PM (IST)
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Swami Chinmayananda Arrested: तीन भाई मानते हैं निर्दोष, इनको गहरी साजिश की आशंका

गोंडा, जेएनएन। छात्रा से दुष्कर्म के मामले में एसआइटी की गिरफ्त में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर लगे आरोपों को उनके भाई झूठा मानते हैं।  इन सभी का मानना है कि भाई को बड़ी साजिश के तहत फंसाया गया है। इन सभी को भरोसा है कि भाई को कोर्ट से न्याय मिलेगा।

गोंडा जिले के परसपुर निवासी कृष्णपाल सिंह उर्फ स्वामी चिन्मयानंद के भाई रामकृपाल, रामभवन व तुंगनाथ  का कहना है कि उनके भाई को किसी बड़ी साजिश के तहत फंसाया गया है। इन लोगों ने बताया कि चिन्मयानंद  वर्ष 2017 में अन्तिम बार चाचा रामनिवास सिंह की मृत्यु पर गांव आए थे। इनके हिस्से में करीब बीस बीघा जमीन अब भी खतौनी में दर्ज है।

पढ़ाई छोड़कर दिल्ली गए कृष्णपाल और बन गए स्वामी चिन्मयानंद

गोंडा जिले के परसपुर क्षेत्र के त्योरासी रमईपुर के रहने वाले स्वामी चिन्मयानंद अभी भी 20 बीघा खेती के मालिक हैं। विधि छात्रा के यौवन शोषण के मामले के मामले में गिरफ्तार स्वामी चिन्मयानंद मूलरूप से गोंडा के रहने वाले हैं। इनके बचपन का नाम कृष्णपाल था। पॉलीटेक्निक करने के दौरान झांकी देखने के लिए दिल्ली गए। इसके बाद वापस नहीं लौटे। वर्षों तक परिवारजन से दूर तथा गुमनामी में रहकर उन्होंने संत से लेकर सियासी पद हासिल किया। पैतृक गांव में इनके भाइयों का परिवार रहता है। इनके नाम अभी भी खेती है, जिसपर भाई लोग खेती कर रहे।

परसपुर ब्लॉक के त्योरासी रमईपुर निवासी भुवनेश्वरी सिंह  के पांच पुत्र थे। सबसे बड़े का नाम रामपाल सिंह, रामकृपाल, तीसरे पर कृष्णपाल उर्फ चिन्मयानंद,  चौथे रामभवन तथा पांचवें नंबर पर तुंगनाथ सिंह हैं। बड़े भाई रामपाल सिंह व बहन सावित्री सिंह की मृत्यु हो चुकी है। इनके अलावा अन्य सभी अभी मौजूद हैं।

इनमें से तीसरे नंबर के कृष्णपाल उर्फ चिन्मयानंद ने करीब 20 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था। उस वक्त वह मनकापुर में पालीटेक्निक कर रहे थे। वहां से गणतंत्र दिवस की झांकी देखने दिल्ली गए और फिर लौट के नहीं आए। उन्होंने इंटरमीडिएट की शिक्षा परसपुर के तुलसी स्मारक इंटर कॉलेज में हासिल की। चिन्मयानंद ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की थी। स्वामी चिन्मयानंद का शाहजहांपुर में आश्रम भी है और वहां वह एक लॉ कॉलेज भी चलाते हैं।

कांग्रेसी विचारधारा का परिवार, खुद संघ से जुड़े

चिन्मयानंद के परिवार की विचारधारा कांग्रेसी थी। उनके चचेरे भाई उमेश्वर प्रताप सिंह कांग्रेस से विधायक रहे, लेकिन चिन्मयानंद संघ की विचारधारा के समर्थक थे। वह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े। संघ की एकात्मता यात्रा में भी भागीदारी की। फिर रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गए। सात अक्टूबर 1984 को सरयू तट पर राम जन्मभूमि का संकल्प लिया। 19 जनवरी 1986 को रामजन्मभूमि आंदोलन संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक बने। 1989 में स्वामी निश्चलानंद के अधिष्ठाता पद छोडऩे के बाद चिन्मयानंद मुमुक्षु आश्रम आ गए।

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राजनीतिक सफर

चिन्मयानंद पहली बार भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से 1991 में सांसद चुने गए। इसके बाद 1998 में मछलीशहर और 1999 में जौनपुर से सांसद चुने गए।

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वह गोरखपुर की गोरक्षा पीठ के महंत और पूर्व सांसद अवैद्यनाथ के काफी करीबी थे। 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान चिन्मयानंद योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने की वकालत कर रहे थे।