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Gorakhpur News: ताल की खूबसूरती बढ़ाने आए बत्तख बनते गए निवाला, पहरे के बाद भी होता रहा शिकार

उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर के रामगढ़ ताल में अमेरिकन सफेद बत्तखों के आने से ताल की खूबसूरती बढ़ गई है। लेकिन इन बत्तखों को पत्थर मारने और शिकार करने से बचाने की चुनौती भी है। अराजकतत्व पत्थर मारकर उन्हें घायल करने लगे रात में उन्हें पकड़कर निवाला बनाया जाने लगा है। अब तक लगभग 150 बत्तख लोगों का निवाला बन चुके हैं।

By Umesh Pathak Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 25 Sep 2024 02:32 PM (IST)
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अप्रैल में अमेरिकन सफेद बत्तख लाए गए थे। जागरण
उमेश पाठक, जागरण, गोरखपुर। विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होता रामगढ़ताल दिन-प्रतिदिन और खूबसूरत बनाया जा रहा है। निर्माण कार्यों के साथ इसे प्राकृतिक रूप से और खूबसूरत बनाने का जतन शुरू हुआ तो यहां बत्तखों का बसेरा बनाने का निर्णय लिया गया। अप्रैल में अमेरिकन सफेद बत्तख लाए गए।

थोड़े बड़े होने पर ताल में डाला गया। पानी में उतरते ही जब वे विचरण करने लगे तो बरबस ही पर्यटक उनकी ओर आकर्षित होने लगे और उनके मोबाइल के कैमरे प्रकृति की इस खूबसूरती को कैद करने को लंबे समय तक ताल की ओर टिके रहे। लेकिन कुछ दिन बाद से ही उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता होने लगी। अराजकतत्व पत्थर मारकर उन्हें घायल करने लगे, रात में उन्हें पकड़कर निवाला बनाया जाने लगा है।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के संचालन का जिम्मा एक निजी कंपनी को दिया है। कंपनी रामगढ़ताल में वाटर स्पाेर्ट्स से जुड़ी गतिविधियां संचालित करने लगी। इसी बीच ताल की खूबसूरती बढ़ाने के लिए इसमें अमेरिकन सफेद बत्तख के चूजे मंगाए गए।

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कंपनी की ओर से गतिविधियों का संचालन करने वाले आशीष शाही बताते हैं कि लगभग एक हजार चूजे लाए गए थे लेकिन मौसम की मार एवं अन्य कारणों से 600 से अधिक नहीं बचे। लगभग डेढ़ महीने का होने के बाद 450 बत्तखों को ताल में डाला गया। उनके खाने की व्यवस्था की जाती रही।

एक कर्मचारी को उनपर नजर रखने को भी लगाया गया था लेकिन जब ये किनारे की ओर पहुंचते तो उन्हें पत्थर मारा जाने लगा। इसकी शिकायत पुलिस में भी की गई। लेकिन देर रात में शिकार होने लगा। अब तक लगभग 150 बत्तख लोगों का निवाला बन चुके हैं।

शिकार की कोशिश होती है। हालांकि अब बड़े हो चुके ये बत्तख ताल में चारो ओर विचरण कर रहे हैं और पर्यटक उन्हें निहारने में सुखद अनुभव करते हैं। इन्हें बचाने के लिए अब चिड़ियाघर में भेजे जाने की तैयारी है।

ताल में प्रदूषण करते हैं कम

बत्तखों के विचरणसे प्राकृतिक खूबसूरती तो बढ़ती ही है, पानी भी साफ होता है। छोटे-छोटे कीड़े इनका शिकार बनते हैं और पानी की सतह पर तैरने वाले छोटे-छोटे जलीय पौधों को भी वे खाकर पानी को स्वच्छ बना देते हैं। जल्द ही बत्तख अंडे देंगे, जिससे इनकी संख्या और बढ़ेगी।

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चिड़ियाघर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि सफेद बत्तख काफी खूबसूरत होते हैं। उनके विचरण करने से ताल की प्राकृतिक सुंदरता और निखरती है। वे पानी को प्रदूषण मुक्त बनाने में सहायक होते हैं।

बताया कि विदेशी नस्ल का होने के कारण कई जगह इनकी फार्मिंग भी होती है। इसे खाना लोग पसंद करते हैं लेकिन ताल में उन्हें डालने का उद्देश्य खूबसूरती बढ़ाना है। यह हम सब की जिम्मेदारी है कि इसमें सहयोग करें। यहां उनका शिकायत करना गलत है। किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए।

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