संवादी गोरखपुर में बोले अभिनेता पवन मल्होत्रा, 'यूपी वालों संभल जाओ, बंटोगे तो कटोगे'
संवादी गोरखपुर में अभिनेता पवन मल्होत्रा ने धार्मिक पक्षपात और उत्तर प्रदेश के भविष्य पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा यूपी वालों संभल जाओ बंटोगे तो कटोगे। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों पर भी चर्चा की और कहा कि बेहतर प्रदर्शन के बावजूद उत्तर प्रदेश में स्थिति अच्छी नहीं रही। पवन मल्होत्रा ने फिल्मों में पक्षपात के बारे में भी बात की।
उमेश पाठक, जागरण गोरखपुर। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता पवन मल्होत्रा के साथ बातचीत का सत्र रोमांच से भरा रहा। योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संवादी के छठवें सत्र में उन्होंने बालीवुड की फिल्मों में धार्मिक पक्षपात पर खुलकर अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि बहुत चालाकी से एक पक्ष पर हमला किया जाता है और दूसरे को अच्छा दिखाया जाता रहा है। ऐसी साजिश से मुकाबला करने को एक साथ रहने का संदेश देते हुए उन्होंने प्रदेश के लोगों को भविष्य को लेकर चेताया भी।
पवन ने साफ शब्दों में कहा कि ‘यूपी वालों संभल जाओ, बंटोगे तो कटोगे’। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम की चर्चा करते हुए कहा कि बेहतर प्रदर्शन के बावजूद उत्तर प्रदेश में स्थिति अच्छी नहीं रही।
पवन ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अच्छा होना अच्छी बात है, लेकिन कायर होना नहीं। जो सही है, उसे बोलना होगा। जो अपनी मिट्टी, अपनी संस्कृति से प्यार नहीं करते वे बिखर जाते हैं। दैनिक जागरण के महाप्रबंधक, स्ट्रेटजी एवं ब्रांड डेवलपमेंट प्रशांत कश्यप ने पवन मल्होत्रा के शुरुआती संघर्षों से बातचीत की शुरुआत की।
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पवन ने संघर्षों की कहानी बताते हुए कहा कि उन्हें जो मिला ईश्वर से मिला है। मुझे मांगने से काम नहीं मिला बल्कि काम मेरी झोली में आया। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने उनसे पूरे आफिस में झाड़ू लगवाया था। बाद में उन्होंने बताया था कि इससे ईगो खत्म होता है। जिसका ईगो खत्म होता है वह कभी परेशान नहीं होता। इस बात ने मुंबई में संभाले रखा।
जागरण संवादी गोरखपुर।
उन्होंने कहा कि सभी को अपने हिस्से का अभिनय करना चाहिए। फिल्मों में पक्षपात को उन्होंने किताबों के उदाहरण से समझाते हुए कहा कि जानकारी के लिए पढ़ना होता है, लेकिन सभी किताबें सच नहीं बतातीं। इतिहास अपने हिसाब से ‘तड़के’ के साथ पढ़ाया गया। बाजार में ढेरों किताबें हैं, लेकिन हमें सही पढ़ना है। किताब तो इसको लेकर भी लिखी गई है कि 26/11 आरएसएस ने करवाया। हो सकता है 25-30 साल बाद इसे प्रमुखता से प्रचारित किया जाए, इसलिए सभी किताबों पर भरोसा करने की जरूरत नहीं। कोई कुछ भी लिखकर किताब प्रकाशित करवा सकता है।अपनी बात को बढ़ाते हुए पवन मल्होत्रा ने कहा कि चक दे इंडिया फिल्म जरूर देखना। हाकी के जिस कोच पर फिल्म बनी है, असल जीवन में उनका नाम मीर रंजन नेगी था लेकिन फिल्म में क्या नाम रखा गया, सभी जानते हैं। फिल्में के समाज से नजदीकी पर पूछे गए सवाल के जवाब में पवन मल्होत्रा ने कहा कि पहले यहां प्रपोजल बनाने वाले थे, फिल्म बनाने वाले नहीं। उस समय एजेंडे की फिल्में भी थीं। आखिर हमेशा तिलक वाला ही गलत क्यों दिखाया जाता था।इसे भी पढ़ें-संवादी गोरखपुर कार्यक्रम को सीएम योगी ने सराहा, बोले- दृष्टि साकारात्मक तो परिणाम भी आते हैं साकारात्मक उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आज फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से काफी अनुकूल है। यहां भीड़ होती है लेकिन वह भीड़ काफी अनुशासित है। एक बार कहने पर सहयोग को तैयार हो जाती है। इस बात को आगे बढ़ाते हुए संचालक ने सवाल किया कि जब पब्लिक इतनी अच्छी है तो ‘मिर्जापुर’ के रूप में इसे क्यों दिखाया जाता है। पवन ने एक उदाहरण के साथ कहा कि लोग जो देखना चाहते हैं, वही दिखाया जा रहा है। हमें तय करना होगा कि बच्चों को कैसी मूवी दिखानी है। कोरोना काल में रामायण दिखाया गया तो उसपर कुछ लोगों ने सवाल उठाए। हमें घरों में बच्चों को बताना होगा कि हमारी रीतियां, परंपराएं सही हैं। हम उनके बारे में नहीं बता पाते तो इसका मतलब यह नहीं कि परंपराएं गलत हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।उन्होंने कहा कि सभी को अपने हिस्से का अभिनय करना चाहिए। फिल्मों में पक्षपात को उन्होंने किताबों के उदाहरण से समझाते हुए कहा कि जानकारी के लिए पढ़ना होता है, लेकिन सभी किताबें सच नहीं बतातीं। इतिहास अपने हिसाब से ‘तड़के’ के साथ पढ़ाया गया। बाजार में ढेरों किताबें हैं, लेकिन हमें सही पढ़ना है। किताब तो इसको लेकर भी लिखी गई है कि 26/11 आरएसएस ने करवाया। हो सकता है 25-30 साल बाद इसे प्रमुखता से प्रचारित किया जाए, इसलिए सभी किताबों पर भरोसा करने की जरूरत नहीं। कोई कुछ भी लिखकर किताब प्रकाशित करवा सकता है।अपनी बात को बढ़ाते हुए पवन मल्होत्रा ने कहा कि चक दे इंडिया फिल्म जरूर देखना। हाकी के जिस कोच पर फिल्म बनी है, असल जीवन में उनका नाम मीर रंजन नेगी था लेकिन फिल्म में क्या नाम रखा गया, सभी जानते हैं। फिल्में के समाज से नजदीकी पर पूछे गए सवाल के जवाब में पवन मल्होत्रा ने कहा कि पहले यहां प्रपोजल बनाने वाले थे, फिल्म बनाने वाले नहीं। उस समय एजेंडे की फिल्में भी थीं। आखिर हमेशा तिलक वाला ही गलत क्यों दिखाया जाता था।इसे भी पढ़ें-संवादी गोरखपुर कार्यक्रम को सीएम योगी ने सराहा, बोले- दृष्टि साकारात्मक तो परिणाम भी आते हैं साकारात्मक उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आज फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से काफी अनुकूल है। यहां भीड़ होती है लेकिन वह भीड़ काफी अनुशासित है। एक बार कहने पर सहयोग को तैयार हो जाती है। इस बात को आगे बढ़ाते हुए संचालक ने सवाल किया कि जब पब्लिक इतनी अच्छी है तो ‘मिर्जापुर’ के रूप में इसे क्यों दिखाया जाता है। पवन ने एक उदाहरण के साथ कहा कि लोग जो देखना चाहते हैं, वही दिखाया जा रहा है। हमें तय करना होगा कि बच्चों को कैसी मूवी दिखानी है। कोरोना काल में रामायण दिखाया गया तो उसपर कुछ लोगों ने सवाल उठाए। हमें घरों में बच्चों को बताना होगा कि हमारी रीतियां, परंपराएं सही हैं। हम उनके बारे में नहीं बता पाते तो इसका मतलब यह नहीं कि परंपराएं गलत हैं।