Move to Jagran APP

ड्रोन से दवा पहुंचाएगा एम्स गोरखपुर, पहले इस प्रोजेक्ट के लिए किया था इनकार; अब बाढ़ और आपातकालीन स्थिति में मिलेगा लाभ

AIIMS Gorakhpur ड्रोन प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत लोगों तक दवाएं और जानकारी पहुंचाने की शुरुआत की गई है। एम्स गोरखपुर भी ड्रोन से जीवनरक्षक दवा पहुंचाने की शुरुआत करेगा। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की सहमति मिल गई है। ड्रोन के संचालन के लिए स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।

By Durgesh Tripathi Edited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 08 Jan 2024 12:14 PM (IST)
Hero Image
ड्रोन से दवा पहुंचाएगा एम्स गोरखपुर, पहले इस प्रोजेक्ट के लिए किया था इनकार
दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर।  अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर ड्रोन से जीवनरक्षक दवा पहुंचाने की शुरुआत करेगा। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की सहमति मिल गई है। ड्रोन के माध्यम से 200-250 किलोमीटर के दायरे में दवाएं पहुंचायी जाएंगी।

साथ ही टेलीमेडिसिन के माध्यम से उपचार और दवाओं के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी भी दी जाएगी। इस व्यवस्था से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को जोड़ा जाएगा। एम्स गोरखपुर दो सीएचसी के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसे क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।

ड्रोन प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना

ड्रोन प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत बाढ़ प्रभावित, पहाड़ी, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों, आपातकालीन स्थिति में लोगों तक दवाएं और जानकारी पहुंचाने की शुरुआत की गई है। एम्स गोरखपुर पहले चरण में दो ड्रोन खरीदेगा।

पहले प्रोजेक्ट से जुड़ने से किया था मना

एम्स गोरखपुर को ड्रोन प्रोजेक्ट से जोड़ने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही कहा था लेकिन उस समय एम्स प्रशासन ने मना कर दिया था। इसके पीछे कारण एम्स के पास एयरफोर्स का होना बताया गया था। कहा गया था कि एयरफोर्स होने के कारण ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं मिलेगी।

अब नए कार्यकारी निदेशक व मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रो. गोपाल कृष्ण पाल ने दोनों सीएचसी या बाबा राघवदास मेडिकल कालेज से इस व्यवस्था को शुरू करने की बात की। उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों को अपनी पूरी कार्ययोजना बतायी तो सभी सहमत हो गए।

जीपीएस से जाएगा ड्रोन

ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) पर आधारित ड्रोन को संबंधित क्षेत्र में आसानी से पहुंचाया जाएगा। एम्स पटना, एम्स ऋषिकेश समेत अन्य एम्स में इस व्यवस्था को सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है।

दीदी चलाएंगी ड्रोन, नाम होगा ड्रोन दीदी

ड्रोन के संचालन के लिए स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय दिल्ली में इनको प्रशिक्षित करेगा। इनका वेतन तकरीबन 15 हजार रुपये होगा। ड्रोन दीदी की सहायता के लिए एक और महिला की तैनाती की जाएगी। इनका वेतन तकरीबन 10 हजार रुपये मासिक होगा।

25 जनवरी को होगा ट्रायल

देश के सभी एम्स की तरह एम्स गोरखपुर में भी ड्रोन प्रोजेक्ट का 25 जनवरी को ट्रायल होगा।  ट्रायल के लिए एम्स पटना में ड्रोन से दवा पहुंचाने वाली एजेंसी को बुलाया गया है। दवा या खून का नमूना लेकर ड्रोन को पहले से चिह्नित स्थान पर भेजा जाएगा।

एम्स गोरखपुर में ड्रोन प्रोजेक्ट को लागू किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. मनसुख मांडविया इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं देने में जुटे हैं। पूर्वांचल का बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित रहता है। ऐसी स्थिति में ड्रोन प्रोजेक्ट काफी मददगार साबित होगा। दवाएं, एंटी स्नेक वेनम, अन्य टीका, खून के नमूने भेजने में आसानी होगी। टेलीमेडिसिन के माध्यम से दवाओं के खाने और उपचार की विधि की जानकारी दी जाएगी। -  प्रो. गोपाल कृष्ण पाल, कार्यकारी निदेशक व मुख्य कार्यपालक अधिकारी एम्स गोरखपुर

ये भी पढ़ें -

Uttarkashi News: प्रशासन को सरकारी जमीन की नहीं कोई फिक्र, आई अतिक्रमण की बाढ़; CM का आदेश भी बेअसर

Dehradun News: अचानक शिफ्ट हुई गायनी की इमरजेंसी, परेशान हुई गर्भवती महिलाएं; उम्मीद से कई ज्याद खराब है इस अस्पताल की व्यवस्था

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।