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AIIMS Gorakhpur: एम्‍स में नहीं हो पा रहा गंभीर रोगों का इलाज, यहां से मेड‍िकल कालेज भेजे जा रहे मरीज

AIIMS Gorakhpur News अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। यहां आने वाले गंभीर मरीजों को यहां के डाक्‍टर बाबा राघव दास मेड‍िकल कालेज गोरखपुर में भेज रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 12 Jun 2022 06:28 AM (IST)
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एम्‍स गोरखपुर में गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। AIIMS Gorakhpur: पडरौना के खिरकिया निवासी संजय का सिर में चोट के बाद महानगर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। संजय की हालत गंभीर होने लगी तो डाक्टरों ने बाबा राघवदास मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। एंबुलेंस से लेकर स्वजन उन्हें मेडिकल कालेज जा रहे थे कि किसी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर ले जाने की सलाह दे दी। खजांची तक पहुंचे एंबुलेंस को लेकर लेक‍िन वापस लेकर स्वजन एम्स पहुंचे।

उम्मीद थी कि अच्‍छा इलाज मिलेगा और रुपये भी नहीं खर्च होंगे। एंबुलेंस एम्स की इमरजेंसी की ओर बढ़ी तो गार्ड ने पीछे ले जाने को कहा। एंबुलेंस दूसरी तरफ खड़ी कर स्वजन इमरजेंसी में पहुंचे तो कोई डाक्टर नहीं मौजूद मिला। बताया गया कि ओपीडी लेकर जाओ। स्वजन कहते रहे कि रोगी की हालत गंभीर है, ओपीडी में नहीं ले जा सकते पर गार्ड नहीं माने। गर्मी से बेचैन रोगी ने आक्सीजन के लिए लगाये गए बाइपेप को भी उतार दिया। काफी मशक्कत के बाद गार्डों ने रोगी को बाहर भेजा।

नहीं शुरू हो पाईं जरूरी सेवाएं

यह सिर्फ संजय कुमार की कही व्यथा नहीं है। एम्स में इमरजेंसी की स्थिति में आने वाले हर रोगी की यही कहानी है। लोकार्पण के बाद एम्स गोरखपुर में डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की लगातार तैनाती होती जा रही है लेकिन जरूरी सेवाएं नहीं शुरू हो रही हैं। बेलघाट थाना के कुरी निवासी गिरिजा शंकर गुप्ता एक महीने से एम्स की ओपीडी में इलाज करा रहे थे। हालत बिगड़ी तो स्वजन लेकर एम्स पहुंचे। यहां डाक्टर ने भर्ती की जरूरत बताई लेकिन कहा कि हमारे पास कोई सुविधा नहीं है। यह सुनकर गिरिजा शंकर का बेटा खगेश भी हैरान रह गया। डाक्टर ने मेडिकल कालेज लेकर जाने को कहा।

वार्ड खाली, बेड पर इकट्ठा हो रही धूल

इमरजेंसी के बगल में इंडोर पेशेंट डिपार्टमेंट (आइपीडी) है। एयरकंडीशंड वार्ड में रोगी गिनती के हैं। यहां उन्हीं रोगियों को भर्ती किया जाता है जिनकी स्थिति अच्‍छी हो। यानी मर्ज बहुत बड़ा न हो। एम्स प्रशासन के दावों के बाद भी अभी छोटे आपरेशन ही हो पा रहे हैं। रोगी न होने के कारण एम्स की आइपीडी के बेड पर धूल इकट्ठा हो रही है। संख्या कम होने के कारण एक ही तल पर कई मर्ज के रोगी भर्ती हो रहे हैं।

डाक्टर रहते तो भटकते नहीं रोगी

गोरखपुर: एम्स की इमरजेंसी में डाक्टर न रहने के कारण गंभीर रोगियों को लेकर स्वजन भटकते रहते हैं। उन्हें ओपीडी जाने की सलाह दे दी जाती है। ओपीडी में भी रोगी को कोई डाक्टर नहीं देखता। यहां नर्स देखती है और तत्काल मेडिकल कालेज ले जाने की सलाह देकर वापस लौट जाती है।

गंभीर रोगियों को नहीं भर्ती किया जा रहा है। रोगी को लेकर स्वजन ओपीडी में आते हैं, वहां उसकी स्थिति देखकर निर्णय लिया जाता है। रोगी गंभीर है तो उसे मेडिकल कालेज जाने के लिए कहा जाता है। गंभीर रोगियों के परीक्षण और परामर्श देने के लिए इमरजेंसी में एक डाक्टर को तैनात करने पर विचार चल रहा है। - डा. शशांक शेखर, मीडिया प्रभारी, एम्स।

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