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आओ आक्सीजन रोपें, आक्सीजन के साथ औषधीय गुणों की खान भी है पाकड़ Gorakhpur News

गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र की विभागाध्यक्ष डा.पूजा का कहना है कि हर पौधे का अपना एक गुण होता है। पाकड़ फाइकस वायरन ग्रुप व मोरेसी कुल का वृक्ष है। अन्य वृक्षों की तुलना में यह अधिक समय तक हरा-भरा रहता है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 12 Jun 2021 03:08 PM (IST)
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पाकड़ वृक्ष का फाइल फोटो, सौ. फेसबुक।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना काल ने हमें आक्सीजन की महत्ता बताई है । हमें एक बार फिर से उन वृक्षों की याद आई है जो अन्य की तुलना में अधिक आक्सीजन देते हैं। इन वृक्षों में एक नाम पाकड़ का भी है। यह अन्य वृक्षों की तुलना हमें अधिक आक्सीजन देता है। कोई इसकी वजह इसका अधिक समय तक हरा-भरा रहना मानता है तो कोई इसकी लंबी अवधि को मानता है। पाकड़ से हमें सिर्फ आक्सीजन ही नहीं मिलता है। पाकड़ औषधीय गुणों की खान है। तमाम रोगों के उपचार में इससे मदद मिलती है।

शहर में सिर्फ दो दर्जन पाकड़ के पुराने पेड़

शहर में अभी दो दर्जन से अधिक पुराने पाकड़ पेड़ हैं, जिनकी उम्र लोग 70 वर्ष से अधिक बताते हैं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र की विभागाध्यक्ष डा.पूजा का कहना है कि हर पौधे का अपना एक गुण होता है। पाकड़ फाइकस वायरन ग्रुप व मोरेसी कुल का वृक्ष है। अन्य वृक्षों की तुलना में यह अधिक समय तक हरा-भरा रहता है। अधिक समय तक जीवित रहता है। इसमें पत्तियां अधिक होती हैं तो इसमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी अधिक होती है, जिस वृक्ष में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अधिक होती तो वह हमें आक्सीजन भी उतनी ही मात्रा में देगा। पाकड़ में कभी पूरी तरह से पतझड़ नहीं होता है। यह बहुत ही जुझारू किस्म का वृक्ष है। अधिक समय तक टिकता है। इसका औषधीय महत्व भी अधिक है।

27 मीटर तक बढ़ सकता है पाकड़

पाकड़ मूलत: भारत सहित दक्षिण पूर्व एशिया, मलेशिया में पाया जाता है। यह मध्य आकार का वृक्ष है। यह 27 मीटर तक बढ़ सकता है। ज्यादातर नमी युक्त मिट्टी व क्षेत्र में पाया जाता है। घर के उत्तर की तरफ पाकड़ का पौधा लगाया जाना शुभ माना जाता है। पाकड़ की छाल का महिलाओं में होने वाली कई बीमारियों में उपयोग किया जाता है। इसका काढ़ा घाव को जल्दी भर देता है। इससे रक्त पित्त दोष को ठीक किया जा सकता है। थाइलैंड में लोग इसकी पत्तियों को साग के रूप में खाते हैं। त्वचार संबंधित रोगों में इसका उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों को खाने से मधुमेह का रोग ठीक होता है। जांडिस के उपचार में भी इससे मदद मिलती है। इसके फल के सेवन से पेट की बीमारियां ठीक होती हैं। डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि पाकड़ के रहने की अवधि अधिक है। यह अधिक समय तक आक्सीजन देता है। इस लिहाज यह महत्वपूर्ण है। बरसात के समय इसके पौधों के रोपण के लिए ठीक समय रहता है।

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