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गोला तहसील बनेगी जिले की नई सर्किल

गोरखपुर गोला को नई सर्किल बनाने का लंबे समय से लंबित प्रस्ताव शासन ने मंजूर कर लिया है। अब गोला त

By Edited By: Updated: Wed, 24 Feb 2016 01:56 AM (IST)

गोरखपुर

गोला को नई सर्किल बनाने का लंबे समय से लंबित प्रस्ताव शासन ने मंजूर कर लिया है। अब गोला तहसील मुख्यालय पर उप जिलाधिकारी के साथ ही क्षेत्राधिकारी भी मौजूद रहेंगे। नवसृजित सर्किल में खजनी सर्किल के एक और बांसगांव के दो थानों को जोड़ा गया है। अधिकारियों ने जल्दी ही नई सर्किल के लिए शासन द्वारा क्षेत्राधिकारी की नियुक्त किए जाने की उम्मीद जताई है।

जनपद में अभी तक कुल सात सर्किल ही थी। अब इसकी संख्या बढ़कर आठ हो जाएगी। असल में कानून-व्यवस्था की स्थिति चाक-चौबंद रखने के लिए जिले के उच्चाधिकारियों का मानना था कि हर तहसील मुख्यालय पर उप जिलाधिकारी के साथ सीओ की भी नियुक्ति होनी चाहिए लेकिन गोला और सहजनवां तहसील ऐसी थी कि जहां उप जिलाधिकारी तो बैठते थे लेकिन क्षेत्राधिकारी नहीं। गोला तहसील, बांसगांव सर्किल के अधीन थी जबकि सहजनवां तहसील कैंपियरगंज क्षेत्राधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आती है। एसएसपी के स्तर से गोला और सहजनवां को सर्किल मुख्यालय बनाए जाने को लेकर काफी लंबे समय से प्रयास किया जा रहा था। इस संबंध में कई बार प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था।

गोला को नई सर्किल बनाए जाने का प्रस्ताव शासन ने मंजूर कर लिया है। इस संबंध में पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) ने आइजी जोन, डीआइजी रेंज और एसएसपी को पत्र लिखकर शासन के फैसले से अवगत कराया है। गोला सर्किल के अंतर्गत बड़हलगंज, गोला और उरुवा थाने को रखा गया। इससे पहले बड़हलगंज और गोला, बांसगांव सर्किल में तो उरुवा थाना खजनी सर्किल में था। इससे पहले कोतवाली, कैंट, गोरखनाथ, चौरीचौरा, खजनी, कैंपियरगंज और बांसगांव सर्किल ही थी।

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मगर पांच थाने व एक सर्किल का प्रस्ताव कब होगा मंजूर

गोला सर्किल का सृजन होने से पुलिस का काम थोड़ा से आसान तो जरूर होगा लेकिन पांच थाने और एक सर्किल के सृजन का प्रस्ताव अभी भी शासन में लंबित है। हाल-फिलहाल इसकी मंजूरी की कोई उम्मीद नहीं दिखती। वर्ष 2007 में तत्कालीन एसएसपी ने कैंट, खोराबार, शाहपुर, गुलरिहा और पिपराइच थाने के कुछ हिस्सों को अलग कर पांच नए थाने तथा गोला और सहजनवां सर्किल का सृजन करने का प्रस्ताव भेजा था। एक हाइवे थाना बनाए जाने का भी प्रस्ताव भी तभी से शासन में लंबित है।

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